पीएम मोदी ने कहा- मानवाधिकारों को राजनीतिक चश्मे से देखना भी उनका हनन है

Satish Yadav Satish Yadav
देश Updated On :

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) के 28वें स्थापना दिवस पर वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से लोगों को संबाधित करते हुए कहा कि मानवाधिकारों के साथ-साथ, कर्त्तव्यों का भी ज़िक्र होना चाहिए। कई मौके आए जब दुनिया भटकी पर भारत ने हमेशा मानवाधिकारों को सर्वोपरि रखा।

उन्होंने कहा कि ये हम सभी का सौभाग्य है कि आज अमृत महोत्सव के जरिए हम महात्मा गांधी के उन मूल्यों और आदर्शों को जीने का संकल्प ले रहे हैं। मुझे संतोष है कि राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग भारत के इन नैतिक संकल्पों को ताकत दे रहा है, अपना सहयोग कर रहा है। साथ ही उन्होनें कहा कि मानवाधिकारों को राजनितिक चश्मे से देखने से भी उनका हनन होता है।

पीएम मोदी ने कहा, “मानवाधिकार का बहुत ज्यादा हनन तब होता है जब उसे राजनीतिक रंग से देखा जाता है, राजनीतिक चश्मे से देखा जाता है, राजनीतिक नफा-नुकसान के तराजू से तौला जाता है। इस तरह का सलेक्टिव व्यवहार, लोकतंत्र के लिए भी उतना ही नुकसानदायक होता है।”

उन्होंने कहा, ‘हाल के वर्षों में मानवाधिकार की व्याख्या कुछ लोग अपने-अपने तरीके से, अपने-अपने हितों को देखकर करने लगे हैं’। और एक ही प्रकार की किसी घटना में कुछ लोगों को मानवाधिकार का हनन दिखता है और वैसी ही किसी दूसरी घटना में उन्हीं लोगों को मानवाधिकार का हनन नहीं दिखता। इस प्रकार की मानसिकता भी मानवाधिकार को बहुत ज्यादा नुकसान पहुंचाती है।

पीएम मोदी ने कहा कि हमने सदियों तक अपने अधिकारों के लिए संघर्ष किया। एक राष्ट्र के रूप में, एक समाज के रूप में अन्याय-अत्याचार का प्रतिरोध किया। एक ऐसे समय में जब पूरी दुनिया विश्व युद्ध की हिंसा में झुलस रही थी, भारत ने पूरे विश्व को ‘अधिकार और अहिंसा’ का रास्ता सुझाया।

पीएम मोदी ने कहा कि भारत आत्मवत सर्वभूतेषु के महान आदर्शों, संस्कारों और विचारों को लेकर चलने वाला देश है। आत्मवत सर्वभूतेषु यानि जैसा मैं हूं वैसे ही सब मनुष्य हैं। मानव-मानव में, जीव-जीव में भेद नहीं है। इसके साथ उन्होंने सरकार के द्वारा किए फैसलों के बारे में लोगों को बताया।

क्या होते हैं मानवाधिकार?
संयुक्त राष्ट्र (UN) की परिभाषा के मुताबिक ये अधिकार जाति, लिंग, राष्ट्रीयता, भाषा, धर्म या किसी अन्य आधार पर भेदभाव किये बिना सभी को प्राप्त हैं। मानवाधिकारों में मुख्यतः जीवन और स्वतंत्रता का अधिकार, गुलामी और यातना से मुक्ति का अधिकार, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार और काम एवं शिक्षा का अधिकार, आदि शामिल हैं। कोई भी व्यक्ति बिना किसी भेदभाव के इन अधिकारों को प्राप्त करने का अधिकारी होता है।

राष्ट्रीय मानवाधिकार की क्या करता है?

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की स्थापना 12 अक्तूबर 1993 को मानवाधिकारों की रक्षा और उन्हें बढ़ावा देने के उद्देश्य के साथ की गई थी। एनएचआरसी मानवाधिकारों के उल्लंघन का संज्ञान लेता है, जांच करता है और सार्वजनिक प्राधिकारों द्वारा पीड़ितों को दिए जाने के लिए मुआवजे की सिफारिश करता है।

यह संविधान द्वारा दिये गए मानवाधिकारों मसलन – जीवन का अधिकार, स्वतंत्रता का अधिकार और समानता का अधिकार, बोलने का अधिकार की रक्षा करता है।