पंजाब कांग्रेस कलह: अमरिंदर सिंह मंगलवार को दिल्ली में AICC की समिति से करेंगे मुलाकात


पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह मंगलवार को दिल्ली में एआईसीसी की तीन सदस्यीय समिति से मिलेंगे, जिसका गठन राज्य इकाई में चल रही गुटबाजी को खत्म करने और अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी को मजबूत करने के लिए किया गया है।


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नई दिल्ली। पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह मंगलवार को दिल्ली में एआईसीसी की तीन सदस्यीय समिति से मिलेंगे, जिसका गठन राज्य इकाई में चल रही गुटबाजी को खत्म करने और अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी को मजबूत करने के लिए किया गया है।

सूत्रों ने कहा कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने राज्य कांग्रेस में बदलाव से पहले सोमवार को अमृतसर के सांसद गुरजीत सिंह औजला और फतेहगढ़ साहिब के विधायक कुलजीत सिंह नागरा सहित पंजाब के कुछ नेताओं से मुलाकात की।

मंगलवार को उनके कुछ और नेताओं से मिलने की उम्मीद है।

सूत्रों ने बताया कि अमरिंदर सिंह राष्ट्रीय राजधानी में हैं और राज्य कांग्रेस के पुनर्गठन सहित पंजाब कांग्रेस में लंबित मुद्दों को हल करने के लिए मल्लिकार्जुन खड़गे की अध्यक्षता में गठित एआईसीसी की समिति के साथ सुबह 11 बजे बैठक करेंगे।

नवजोत सिंह सिद्धू का नाम भी शामिल

सोनिया ने पंजाब कांग्रेस के अन्य दिग्गज नेताओं को दिल्ली बुलाया है, जिससे विधानसभा चुनावों से पहले पार्टी में जारी कलह खत्म हो सके। कांग्रेस में पार्टी नेतृत्व को लेकर पंजाब में लगातार सियासी हलचल बढ़ी हुई है। इन नेताओं में नवजोत सिंह सिद्धू का नाम भी शामिल है, जिनकी कैप्टन खेमे से असहमति जगजाहिर है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि कैप्टन अमरिंदर, कांग्रेस हाईकमान से साथ मंगलवार को प्रस्तावित बैठक में शामिल होने के लिए सोमवार को दिल्ली पहुंच सकते हैं। कैप्टन सोनिया गांधी से मुलाकात करेंगे। सोनिया गांधी को पंजाब में मचे सियासी हलचल पर तीन सदस्यीय कमेटी की रिपोर्ट भी मिल गई है। इस समिति ने विधायकों और सांसदों से मुलाकात की थी।

इससे पहले जून के पहले सप्ताह में मुख्यमंत्री ने तीन घंटे के लिए अपना पक्ष समिति के सामने रखा था। समिति ने पार्टी के विधायकों, सांसदों और अन्य नेताओं से मुलाकात की थी। रिपोर्ट सौंपे जाने के लगभग दो सप्ताह से अधिक समय बीत जाने के बाद से स्थिति की जटिलता स्पष्ट है। मुख्यमंत्री ने तीन घंटे के लिए समिति के सामने अपना पक्ष रखा था। समिति ने पार्टी के विधायकों, सांसदों और अन्य नेताओं से मुलाकात की थी। स्थिति की जटिलता उस समय से स्पष्ट है जब रिपोर्ट प्रस्तुत किए जाने के लगभग दो सप्ताह बाद समाधान खोजने में समय लग रहा है।



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