श्रीनगर मुठभेड़ : आतंकवादियों ने नहीं मानी मां-बाप के समर्पण की अपील, बेबस हो पुलिस को करना पड़ा एनकाउंटर


आतंकवादी की मां ने नम आंखों से अपने बेटे से हथियार डालने की गुजारिश की। जिस घर में वे छुपे हुए थे उसके मालिक ने भी उनसे आत्मसमर्पण की अपील की। मकान मालिक को यह कहते हुए सुना गया, ” मेहरबानी करके बाहर आ जाओ। मेरे पास पैसे नहीं हैं। मैं घर को दोबारा नहीं बना सकता हूं। मेरी बेटी की जल्द शादी हो रही है। मैं इस नुकसान को बर्दाश्त नहीं कर पाऊंगा।



श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर पुलिस के विशेष कार्य बल ने आतंकवादियों को आत्मसमर्पण करने के वास्ते समझाने के लिए हर मुमकिन कोशिश की। यहां तक की पुलिस ने तीन आतंकवादियों के रिश्तेदारों को भी लेकर आए, लेकिन भावनात्मक अपील नाकाम रहने पर शहर के जूनीमर इलाके में पुलिस को अभियान शुरू करना ही पड़ा।

अधिकारियों ने बताया कि अभियान शनिवार देर रात शुरू हुआ और सुरक्षा बलों ने तीनों दहशतगर्दों को मार गिराया। आतंकवादियों की पहचान श्रीनगर में भरथाना के शकूर फारूक लंगू और सेमथान बिजबेहरा के शाहिद अहमद भट के तौर पर हुई है। वहीं तीसरा आतंकी सौरा का रहने वाला है। वे प्रतिबंधित संगठन हिज़्बुल मुजाहिदीन से जुड़े हैं।
आतंकवादियों को समझाने की सभी भावनात्मक अपीलें नाकाम रहने के बाद पुलिस को घनी आबादी वाले इलाके में आम लोगों को बचाने के लिए अभियान शुरू करना पड़ा और अभियान में तीनों को ढेर कर दिया। माना जाता है कि ये आतंकवादी रमज़ान में सौरा में बीएसएफ के दो जवानों की हत्या में शामिल थे। इन आतंकवादियों को एक घर में घेर लिया गया था।

शनिवार देर रात को अभियान के दौरान, कार्यबल के पुलिस अधीक्षक ताहिर भट्टी ने आतंकवादियों से हथियार डालने और आत्मसमर्पण करने की बार-बार अपील की। 

पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर बताया, ” आतंकवादियों को रात में घेर लिया गया था और पहला काम आम लोगों को बचाना था। हम घर के मालिक और आसपास के घरों से लोगों को निकालने में कामयाब रहे। ” मुठभेड़ श्रीनगर में ज़ादिबल के जूनीमर इलाके में हुई।

वरिष्ठ अधिकारियों ने आतंकवादियों के माता-पिता का पता लगाया और आत्मसमर्पण की अपील कराने के लिए उन्हें मुठभेड़ स्थल के पास ले आए। एक आतंकवादी के रिश्तेदार ने कहा, ” तुम्हारी मां दिल की बीमारी से जूझ रही है। बाहर आओ और समर्पण करो। वे तुम्हारी मदद करेंगे।” 

वहीं दूसरे आतंकवादी की मां ने नम आंखों से अपने बेटे से हथियार डालने की गुजारिश की। जिस घर में वे छुपे हुए थे उसके मालिक ने भी उनसे आत्मसमर्पण की अपील की। मकान मालिक को यह कहते हुए सुना गया, ” मेहरबानी करके बाहर आ जाओ। मेरे पास पैसे नहीं हैं। मैं घर को दोबारा नहीं बना सकता हूं। मेरी बेटी की जल्द शादी हो रही है। मैं इस नुकसान को बर्दाश्त नहीं कर पाउंगा।” 

भट्टी ने घेरे में लिए आतंकवादियों में से एक के माता पिता से बात करते हुए उनसे उसे प्यार से बाहर लाने का आग्रह किया और आश्वासन दिया कि उन्हें कोई नुकसान नहीं पहुंचाया जाएगा। भट्टी को दुखी माता पिता से कहते हुए सुना गया, ” हम पिछले 10 घंटे से कोशिश कर रहे हैं और आपको यहां इसलिए लाया गया है ताकि मोहब्बत से अपील की जा सके और उसे बचाया जा सके।”

बहरहाल, बार-बार अपीलों का जवाब गोली चला कर दिया गया और पुलिस को अभियान शुरू करना पड़ा। वे घर में घुसे और आतंकवादियों को मार दिया। अभियान के बाद, मकान मालिक को पुलिस अधिकारियों का शुक्रिया अदा करते हुए देखा गया, क्योंकि उनके घर को कोई नुकसान नहीं पहुंचा।