रघुवंश प्रसाद सिंह : मनरेगा के ‘शिल्पकार’ और लालू प्रसाद के ‘संकटमोचक’

लालू शुरू से ही एक जुझारू नेता थे। बहुत जल्द किसी के साथ घुल-मिल जाना लालू यादव खासियत थी और फिर उसी बांकीपुर जेल में जब से लालू यादव से मुलाकात हुई तभी से लालू-रघुवंश में दोस्ती शुरू हो गई। तब से लेकर आज तक यह दोस्ती खट्टे-मीठे यादों के साथ कायम रही। दुनिया को अलविदा करने के पहले रघुवंश बाबू ने इस दोस्त से विदा ले लिया था।

डॉ. रघुवंश प्रसाद सिंह केवल विचार से नहीं, आचरण से खांटी समाजवादी थे। आखिरी दम तक समाज के लिए कुछ कल्याणकारी काम करने की कोशिश में अस्पताल के बिस्तर पड़े-पड़े मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर मनरेगा कानून संशोधन और वैशाली के विकास के बारे में आग्रह किया। मनरेगा के शिल्पकार रघुवंश बाबू को लालू प्रसाद यादव का संकटमोचक कहा जाता है। वह बिहार में पिछड़ों की पार्टी का तमगा हासिल करने वाले आरजेडी का सबसे बड़ा सवर्ण चेहरा भी थे। बिहार और समूचे देश भर में रघुवंश प्रसाद सिंह की पहचान एक प्रखर समाजवादी नेता के तौर पर है जो हमेशा गांव और गरीब का आवाज उठाता रहा। बेदाग और बेबाक अंदाज वाले रघुवंश बाबू को शुरू से ही पढ़ने और लोगों के बीच में रहने का शौक रहा है।

रघुवंश प्रसाद सिंह राजनेता बाद में बने और प्रोफेसर पहले। बिहार यूनिवर्सिटी से डॉक्टरेट की डिग्री प्राप्त करने के बाद डॉ. रघुवंश प्रसाद सिंह ने साल 1969 से 1974 के बीच करीब 5 सालों तक सीतामढ़ी के गोयनका कॉलेज में बच्चों को गणित पढ़ाया। गणित के प्रोफेसर के तौर पर डॉ. रघुवंश प्रसाद सिंह ने नौकरी की और इस बीच कई आंदोलनों में जेल भी गए। पहली बार 1970 में रघुवंश प्रसाद टीचर्स मूवमेंट के दौरान जेल गए। उसके बाद जब वे कर्पूरी ठाकुर के संपर्क में आए तब साल 1973 में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के आंदोलन के दौरान फिर से जेल चले गए। इसके बाद तो उनके जेल आने जाने का सिलसिला ही शुरू हो गया।

इस दौरान वह करीब 11 बार जेल गए। इसमें साल 1974 यानी जेपी आंदोलन में रघुवंश प्रसाद सिंह ने खूब बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया और फिर दोबारा से उन्हें जेल में बंद कर दिया गया। इमरजेंसी के दौरान जब बिहार में जगन्नाथ मिश्र की सरकार थी, तो बिहार सरकार ने जेल में बंद रघुवंश प्रसाद सिंह को प्रोफेसर के पद से बर्खास्त कर दिया। सरकार के इस फैसले के बाद रघुवंश प्रसाद सिंह ने कभी मुड़कर पीछे नहीं देखा और फिर कर्पूरी ठाकुर और जयप्रकाश नारायण के रास्ते पर तेजी से चल पड़े।

इसी दौरान साल 1974 में मीसा कानून के तहत रघुवंश बाबू की गिरफ्तारी हुई और उन्हें मुजफ्फरपुर जेल में बंद किया गया। फिर उन्हें मुजफ्फरपुर से पटना के बांकीपुर जेल में ट्रांसफर किया गया, जहां उनकी पहली बार लालू यादव से मुलाकात हुई। जो पटना यूनिवर्सिटी में छात्र नेता थे और जेपी मूवमेंट में काफी सक्रिय थे। लालू शुरू से ही एक जुझारू नेता थे। बहुत जल्द किसी के साथ घुल-मिल जाना लालू यादव खासियत थी और फिर उसी बांकीपुर जेल में जब से लालू यादव से मुलाकात हुई तभी से लालू-रघुवंश में दोस्ती शुरू हो गई। तब से लेकर आज तक यह दोस्ती खट्टे-मीठे यादों के साथ कायम रही। दुनिया को अलविदा करने के पहले रघुवंश बाबू ने इस दोस्त से विदा ले लिया था।

रघुवंश बाबू साल 1977 से 1979 तक बिहार सरकार में ऊर्जा मंत्री रहे। इसके बाद उन्‍हें लोकदल का अध्‍यक्ष भी बनाया गया, फिर साल 1985 से 1990 के दौरान रघुवंश प्रसाद लोक लेखा समिति के अध्‍यक्ष रहे। लोकसभा के सदस्‍य के तौर पर उनका पहला कार्यकाल साल 1996 से शुरू हुआ। साल 1996 के लोकसभा चुनाव में निर्वाचित हुए और उन्‍हें पशुपालन और डेयरी उद्योग राज्‍यमंत्री बनाया गया। लोकसभा में दूसरी बार रघुवंश प्रसाद सिंह साल 1998 में निर्वाचित हुए और साल 1999 में तीसरी बार लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए। साल 2004 में चौथी बार उन्‍हें लोकसभा सदस्‍य के रूप में चुना गया और 23 मई 2004 से 2009 तक वे ग्रामीण विकास मंत्रालय में कैबिनेट मंत्री रहे। इसके बाद 2009 के लोकसभा चुनाव में उन्‍होंने पांचवी बार जीत दर्ज की।

यूपीए-2 में भी उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल होने का मौका मिला था, लेकिन लालू यादव की दोस्ती की वजह से ही मंत्री पद के इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया। उसके बाद से आज तक रघुवंश प्रसाद सिंह अपनी दोस्ती के खातिर और लालू की खुशी के लिए समझौता ही करते रहे।

रघुवंश प्रसाद सिंह अपने दो भाइयों में बड़े हैं। उनके छोटे भाई रघुराज सिंह का पहले ही देहांत हो गया है। रघुवंश प्रसाद सिंह की धर्मपत्नी जानकी देवी भी अब इस दुनिया में नहीं हैं। रघुवंश बाबू को दो बेटे और एक बेटी है। उनके परिवार से उनके अलावा कोई राजनीति में सक्रिय नहीं है। रघुवंश प्रसाद के दोनों बेटे इंजीनियरिंग की पढ़ाई करके नौकरी कर रहे हैं। बड़े बेटे सत्यप्रकाश दिल्ली में इंजीनियर हैं। उनका छोटा बेटा शशि शेखर भी पेशे से इंजीनियर है और हांगकांग में नौकरी करते हैं। इसके अलावे एक बेटी है, वह पत्रकार है और टीवी चैनल में काम करती हैं।

 

 

First Published on: September 14, 2020 3:52 PM
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