PM ने के. कामराज को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि दी, कहा- उन्होंने राष्ट्रीय विकास और सामाजिक सशक्तीकरण के लिए अपना जीवन समर्पित किया


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बृहस्पतिवार को कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे के. कामराज को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की और कहा कि उन्होंने राष्ट्र के विकास और सामाजिक सशक्तीकरण के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया।


शिवांगी गुप्ता शिवांगी गुप्ता
देश Updated On :

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बृहस्पतिवार को कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे के. कामराज को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की और कहा कि उन्होंने राष्ट्र के विकास और सामाजिक सशक्तीकरण के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया।

तत्कालीन मद्रास राज्य (अब तमिलनाडु) के पूर्व मुख्यमंत्री कामराज कांग्रेस के कद्दावर नेता थे जिन्होंने लाल बहादुर शास्त्री और इंदिरा गांधी को प्रधानमंत्री बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। बाद में गांधी से मतभेदों के चलते कांग्रेस का विभाजन भी हो गया था।

कामराज का जन्म 1903 में हुआ था जबकि उनकी मृत्यु 1975 में हुई।

प्रधानमंत्री ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘महान के. कामराज को उनकी जयंती पर मेरी श्रद्धांजलि। उन्होंने राष्ट्रीय विकास और सामाजिक सशक्तीकरण के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। शिक्षा, स्वास्थ्य और महिला सशक्तीकरण को लेकर उनके प्रयास भारत के लोगों को आज भी प्रेरित करते हैं।’’

कामराज का जन्म 15 जुलाई 1903 को तमिलनाडु के विरूधुनगर में हुआ था। उनका मूल नाम कामाक्षी कुमारस्वामी नादेर था लेकिन बाद में वह के कामराज के नाम से ही जाने गये।

1920 में, जब वे 18 वर्ष के थे, तब वे राजनीति में सक्रिय हो गए। वह एक पूर्णकालिक राजनीतिक कार्यकर्ता के रूप में कांग्रेस में शामिल हुए।

1921 में कामराज ने कांग्रेस नेताओं के लिए विरुधुनगर में जनसभाएं आयोजित कीं। वह गांधी से मिलने के लिए उत्सुक थे, और जब गांधी 21 सितंबर 1921 को मदुरै गए तो कामराज ने सार्वजनिक सभा में भाग लिया और गांधी से पहली बार मिले। उन्होंने कांग्रेस का प्रचार करने वाले गांवों का दौरा किया।

1922 में कांग्रेस ने असहयोग आंदोलन के तहत प्रिंस ऑफ वेल्स की यात्रा का बहिष्कार किया, तो उन्होंने मद्रास राज्य में होने वाले कार्यक्रम में भाग लिया। (1923-25) में कामराज ने नागपुर ध्वज सत्याग्रह में भाग लिया।

1927 में, कामराज ने मद्रास में तलवार सत्याग्रह शुरू किया और उन्हें नील प्रतिमा सत्याग्रह का नेतृत्व करने के लिए चुना गया, लेकिन बाद में साइमन कमीशन के बहिष्कार को देखते हुए इसे छोड़ दिया गया।

कामराज जून 1930 में नमक सत्याग्रह में भाग लेने के लिए दो साल के लिए जेल गए। राजगोपालाचारी के नेतृत्व में; 1931 के गांधी-इरविन समझौते के परिणामस्वरूप दो साल की सजा काटने से पहले उन्हें रिहा कर दिया गया था।

कामराज ने साठ के दशक की शुरुआत में महसूस किया कि कांग्रेस की पकड़ कमजोर होती जा रही है। उन्होंने सुझाया कि पार्टी के बड़े नेता सरकार में अपने पदों से इस्तीफा दे दें और अपनी ऊर्जा कांग्रेस में नई जान फूंकने के लिए लगाएं। उनकी इस योजना के तहत उन्होंने खुद भी इस्तीफा दिया और लाल बहादुर शास्त्री, जगजीवन राम, मोरारजी देसाई तथा एस. के. पाटिल जैसे नेताओं ने भी सरकारी पद त्याग दिए। यही योजना कामराज प्लान के नाम से विख्यात हुई। कहा जाता है कि कामराज प्लान की बदौलत वह केंद्र की राजनीति में इतने मजबूत हो गए कि नेहरू के निधन के बाद लाल बहादुर शास्त्री और इंदिरा गांधी को प्रधानमंत्री बनवाने में उनकी भूमिका किंगमेकर की रही।



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