ऐसा क्रांतिकारी जिसने कहा- दुश्मन की गोलियों का सामना हम करेंगे, आजाद हैं और आजाद ही रहेंगे !


क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद जिंदगी भर अपने नाम के मुताबिक आजाद की जिंदगी जीत रहे। संकल्प लिया था कि वे कभी भी जालिम अंग्रेजों के हाथ नहीं आएंगे और उन्हें फांसी लगाने का मौका अंग्रेजों को कभी नहीं मिल सकेगा और अपने इसी वचन को आजाद ने पूरी तरह से निभाया।


Ritesh Mishra Ritesh Mishra
देश Updated On :

नई दिल्ली। स्वतंत्रता आंदोलन के वीर सिपाही और क्रांतिकारी चंद्रशेखर आज़ाद को कौन नहीं जानता। 14 साल की उम्र में वे जज के सामने ऐसे निर्भीक होकर जवाब दिया जिसके बाद उनकी आज़ाद के नाम से होने लगी। दरअसल, गिरफ्तारी के बाद उन्हें जज के सामने पेश किया गया। जब जज ने उनका नाम पूछा तो वे बड़े निर्भीकता से बोले- आज़ाद। पिता का नाम पूछने पर बताया स्वतंत्रता और घर का पता जेल बताया। आज़ाद के इन जवाब से गुस्साए जज ने उन्हें 15 कोड़े मारने की सजा सुनाई।

चंद्रशेखर आजाद का जन्म 23 जुलाई 1906 को हुआ था। उनका जन्म स्थान मध्य प्रदेश के अलीराजपुर जिले का भाबरा में हुआ था। चंद्रशेखर आजाद कहते थे कि ‘दुश्मन की गोलियों का हम सामना करेंगे, आजाद ही रहे हैं, आजाद ही रहेंगे। आज उनकी पुण्यतिथि है। चंद्रशेखर आजाद की पुण्यतिथि पर लोग उनकी शहादत को याद करते हुए कई ट्वीट कर रहे हैं।

यही वजह है कि ट्विटर पर भी #ChandrashekharAzad ट्वीट कर रहा है। एक यूजर ने चंद्रशेखर को याद करते हुए लिखा भारत माता के लाल, अमर बलिदानी आजाद जी की पुण्यतिथि पर शत्-शत् नमन। यही वो तारीख जब इलाहबाद (अब प्रयागराज) के अल्फ्रेड पार्क में उन्होंने अग्रेजों से लोहा लिया। गोलियां खत्म होने पर अंग्रेज उन्हें गिरफ्तार न कर पाए इसलिए चंद्रशेखर आज़ाद ने खुद को गोली मारकर शहीद हो गए।

गृह मंत्री अमित शाह ने ट्वीट किया ‘चंद्रशेखर आजाद को याद कर आज भी हमारा सीना गर्व से फूल जाता है। आजाद को आजाद भारत से कम कुछ भी स्वीकार नहीं था। उनका बलिदान हमें मातृभूमि की सेवा में अपना सब कुछ अर्पण करने की सीख देता है। अपने शौर्य से इस वसुंधरा को गौरवान्वित करने वाले अजर अमर सेनानी के चरणों में कोटिशः नमन।’


केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने ट्वीट कर चंद्रशेखर आज़ाद को श्रद्धांजलि देते हुए नमन किया। ट्वीट किया ‘महान स्वतंत्रता सेनानी श्री चंद्रशेखर आज़ाद जी को उनकी पुण्यतिथि पर मेरी श्रद्धांजलि।’ जिस जगह पर उन्होंने देश के लिए अपनी जान कुर्बान कर दी वो जगह यानी इलाहबाद (अब प्रयागराज) का अल्फ्रेड पार्क ऐतिहासिक स्मारक बन गया। अब इस पार्क को चंद्रशेखर आजाद पार्क के नाम से जाना जाता है।

क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद जिंदगी भर अपने नाम के मुताबिक आजाद की जिंदगी जीत रहे। उन्होंने संकल्प लिया था कि वे कभी भी जालिम अंग्रेजों के हाथ नहीं आएंगे और उन्हें फांसी लगाने का मौका अंग्रेजों को कभी नहीं मिल सकेगा और अपने इसी वचन को आजाद ने पूरी तरह से निभाया।

सन् 1922 में चौरी चौरा की घटना के बाद गांधीजी ने आंदोलन वापस ले लिया तो देश के कई नवयुवकों की तरह आज़ाद का भी कांग्रेस से मोहभंग हो गया. जिसके बाद पंडित राम प्रसाद बिस्मिल, शचीन्द्रनाथ सान्याल, योगेशचन्द्र चटर्जी ने 1924 में उत्तर भारत के क्रान्तिकारियों को लेकर एक दल हिन्दुस्तानी प्रजातांत्रिक संघ का गठन किया। बाद में चंद्रशेखर आज़ाद इसमें शामिल हो गए।

साइमन कमीशन के खिलाफ विरोध कर रहे पंजाब केसरी लाला लाजपर राय पर अंग्रेजों ने लाठी चार्ज किया और अत्यधिक चोट की वजह से उनका निधन हो गया। इसके बाद चंद्रशेखर आज़ाद ने अपने साथियों के साथ मिलाकर एसपी सांडर्स की हत्या कर लाला लाजपत राय की हत्या का बदला लिया। देश की आज़ादी की लड़ाई में धन आड़े आया तो आज़ाद ने लखनऊ के पास काकोरी में सरकारी खजाना लूट लिया। आज़ाद का मानना था कि ये धन देश का है जिसे अंग्रेज लूट रहे हैं।



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