नई दिल्ली। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा ने रोजगार के मुद्दे पर बृहस्पतिवार को युवाओं के साथ डिजिटल संवाद किया और कहा कि उत्तर प्रदेश में संविदा नीति के खिलाफ सड़क पर उतरकर आवाज उठाई जाएगी।
पार्टी की ओर से जारी बयान के मुताबिक प्रियंका ने 2016 की शिक्षक भर्ती के 12460 अभ्यर्थियों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बातचीत की। यह बातचीत प्रियंका गांधी द्वारा हाल ही में शुरू किए गए युवाओं के साथ रोजगार पर संवाद का हिस्सा है।
इस संवाद के दौरान प्रियंका ने कहा, ‘‘मेरा मानना है कि युवाओं की बात सुननी पड़ेगी और उनके मुद्दों के लिए हमें सड़क से लेकर सदन तक इन मुद्दों पर लड़ना होगा। कांग्रेस पार्टी इसमें पीछे नहीं हटने वाली।’’ कांग्रेस का दावा है कि 2016 की शिक्षक भर्ती विज्ञापन में 51 जिलों में पद थे लेकिन 24 जिलों में पद शून्य थे। विगत 3 साल से शून्य जनपद वाले अभ्यर्थी कोर्ट- कचहरी के चक्कर काट रहे हैं।
5 साल संविदा कानून एक काला कानून है।
युवाओं की भर्तियों पर ताला लगाना अन्याय है।इस अन्याय के खिलाफ युवा अपना हक मांगने के लिए सड़कों पर उतर रहे हैं तो उनकी बात सुननी चाहिए।
आपकी लाठी इस युवा ललकार को दबा नहीं सकती।#राष्ट्रीय_बेरोजगार_दिवस #NationalUnemploymentDay pic.twitter.com/EJMFj7B3WI
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) September 17, 2020
पार्टी के अनुसार, अभ्यर्थियों ने प्रियंका गांधी को अपनी पीड़ा से अवगत कराया। प्रियंका ने वादा किया वह हरसंभव मदद करेंगी।
उन्होंने यह भी कहा, ‘‘यह हमारे लिए राजनीतिक मुद्दा नहीं बल्कि मानवीय संवेदनाओं का मसला है। यह न्याय का सवाल है।’’
प्रियंका ने उत्तर प्रदेश में समूह ख और ग की नौकरियों को पांच साल की संविदा के प्रावधान संबंधी प्रस्ताव को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार पर निशाना साधा।
वाह री सरकार
पहले तो नौकरी ही नहीं दोगे। जिसको मिलेगी उसको 30-35 से पहले नहीं मिलेगी। फिर उस पर 5 साल अपमान वाली संविदा की बंधुआ मजदूरी।
और अब कई जगहों पर 50 वर्ष पर ही रिटायर की योजना।
युवा सब समझ चुका है। अपना हक मांगने वो सड़कों पर उतर चुका है।#राष्ट्रीय_बेरोजगार_दिवस pic.twitter.com/Gg8w70GzdM
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) September 16, 2020
उन्होंने कहा, ‘‘यह काला कानून है। इस के खिलाफ सड़क पर उतरा जाएगा। हम ऐसी नीति लाएंगे जिसमें युवाओं का अपमान करने वाला संविदा कानून नहीं बल्कि सम्मान के कानून हों।’’