नई दिल्ली। “बहुत बड़ी” संख्या में भारतीयों के ओमीक्रोन या कोरोना वायरस (सार्स-सीओवी-2) के किसी अन्य स्वरूप से सुरक्षित रहने की संभावना है और घबराने की कोई आवश्यकता नहीं है। प्रख्यात विषाणु विज्ञानी डॉ शाहिद जमील ने यह दावा किया है। भारतीय सार्स-सीओवी-2 जीनोमिक्स कंसोर्टिया (इनसाकॉग) के सलाहकार समूह के पूर्व प्रमुख जमील, ने कहा कि लोगों को सतर्क रहना चाहिए और मास्क पहनना चाहिए।
विज्ञानी ने साक्षात्कार में कहा, “हमें सतर्क रहना चाहिए लेकिन घबराने की जरूरत नहीं है। डेल्टा स्वरूप के कारण भारत में दूसरी लहर बहुत भीषण थी, जितना हमने सोचा था उससे अधिक लोग संक्रमित हुए थे। यह चौथे राष्ट्रीय सीरो-सर्वेक्षण में दिखा जिसमें 67 प्रतिशत भारतीयों में कोविड एंटीबॉडीज दिखीं। यानी लगभग 93-94 करोड़ लोग संक्रमित हुए थे उस समय जब टीकाकरण का स्तर बहुत कम था, और इसलिए यह मुख्य रूप से संक्रमण के कारण मिली एंडीबॉडीज थी।”
जमील ने कहा, “हाल में, दिल्ली में 97 प्रतिशत लोगों में एंटीबॉडीज, मुंबई में करीब 85 से 90 प्रतिशत लोगों में और कई स्थानों पर इसी तरह लोगों में एंडीबॉडीज दिखी। इस सबका मतलब है कि भारतीयों की बड़ी आबादी ओमीक्रोन या किसी अन्य स्वरूप से होने वाली गंभीर बीमारी से सुरक्षित रहेगी।”
कोरोना वायरस के नये स्वरूरप का दक्षिण अफ्रीका में पता चला है जिसके स्पाइक प्रोटीन में बड़ी संख्या में उत्परिवर्तन (म्यूटेशन) होने की बात सामने आई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने 26 नवंबर को बी.1.1.529 को चिंता का स्वरूप बताते हुए इसे ओमीक्रोन नाम दिया। नये स्वरूप के खिलाफ टीकों की प्रभावशीलता पर, जमील ने कहा कि ज्यादा जानकारियों की प्रतीक्षा की जा रही है लेकिन स्वरू के खिलाफ टीकों की प्रभाविता कुछ हद तक घट सकती है। टीके अनुपयोगी नहीं होंगे।
उन्होंने कहा, “हम खुशकिस्मत हैं कि हमारे पास पर्याप्त टीके हैं और टीके लगाने में सक्षम हैं। इसी क्रम में, कोविशील्ड टीके की दो खुराकों के बीच की अवधि 16 हफ्तों से घटाकर 12 हफ्ते करने से मदद मिल सकती है। इससे ज्यादा से ज्यादा लोगों को जल्दी टीका लग जाएगा, खासकर संवेदनशील आयु वर्गों (बुजुर्गों) को जिन्हें अन्य बीमारियां हैं और उच्च जोखिम वाले पेशेवरों (स्वास्थ्य लाभ) को।”
कोविड-19 के खिलाफ कमजोर होती प्रतिरक्षा से निपटने के लिए नए स्वरूप के खिलाफ टीके की बूस्टर (अतिरिक्त) खुराक क्या भूमिका निभा सकती है, इस पर उन्होंने कहा कि बूस्टर टीके मदद करते हैं, लेकिन पहले, दो खुराक के साथ अधिक लोगों को टीका लगवाना अधिक महत्वपूर्ण है। नये स्वरूप के मुख्य रूप से 25 वर्ष से कम उम्र के लोगों को प्रभावित करने की खबरों पर उन्होंने कहा कि इस विषय पर कोई डेटा उपलब्ध नहीं है।