Sarojini Naidu Death Anniversary : सरोजिनी नायडू ऐसे कहलाईं ‘नाइटिंगेल ऑफ इंडिया’, जानिए उनसे जुड़ी कुछ खास बातें . . . .


‘नाइटिंगेल ऑफ इंडिया’ के नाम से जानी जाने वाली सरोजिनी नायडू की आज पुण्यतिथि है। देश में उन्हें एक राजनीतिक कार्यकर्ता, महिला अधिकारों की समर्थक, स्वतंत्रता सेनानी के रूप में याद किया जाता है…


शिवांगी गुप्ता शिवांगी गुप्ता
देश Updated On :

नई दिल्ली। ‘नाइटिंगेल ऑफ इंडिया’ के नाम से जानी जाने वाली सरोजिनी नायडू की आज पुण्यतिथि है। देश में उन्हें एक राजनीतिक कार्यकर्ता, महिला अधिकारों की समर्थक, स्वतंत्रता सेनानी के रूप में याद किया जाता है।

सरोजिनी नायडू भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की पहली भारतीय महिला अध्यक्ष थीं। उनकी प्रभावी वाणी और ओजपूर्ण लेखनी के चलते उन्हें ‘नाइटिंगेल ऑफ इंडिया’ का दर्जा हासिल हुआ।

सरोजनी नायडू का बचपन

सरोजिनी नायडू का जन्म 13 फरवरी 1879 को हैदराबाद में हुआ था। उन्होंने अपनी पढ़ाई मद्रास और लंदन के किंग्स कॉलेज में की थीं। उनके पिता घोरेनाथ चट्टोपाध्याय हैदराबाद के निजाम कॉलेज में प्रिंसिपल होने के साथ एक कुशल राजनेता भी थे। सरोजिनी गोपालकृष्ण गोखले को अपना ‘राजनीतिक पिता’ मानती थीं।
भारतीय महिला कांग्रेस की अध्यक्ष
राजनीति में सक्रीय होने के चलते सरोजिनी ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लिया। जिसके बाद वह कांग्रेस से जुड़ीं और साल 1925 में उन्हें भारतीय महिला कांग्रेस की अध्यक्ष बनाया गया। आजादी के बाद उन्हें उत्तर प्रदेश की पहली महिला राज्यपाल नियुक्त किया गया।
साहित्यिक जीवन

सरोजनी नायडू की बचपन से ही कविताओं में बहुत रुचि थी। उन्होंने अपने साहित्यिक जीवन की शुरुआत मात्र 12 साल की उम्र में कर दी थी। सरोजनी ने अपने नाटक ‘माहेर मुनीर’ से पहचान हासिल की। जिसके बाद हैदराबाद के निज़ाम की ओर से 16 साल की उम्र में सरोजिनी को छात्रवृत्ति मिली। इसके बाद वह लंदन किंग्स कॉलेज में पढ़ाई करने चली गईं।

‘कैसर-ए-हिंद’ पदक से सम्मानित

भारत में प्लेग महामारी के दौरान सरोजिनी नायडू की ओर से किए गए काम के लिए अंग्रेजी सरकार ने ‘कैसर-ए-हिंद’ पदक से सम्मानित किया था। लेकिन जलियांवाला बाग हत्याकांड के बाद उन्होंने विरोध स्वरूप यह सम्मान लौटा दिया था।

सरोजिनी नायडू का निधन आजादी के दो साल बाद 2 मार्च 1949 को लखनऊ के गवर्नमेंट हाउस में कार्डियक अरेस्ट की वजह से हुआ। वे अपने आखिरी समय में अपने कार्यालय में काम कर रही थीं।