शिमला। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री सुखराम का मंगलवार देर रात दिल्ली के एक अस्पताल में निधन हो गया। वह 94 वर्ष के थे।
सुखराम को मनाली में मस्तिष्काघात हुआ था। इसके बाद उन्हें मंडी के एक क्षेत्रीय अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां से उन्हें बेहतर इलाज के लिए हेलीकॉप्टर से सात मई को दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) लाया गया था।
अस्पताल के सूत्रों ने बताया कि सुखराम का निधन देर रात एक बजकर 35 मिनट पर हुआ।
सुखराम के पोते आश्रय शर्मा ने बताया कि उनका शव हिमाचल प्रदेश के मंडी में सेरी मंच पर बृहस्पतिवार को अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा।
इससे पहले, आश्रय शर्मा ने देर रात दो बजे सोशल मीडिया मंच फेसबुक पर लिखा था, ‘‘अलविदा दादा जी, अभी नहीं बजेगी फोन की घंटी।’’
शर्मा ने एक अन्य पोस्ट में बताया कि सुखराम का शव बुधवार शाम करीब छह बजे उनके गृह नगर मंडी लाया जाएगा।
कांग्रेस नेता के एक अन्य पोते आयुष शर्मा ने इंस्टाग्राम पोस्ट में लिखा, “बहुत भारी मन से मैं अपने प्यारे दादाजी पंडित सुखराम शर्मा को विदाई दे रहा हूं। भले ही आप चले गए हों, मुझे पता है कि आप हमेशा मेरे साथ रहेंगे, मेरा मार्गदर्शन करेंगे, आप मुझे देख रहे हैं और हमेशा की तरह मुझे आशीर्वाद देते हैं। भगवान आपकी आत्मा को शांति दे दादाजी। आप बहुत याद आएंगे।”
हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने सुखराम के निधन पर शोक व्यक्त किया। उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘ मंडी से नाता रखने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं वरिष्ठ नेता पंडित सुखराम जी के देहांत की खबर सुनकर दुखी हूं। राजनीति के क्षेत्र में उनका अहम योगदान रहा है, जिसे सदैव स्मरण किया जाएगा। ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान दें तथा शोकग्रस्त परिवार को संबल प्रदान करें। ओम शांति।’’
ठाकुर ने सात मई को सुखराम को दिल्ली ले जाने के लिए राज्य का एक हेलीकॉप्टर मुहैया कराया था।
सुखराम 1993 से 1996 तक केंद्रीय संचार राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) थे। वह हिमाचल प्रदेश के मंडी निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा के सदस्य थे।
सुखराम ने पांच बार विधानसभा चुनाव और तीन बार लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज की थी। उन्हें 2011 में भ्रष्टाचार के एक मामले में पांच साल की कैद की सजा सुनाई गई थी। यह मामला 1996 का था, जब वे संचार मंत्री थे।
सुखराम के बेटे अनिल शर्मा मंडी से भाजपा विधायक हैं।
सुखराम का जन्म 27 जुलाई, 1927 को हुआ था। सुखराम ने 1963 से 1984 तक मंडी विधानसभा सीट का प्रतिनिधित्व किया। हिमाचल प्रदेश में पशुपालन मंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान उन्हें जर्मनी से गायों को लाने का श्रेय दिया जाता है, जिससे राज्य के किसानों की आय में वृद्धि हुई।
वह 1984 में लोकसभा के लिए चुने गए और पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के नेतृत्व वाली सरकार में एक कनिष्ठ मंत्री के रूप में अपनी सेवाएं दीं। सुखराम ने रक्षा उत्पादन एवं आपूर्ति, योजना और खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति के राज्य मंत्री के रूप में भी काम किया।
सुखराम ने मंडी लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया, जबकि उनके बेटे अनिल शर्मा ने 1993 में मंडी विधानसभा सीट पर चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। सुखराम ने 1996 में भी मंडी लोकसभा सीट से चुनाव जीता, लेकिन दूरसंचार घोटाला सामने आने के बाद कांग्रेस ने उन्हें और उनके बेटे को निष्कासित कर दिया था। इसके बाद उन्होंने ‘हिमाचल विकास कांग्रेस पार्टी’ का गठन किया और चुनाव के बाद भाजपा के साथ गठबंधन कर सरकार में शामिल हो गए।
सुखराम ने 1998 में मंडी सदर से विधानसभा चुनाव लड़ा और भारी अंतर से जीत हासिल की। उनके बेटे अनिल शर्मा 1998 में राज्यसभा सदस्य बने।
आश्रय शर्मा के टिकट के लिये सुखराम और उनके पोते ने 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले फिर कांग्रेस का दामन थाम लिया लेकिन आश्रय शर्मा चुनाव नहीं जीत सके।
सुखराम के दूसरे पोते आयुष शर्मा अभिनेता हैं और उनकी शादी बॉलीवुड अभिनेता सलमान खान की बहन अर्पिता खान से हुई है।