उच्चतम न्यायालय ने ‘बाइपोलर’ विकार वाले व्यक्ति को न्यायाधीश नियुक्त करने का आदेश दिया

उच्चतम न्यायालय ने ‘बाइपोलर’ विकार वाले एक व्यक्ति को दिल्ली में फौरन न्यायिक अधिकारी नियुक्त करने का आदेश दिया है।

नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने ‘बाइपोलर’ विकार वाले एक व्यक्ति को दिल्ली में फौरन न्यायिक अधिकारी नियुक्त करने का आदेश दिया है।

न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति एम.एम.सुंदरेश की पीठ ने सोमवार को कहा कि भव्य नैन के दिल्ली कि जिला अदालतों में किसी में न्यायिक अधिकार का प्रभार संभालने और न्यायाधीश के तौर पर अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने में कोई बाधा नहीं है।

पीठ ने इस आदेश के लिए एक मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट को आधार बनाया, जिसमें कहा गया है कि इस बारे में कोई संकेत नहीं है कि नैन न्यायिक अधिकारी के तौर पर अपने कर्तव्यों का निर्वहन नहीं कर पाएंगे।

इस मामले में न्यायालय ने 17 नवंबर को बोर्ड का गठन किया था।

नैन 11 वर्ष पहले 25 साल की आयु में जांच में बाइपोलर विकार से ग्रसित पाये गए थे। यह एक ऐसी मानसिक स्थिति है जिसमें भावनात्मक उतार-चढ़ाव होने सहित मिजाज में अत्यधिक अस्थरिता पैदा होती है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, यह विकार दुनियाभर में अशक्तता का छठा प्रमुख कारक है। नैन ने दिल्ली न्यायिक सेवा-2018 परीक्षा अशक्त व्यक्ति श्रेणी के तहत उत्तीर्ण की थी।

हालांकि, मई 2019 में दिल्ली उच्च न्यायालय प्रशासन ने उनकी उम्मीदवारी इस आधार पर खारिज कर दी थी कि वह अपने मानसिक विकार की वजह से अपने कर्तव्यों का निर्वहन अच्छी तरह से नहीं कर पाएंगे।

First Published on: December 15, 2021 6:54 PM
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