राज्यसभा सांसद इलैयाराजा को पुजारी ने मंदिर के गर्भगृह में जाने से रोका


इलैयाराजा अपने संगीत के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्ध हैं। उन्होंने मुख्य रूप से दक्षिण भारतीय भाषाओं में बनी फ़िल्मों में संगीत दिया है।उन्होंने 7000 हजार से ज्यादा गीतों की रचना की है। इसके अलावा उन्होंने बीस हजार से अधिक कान्सर्ट में हिस्सा लिया हैं।


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नई दिल्ली। भारत लगातार विकास की नई-नई ऊंचाईयों को छू रहा है। आज भारत की पहुंच चांद तक है। भारत दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। इसके बाद भी देश में लोगों को जातिगत भेदभाव का सामना करना पड़ता है।

इस बार जातिगत भेदभाव का सामना राज्यसभा सांसद इलैयाराजा को करना पड़ा है। उन्हें तमिलनाडु के श्रीविल्लिपुथुर के आंदल मंदिर के गर्भगृह में जाने से रोक दिया गया। इलैयाराजा अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त संगीतकार हैं। उनका जन्म 3 जून 1943 को तमिलनाडु के थेनि जिले में एक दलित परिवार में हुआ था।

तमिलनाडु के श्रीविल्लिपुथुर के आंदल मंदिर में प्रसिद्ध संगीतकार और राज्यसभा सांसद इलैयाराजा के साथ जातिगत भेदभाव का चौंकाने वाला मामला सामने आया है। मंदिर के पुजारी ने उन्हें गर्भगृह (मंदिर के मुख्य स्थान) में प्रवेश करने से रोक दिया। इसके बाद उन्हें वहां से बाहर निकाल दिया।

इलैयाराजा अपने संगीत के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्ध हैं। उन्होंने मुख्य रूप से दक्षिण भारतीय भाषाओं में बनी फ़िल्मों में संगीत दिया है।उन्होंने 7000 हजार से ज्यादा गीतों की रचना की है। इसके अलावा उन्होंने बीस हजार से अधिक कान्सर्ट में हिस्सा लिया हैं। उन्हें “इसैज्ञानी” (संगीत ज्ञानी) के उपनाम से जाना जाता है।

इलैयाराजा को शताब्दी पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।उन्हें पांच नेशनल अवार्ड मिले हैं। भारत ने उन्हें 2010 में पद्मभूषण से और 2018 में पद्मविभूषण से सम्मानित किया था। 2012 में उन्हें संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। वो लंदन के ट्रिनिटी संगीत महाविद्यालय से क्लासिकल गितार वादन में स्वर्ण पदक विजेता हैं।

बता दें कि उनका जन्म 3 जून 1943 को भारत के तमिलनाडु के वर्तमान थेनी जिले के पन्नईपुरम के एक तमिल परिवार में ज्ञानथेसिगन के रूप में हुआ था। उनकी और जनेता एम. करुणानिधि दोनों की जन्मतिथि एक ही तारीख (3 जून) को है। इसी वजह से उन्होंने अपनी जन्मतिथि 2 जून को मनाने का फैसला किया था, ताकि लोग केवल करुणानिधि की जन्मतिथि 3 जून को मना सकें। इसके बाद उन्हें “इसाइगनानी” की उपाधि दी गई थी।



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