कोरोना से निपटने में भारत से आगे निकले सार्क देश

भारत अब मरीजों की संख्या के मामले में अमेरिका और ब्राजील से ही पीछेहै। कोविड-19 से हुई कुल हुई मौतों के मामले में भारत से आगे ब्रिटेन,मेक्सिको,अमेरिका, ब्राजील ही है। कोरोना को लेकर तमाम दावे ने सरकार ने किए थे। वे सिर्फ दावे दिखे, जमीन पर उसके परिणाम नहीं आए।

सार्क के कुछ सदस्य देश-बांग्लादेश, श्रीलंका, नेपाल और पाकिस्तान कम संसाधन होने के बावजूद अभी तक कोरोना से निपटने में भारत से बेहतर साबित हुए है। भारत में सख्त लॉकडाउन कर कोरोना की चेन तोड़ने की बात की गई थी। लोगों ने सख्त लॉकडाउन की तमाम पीड़ाएं भी झेली। लेकिन कोरोना का चेन नहीं टूटा। सरकार बेशक न माने, लेकिन कोरोना का कम्युनिटी ट्रांसमिशन भारत में हो रहा है। भारत में रोगी 20 लाख पार कर गए।
भारत अब मरीजों की संख्या के मामले में अमेरिका और ब्राजील से ही पीछे है। कोविड-19 से हुई कुल हुई मौतों के मामले में भारत से आगे ब्रिटेन, मेक्सिको, अमेरिका, ब्राजील ही है। कोरोना को लेकर तमाम दावे ने सरकार ने किए थे। वे सिर्फ दावे दिखे, जमीन पर उसके परिणाम नहीं आए। अहमदाबाद के एक अस्पताल में आग लगने से कोरोना मरीजों की हुई मौतों ने साबित किया है कि इस देश में निजी स्वास्थ्य सेवाएं किस हदतक लापरवाही करती है। 

भारत को राहत यही मिली है कि भारत में विकसित देशों के मुकाबले कोविड-19 के कारण होने वाली मौतों की दर कम है। अगर 7 अगस्त के आंकड़ों को देखे तो भारत में कोविड-19 के कारण होने वाली मृत्युदर 2.10 प्रतिशत है। लेकिन मौतों के दर के मामले मे भारत से बेहतर प्रदर्शन श्रीलंका, नेपाल और बांग्लादेश ने किया है। वहीं पाकिस्तान और भारत में मौतों की दर लगभग बराबर है। लेकिन पाकिस्तान ने रिकवरी रेट में भारत को मात दे दी है। पाकिस्तान में कोविड-19 से होने वाली मृत्यु दर 2.14 प्रतिशत है। वहीं नेपाल में कोविड-19 की मृत्यु दर 0.29 प्रतिशत है। बांग्लादेश भी कोविड से होने वाली मौतों को काफी हद तक नियंत्रित किया है। बांग्लादेश में कोविड-19 की मृत्यु दर 1.32 प्रतिशत है। श्रीलंका में तो कोविड-19 से होने वाली मृत्यु दर 0.38 प्रतिशत है।

भारत में भी मरीजों का रिकवरी रेट अच्छा है। भारत में मरीजों की रिकवरी रेट 68 प्रतिशत है। लेकिन पाकिस्तान में कोविड-19 के मरीजों की रिकवरी रेट 90 प्रतिशत है। बांग्लादेश में रिकवरी रेट 57 प्रतिशत है। श्रीलंका में रिकवरी 90 प्रतिशत है। नेपाल में रिकवरी रेट 70 प्रतिशत है। कोविड-19 के कारण भारत में जहां प्रति दस लाख पर 30 लोगों की मौत हुई है, वहीं पाकिस्तान में प्रति दस लाख पर 27 लोगों की मौत हुई है। बांग्लादेश में प्रति दस लाख पर 20 लोगों की मौत हुई है। श्रीलंका में प्रति दस लाख पर 0.5 मौत हुई है। वहीं नेपाल में प्रति दस लाख पर 2 मौतें हुई है।

हम सिर्फ यही संतोष कर सकते है कि भारत में पश्चिमी देशों के मुकाबले मृत्यु दर काफी कम अमेरिका में 3.23 प्रतिशत है। ब्रिटेन में कोविड -19 से मृत्यु दर 15 प्रतिशत है तो इटली में 14 प्रतिशत है। फ्रांस में कोविड-19 से होने वाली मौतों की दर 15 प्रतिशत है। जिन देशों में कोविड-19 से होने वाली मौतों की दर काफी ज्यादा है, वे दुनिया के विकसित देश है। यहां की स्वास्थ्य व्यवस्था काफी अच्छी है। यहां स्वास्थ्य सेवाओं पर काफी पैसा खर्च होता है। लेकिन यह भी सवाल है कि क्या भारत में मृत्यु दर विकसित देशों के मुकाबले कम होने की मुख्य वजह सरकार की तैयारी है, या लोगों की खुद की इम्युनिटी ?

भारत ने मार्च के अंतिम सप्ताह में सख्त लॉकडाउन की शुरूआत की थी। उसी समय पाकिस्तान ने साफ कह दिया था कि पाकिस्तान सख्त लॉकडाउन नहीं करेगा। क्योंकि पाकिस्तान की इकनॉमी सख्त लॉकडाउन की अनुमति नहीं देती है। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने साफ कहा था कि अगर सख्त लॉकडाउन किया गया तो पाकिस्तान में भूख से मौंतें होंगी। उधर श्रीलंका कोरोना से सफलतापूर्वक लड़ रहा है। वहीं 5 अगस्त को श्रीलंका में आम चुनाव भी हो गए। 

भारत के चुनाव आयोग को श्रीलंका के चुनाव आयोग से कुछ सीखना चाहिए। क्योंकि बिहार में विधानसभा चुनाव होने वाले है। इसे टालने की मांग हो रही है। श्रीलंका में खासी संख्या में लोगों ने निकलकर वोटिंग की। कोरोना में श्रीलंका के चुनाव आयोग ने किस तरह की तैयारी चुनाव करवाने के लिए की ये भारतीय चुनाव आयोग को देखना चाहिए।

भारत में अभी भी कोरोना से जूझ रहे कई राज्य लोकल लॉकडाउन कर रहे है। वैसे भारत में कोविड-19 का भय लोगों में खत्म हो चुका है। लेकिन अब लोगों को भविष्य की चिंता सता रही है। सख्त लॉक डाउन ने लोगों की परेशानियां बढ़ा दी है। अर्थव्यवस्था की हालत पतली है। चीन, अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, फ्रांस समेत कई देशों ने बड़े-ब़ड़े आर्थिक पैकेज देकर अपनी जनता को काफी हद तक राहत दी है। भारत ने आर्थिक पैकेज का एलान किया। लेकिन अभी तक इस पैकेज का बड़ा हिस्सा बैंकों से मिलने वाला कर्ज ही है, जो निवेश के लिए है। यह बाजार में खर्च को नहीं बढाएगा। 

सरकार ने गरीबों को दिए जाने वाले पैकेज में मनरेगा की खर्च राशि में बढोतरी की है। वहीं मुफ्त और सस्ता अनाज को भी पैकेज में शामिल किया गया है। लोगों को भूख से मरने से बचाने के लिए यह जरूरी है। भारत की बड़ी आबादी के पास फिलहाल खर्च करने की ताकत कम हो गई है, क्योंकि करोड़ों लोगों के रोजगार खत्म हो गए है। भारत में सरकार चीन, अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, फ्रांस की तरह आम लोगों को खर्च के लिए सीधे धनराशि देने से बच रही है।

First Published on: August 7, 2020 9:46 AM
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