राजनाथ ने वियतनाम को 12 तटरक्षक नौकाएं सौंपी


रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बृहस्पतिवार को वियतनाम को 12 तेज गति वाली तटरक्षक नौकाएं सौंपी। इन नौकाओं का निर्माण भारत द्वारा वियतनाम को दी गई 10 करोड़ डॉलर की ऋण सहायता के तहत किया गया है।


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नई दिल्ली। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बृहस्पतिवार को वियतनाम को 12 तेज गति वाली तटरक्षक नौकाएं सौंपी। इन नौकाओं का निर्माण भारत द्वारा वियतनाम को दी गई 10 करोड़ डॉलर की ऋण सहायता के तहत किया गया है।

राजनाथ ने अपने वियतनाम दौरे के दूसरे दिन होंग हा पोत कारखाने में आयोजित एक समारोह में यह अत्याधुनिक तटरक्षक नौकाएं(हाई-स्पीड गार्ड बोट) सौंपीं। यह नौकाएं ऐसे समय में वियतनाम को सौंपी गयी हैं जब दक्षिण चीन सागर क्षेत्र में बीजिंग की बढ़ती सैन्य गतिविधियों से निपटने के लिए दोनों पक्षों के बीच समुद्री सुरक्षा सहयोग बढ़ रहा है।

रक्षा मंत्री आठ से 10 जून तक वियतनाम के तीन दिवसीय दौरे पर हैं।

रक्षा मंत्री ने इस अवसर पर कहा, “भारत द्वारा 10 करोड़ अमेरिकी डालर की रक्षा ऋण सहायता के तहत 12 अत्याधुनिक तटरक्षक नौकाओं के निर्माण की परियोजना के सफल समापन के अवसर पर इस ऐतिहासिक समारोह में शामिल होकर मुझे बहुत खुशी हो रही है।”

शुरुआती पांच नौकाओं का निर्माण भारत में एलएंडटी शिपयार्ड में किया गया था जबकि शेष सात को होंग हा पोत कारखाने में बनाया गया था।

सिंह ने कहा, “मुझे विश्वास है कि यह सहयोग भारत और वियतनाम के बीच कई और सहकारी रक्षा परियोजनाओं का अग्रदूत साबित होगा।”

उन्होंने कहा, “यह परियोजना हमारे “मेक इन इंडिया- मेक फॉर द वर्ल्ड’ मिशन का एक जीता-जागता उदाहरण है।”

रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत को बहुत खुशी होगी अगर वियतनाम जैसे करीबी दोस्त रक्षा विनिर्माण क्षेत्र में शामिल हों।

उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी के बावजूद सफलतापूर्वक इस परियोजना का पूरा होना भारतीय रक्षा निर्माण क्षेत्र और होंग हा पोत कारखाने की प्रतिबद्धता और पेशेवर उत्कृष्टता को दर्शाता है।

राजनाथ ने अपने संबोधन में कहा कि भारतीय रक्षा उद्योग ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘आत्मनिर्भर भारत’ के दृष्टिकोण के तहत अपनी क्षमताओं में काफी वृद्धि की है।

उन्होंने कहा कि इसका उद्देश्य भारत को एक रक्षा विनिर्माण केंद्र बनाने के लिए एक घरेलू उद्योग का निर्माण करना है जो न केवल घरेलू जरूरतों को पूरा करता है बल्कि अंतरराष्ट्रीय आवश्यकताओं की भी पूर्ति करे।

इससे पहले बुधवार को भारत और वियतनाम ने 2030 तक रक्षा संबंधों के ‘‘दायरे’’ को और व्यापक बनाने के लिए एक ‘विज़न’ दस्तावेज़ और दोनों देशों की सेनाओं को एक-दूसरे के प्रतिष्ठानों का इस्तेमाल करने की अनुमति देने के वास्ते ‘लॉजिस्टिक सपोर्ट’ (समान और सेवाओं की आवाजाही को साझा समर्थन) समझौते पर हस्ताक्षर किए।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को वियतनाम के अपने समकक्ष जनरल फान वान गियांग के साथ मुलाकात की और दोनों देशों के बीच रक्षा एवं सुरक्षा सहयोग बढ़ाने पर सहमति बनने के बाद इन समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए।

दक्षिण चीन सागर में चीन की बढ़ती आक्रामकता के बीच दोनों देश के मध्य सामरिक संबंध में इस प्रगति को अहम माना जा रहा है।

यह पहला ऐसा बड़ा समझौता है, जो वियतनाम ने किसी देश के साथ किया है। इस समझौते से दोनों देशों की सेना एक-दूसरे के प्रतिष्ठानों का इस्तेमाल मरम्मत कार्य के लिए तथा आपूर्ति संबंधी कार्य के लिए कर पाएगी।

वियतनाम, आसियान (दक्षिण पूर्वी एशियाई राष्ट्रों का संगठन) का एक महत्वपूर्ण देश है और उसका दक्षिण चीन सागर क्षेत्र में चीन के साथ क्षेत्रीय विवाद है।

भारत, दक्षिण चीन सागर में वियतनामी जल क्षेत्र में तेल निकालने संबंधी परियोजनाएं चला रहा है। भारत और वियतनाम साझा हितों की रक्षा के वास्ते पिछले कुछ वर्षों में अपने समुद्री सुरक्षा सहयोग को बढ़ाने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं।

रक्षा मंत्रालय ने कहा कि वियतनाम, भारत की ‘एक्ट ईस्ट नीति’ तथा ‘इंडो-पैसिफिक विज़न’ में एक महत्वपूर्ण भागीदार बन गया है और दोनों देश 2,000 साल से अधिक पुराने सभ्यतागत एवं सांस्कृतिक संबंधों का एक समृद्ध इतिहास साझा करते हैं।

जुलाई 2007 में वियतनाम के तत्कालीन प्रधानमंत्री गुयेन तान डुंग की भारत यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच संबंधों को ‘‘रणनीतिक साझेदारी’’ का दर्जा दिया गया था। 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वियतनाम यात्रा के दौरान, इस दर्जे को बढ़ाकर ‘‘व्यापक रणनीतिक साझेदारी’’ कर दिया गया था।

वियतनाम, भारत की ‘एक्ट ईस्ट नीति’ और ‘इंडो-पैसिफिक विज़न’ में एक महत्वपूर्ण भागीदार बन गया है।