Lockdown बढ़ाए जाने की संभावनाएं, PM Modi सुबह 10 बजे कर सकते हैं ऐलान


ज़रा सोचिए भारत में 30 करोड़ गरीब लोगों का क्या होगा जो अपने परिवार को भोजन खिलाने के लिए दिहाड़ी मजदूरी पर निर्भर रहता है। क्या लॉकडाउन बढ़ने से उत्पन्न भुखमरी उनके परिवार को निगल नहीं जाएगी ?



संदीप राणा 
21 दिनों के लॉकडाउन के आखिरी दिन यानि 14 अप्रैल तक भारत में कोरोना संक्रमितों की संख्या 9352 पहुंच गई है। बीते रविवार को जहां पूरे देशभर में कोरोना के 795 नए मामले सामने आए हैं वहीं इस कोरोना वायरस की वजह से 35 मौतें भी हुई हैं। लिहाजा लॉकडाउन को आगे बढ़ाना कोरोना से जंग में एक शर्त बन चुका है। और प्रधानमंत्री की सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों से वीडियो कांफ्रेंसिंग से संकेत मिलते हैं कि भारत में आने वाले कुछ हफ़्तों तक लॉकडाउन की अवधि बढ़ाई जा सकती है।

लॉक डाउन की अवधि क्यों बढ़ाई जानी चाहिए ? 

1. लगातार बढ़ते कोरोना के मामले : लॉकडाउन को बढ़ाने की एक मुख्य वजह है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, पिछले 24 घंटे में संक्रमण के 905 नए मामले सामने आए जबकि 51 लोगों की मौत हो गई। इसके साथ ही सोमवार को संक्रमितों की कुल संख्या 9,352 तक पहुंच गई और मृतकों की संख्या 324 हो गई।

2. कोरोना मामलों पर नियंत्रण पाना : भारत में अन्य देशों के उलट कोरोना संक्रमितों की संख्या 0 से 100 तक बहुत कम समय पहुंच गई थी और यदि वही हालात रहते तो सरकार के दावे के अनुसार 15 अप्रैल तक भारत में भी 8.2 लाख कोरोना पॉजिटिव होते और अगर ऐसा होता तो भारत के लिए इस स्थिति से निपटना लगभग नामुमकिन हो जाता।  

लॉकडाउन अवधि बढ़ाने से आने वाली चुनौतियां ? 

1. बेरोजगारी और भुखमरी को बढ़ावा :हाल ही में एक एक हिंदी समाचार चैनल ने अपने लॉकडाउन से हो रहे घाटे का हवाला देते हुए अपने 15 कर्मचारियों को काम से निकाल दिया। और ये तब हुआ जब सरकार की तरफ से पहले ही एडवाइजरी जारी की जा चुकी है कि कोई भी कंपनी इस संकट की घड़ी में अपने कर्मचारियों को काम से न निकालें और समय पर वेतन दें। ज़ाहिर है कि हर व्यक्ति के लिए सरकार की एडवाइजरी से ज्यादा महत्वपूर्ण अपना लाभ और नुकसान है। ये तस्वीर तो शहरों में पढ़े लिखे नौकरी पेशेवालों की है। ज़रा सोचिए भारत में 30 करोड़ गरीब लोगों का क्या होगा जो अपने परिवार को भोजन खिलाने के लिए दिहाड़ी मजदूरी पर निर्भर रहता है। क्या लॉकडाउन बढ़ने से उत्पन्न भुखमरी उनके परिवार को निगल नहीं जाएगी ?   

2. अर्थव्यवस्था पर सीधा असर : लॉकडाउन के आखिरी दिन लॉकडाउन बढ़ने की खबरों पर तेजी के कारण सेंसेक्स 500 अंक लुढ़ककर बंद हुआ। स्पष्ट है कि निवेशकों को भारतीय बाजार में निवेश करने के लिए हालात सुधारते हुए नज़र नहीं आए जिसका सीधा सीधा असर भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी पड़ेगा। मार्केट एक्सपर्ट सुनील शाह के अनुसार अभी भारतीय बाजार के  हालात पेचीदा और अनिश्चित हैं जो निवेशकों को पैसा पीछे खींचने को मजबूर कर रहे हैं।

तो सरकार के संभावित फैसले क्या हो सकते हैं ? 

आप जानते हैं कि निम्नवर्गीय लोग मध्य-निम्न वर्गीय लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। सभी मुख्यमंत्रियों, खुफिया विभागों और विश्वसनीय सूत्रों से मिली जानकारी के आधार उम्मीद कि जा रही है कि इस बार सरकार कृषि के साथ-साथ कारखानों और माल के ट्रांसपोर्ट को छूट दे सकती है।

बंदिशें खासकर ऐसे इलाकों तक सीमित रह सकती हैं जहां कोरोना के मामले ज्यादा हैं। 21 दिन के लॉकडाउन में खेती से जुड़े कामों को छूट थी, लेकिन कारखाने बंद थे, जिससे लोगों के रोजगार छिन गए। इसबार लॉकडाउन में सरकार छोटे और मध्यम उद्योगों को खोल सकती है। कारखाना मालिकों से मजदूरों के खाने-पीने और रहने का इंतजाम करने को कहा जा सकता है।

हालांकि सरकार के लॉकडाउन को बढ़ाने की संभावनाएं काफी प्रबल हैं मगर प्रधानमंत्री मोदी ने कई बार अपने अलग अंदाज़ में बड़े फैसले लिए हैं और सभी लोगों को चौंकाया है. ऐसे में अगर सरकार एक बार फिर कुछ अलग हटकर फैसले लेती है तो जनसामान्य को हैरानी नहीं होगी।  

  



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