नई दिल्ली। सोमवार को लॉकडाउन से बाहर निकलने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ चर्चा की। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि राज्य केंद्र के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। कैबिनेट सचिव, राज्यों के सचिव के साथ लगातार संपर्क में हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे मौके पर संतुलित रणनीति के साथ आगे बढ़ें। इसके साथ जो चुनौतियां सामने हैं, उन पर काम करें।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आप सभी के सुझावों से दिशा-निर्देश निर्धारित हो। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत इस संकट से अपने आपको बचाने में बहुत हद तक सफल हुआ है। राज्यों ने जिम्मेदारी निभाई है, लेकिन लोगों के बीच दो गज की दूरी कम हुई तो संकट बढ़ेगा। लॉकडाउन लागू करने में सभी की भूमिका महत्वपूर्ण रही। पीएम ने कहा कि हमारे प्रयास रहे कि जो जहां है वहीं रहे। लेकिन हमें कुछ निर्णय बदलने भी पड़े। कोराना वायरस गांव तक ना पहुंचे, अब यही सबसे बड़ी चुनौती है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी राज्य के मुख्यमंत्रियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिग के जरिए उनसे कोरोना लॉकडाउन से बाहर निकलने पर चर्चा की। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने लॉकडाउन और अर्थव्यवस्था से जुड़ी कई चीजों पर उनके साथ विचार विमर्श कर उनसे राय जानी। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जहां एक तरफ अंतरराज्यीय सप्लाई चेन को सुचारू रुप से बहाल करने की मांग की तो वहीं गुजरात के मुख्यमंत्री का यह मानना था कि सिर्फ कंटेनमेंट जोन तक ही लॉकडाउन लागू रहना चाहिए।
हालांकि, मंगलवार से करीब 50 दिन बाद शुरू होने जा रही रेल सेवा का तेलंगाना का मुख्यमंत्री ने विरोध किया। तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने कहा कि रेलवे की शुरुआत होने के बाद कोरोना संक्रमण और तेजी से साथ बढ़ेगा। इसलिए, उन्होने सरकार की मांग की कि वे इस पर पर्याप्त योजना लेकर आए। मुख्यमंत्रियों के साथ इस वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान पीएम मोदी के साथ गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण भी मौजूद थीं।
इस बैठक में गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रुपाणी ने कहा कि लॉकडाउन को कंटेनमेंट जोन तक ही सीमित रखा जाना चाहिए। सुरक्षात्मक उपायों के साथ आर्थिक गतिविधियों को शुरू करने के साथ ही और गर्मी छुट्टी के बाद स्कूल- कॉलेजों को खोलने और सार्वजनिक परिवहन को धीरे से शुरू करना चाहिए। वहीं आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी ने कहा कि राज्य में करी 30 हजार लोगों को अतिसंवेदनशील मानकर उनकी जांच की गई। हमें हालात सामान्य करने की और उस कलंक के धब्बे को खत्म करने की जरूरत है। कोरोना पॉजिटिव परिवार सामाजिक बहिष्कार का सामना कर रहे हैं। हमने लोगों से यह अपील की है कि वे सेल्फ आइसोलेशन के लिए आगे आएं।
इसके अलावा राज्स्थान के मुख्यमंत्री ने कहा कि अंतरराज्यीय सप्लाई चेन को सही तरीके से काम करने देना चाहिए। बिना राशन कार्ड के भी लोगों को राहत मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारे राज्य में इकॉनोमिक टास्क फोर्स का गठन किया गया है. जो प्रवासी मजदूर फंसे हुए है और वापस नहीं जा रहे हैं उन्हें कुछ निश्चित गतिविधियों में लगाया जाना चाहिए।
वहीं बैठक में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि एक राज्य के तौर पर हम कोरोना संक्रमण से लड़ने में अपना बेहतर कर रहे हैं। केन्द्र को इस मुश्किल घड़ी में राजनीति नहीं करनी चाहिए। हम अंतरराष्ट्रीय सीमाओं और अन्य बड़े राज्यों घिरे हुए हैं और इसका सामना करना चुनौतीपूर्ण है। इस अलावा देश के अन्य मुख्यमंत्रियों ने भी अपनी बात रखी।
हमने इस बात पर जोर दिया कि जो जहां पर हैं वे वहीं पर रहें। लेकिन, घर जाना मानव का स्वभाव है इसलिए कुछ निर्णय बदलने भी पड़े। इसके बावजूद यह सुनिश्चित करना कि यह न फैले और गांव तक न जाए ये हमारे लिए बड़ी चुनौती है। – नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री