मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट ‘सेंट्रल विस्टा’ के निर्माण पर सुप्रीम कोर्ट ने अगले आदेश तक लगाई रोक


कांग्रेस ने कहा कि ” देश कोरोना संकट के दौरान बदहाली से जूझ रहा है, सांसद निधि तक पर रोक है; लेकिन मोदी सरकार अपनी सेंट्रल विस्टा परियोजना को आगे बढ़ा रही है। सर्वोच्च न्यायालय द्वारा नए संसद भवन के निर्माण कार्य पर रोक लगाने का फैसला स्वागत योग्य है।”


मंज़ूर अहमद मंज़ूर अहमद
देश Updated On :

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट “सेंट्रल विस्टा” यानी नये संसद भवन के निर्माण पर सुप्रीम कोर्ट ने अगले आदेश तक रोक लगा दी है। नए संसद भवन के निर्माण को लेकर दायर कई याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सुनवाई की। मामले पर कड़ा रुख अपनाते हुए अदालत ने कहा कि जब तक सर्वोच्च न्यायालय कोई फैसला न सुना दे, तब तक कोई निर्माण कार्य या तोड़फोड़ नहीं होना चाहिए। अदालत ने सॉलिसिटर जनरल से पूछा कि आपने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर निर्माण की तारीख तय की है। इसपर आगे कोई काम नहीं होना चाहिए। हमें शिलान्यास से कोई परेशानी नहीं है लेकिन किसी तरह का निर्माण नहीं होना चाहिए।

शीर्ष अदालत ने सरकार द्वारा सेंट्रल विस्टा के निर्माण कार्य को आगे बढ़ाने के तरीके पर अपनी नाराजगी व्यक्त की। सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने कहा कि वह सेंट्रल विस्टा परियोजना का विरोध करने वाली लंबित याचिकाओं पर कोई फैसला आने तक निर्माण कार्य या इमारतों या पेड़ों को गिराने की अनुमति नहीं देगा। केंद्र सेंट्रल विस्टा परियोजना के लिए आवश्यक कागजी कार्य कर सकता है एवं नींव रखने के प्रस्तावित समारोह का आयोजन कर सकता है।

अदालत की सख्ती से केंद्र सरकार झुक गई है। केंद्र ने अदालत से कहा कि हम केवल शिलान्यास करेंगे। सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि निर्माण, तोड़फोड़ या पेड़ नहीं काटे जाएंगे। सुनवाई की शुरुआत में ही अदालत ने कहा कि हम इस पर स्टे नहीं दे रहे हैं लेकिन आप जो भी करेंगे वो हमारे आदेशों के अधीन होगा। बेहतर होगा आप इस बात का ध्यान रखें। न्यायालय ने कहा कि केंद्र कागजी कार्रवाई के साथ आगे बढ़ सकता है लेकिन एक बार ढांचा खड़ा हो गया तो पुरानी स्थिति बहाल करना मुश्किल हो जाएगा।

पीएम मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट है  सेंट्रल विस्टा परियोजना

सेंट्रल विस्टा परियोजना प्रधानमंत्री मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट हैं। देश का नया संसद दुनिया का सबसे आधुनिक तकनीकि संसाधनों से लैस होगा। इसमें वर्तमान से लगभग दोगुने सांसदों के बैठने के आलावा प्रधानमंत्री और दूसरे महत्वपूर्ण मंत्रालयों के लिए विशेष तरह का कार्यालय होगा।
सेंट्रल विस्टा परियोजना के तहत नए संसद भवन का निर्माण किया जा रहा है। इसके अंतर्गत नया त्रिकोणीय संसद भवन, कॉमन केंद्रीय सचिवालय और तीन किलोमीटर लंबे राजपथ को रीडेवलप किया जाएगा।

नए संसद भवन में 900 से 1,200 सांसदों के बैठने की क्षमता होगी। परियोजना के तहत उपराष्ट्रपति के आवास को नॉर्थ ब्लॉक और प्रधानमंत्री के आवास को साउथ ब्लॉक के करीब शिफ्ट किया जा सकता है। परियोजना के कारण नेशनल म्यूजियम और इंदिरा गांधी नेशनल सेंटर ऑफ आर्ट को यहां से हटाना पड़ेगा। इस प्रक्रिया की जद में जनपथ, मान सिंह रोड और विजय चौक के आसपास के बहुत से सांस्कृतिक इमारत भी आ सकते हैं।

उल्लेखनीय है कि इस परियोजना की घोषणा पिछले वर्ष सितम्बर में हुई थी, जिसमें एक नये त्रिकोणाकार संसद भवन का निर्माण किया जाना है। इसके निर्माण का लक्ष्य अगस्त 2022 तक है, जब देश स्वतंत्रता के 75वीं वर्षगांठ मनाएगा। साझा केन्द्रीय सचिवालय के बनने का अनुमान 2024 तक है।

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने पांच दिसम्बर को कहा था कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 10 दिसम्बर को नए संसद भवन की आधारशिला रखेंगे। इसका निर्माण कार्य 2022 तक पूरा होने की संभावना है, जिसमें 971 करोड़ रुपये का खर्चा आ सकता है।

याचिकाएं भूमि उपयोग बदलाव की मंजूरी सहित दी गई अन्य विभिन्न मंजूरियों के खिलाफ दायर की गई हैं। ये सभी अभी शीर्ष अदालत में विचाराधीन है।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर कांग्रेस ने किया स्वागत
सेंट्रल विस्टा परियोजना को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश का कांग्रेस ने स्वागत किया है। कांग्रेस ने कहा कि ” देश कोरोना संकट के दौरान बदहाली से जूझ रहा है, सांसद निधि तक पर रोक है; लेकिन मोदी सरकार अपनी सेंट्रल विस्टा परियोजना को आगे बढ़ा रही है।
सर्वोच्च न्यायालय द्वारा नए संसद भवन के निर्माण कार्य पर रोक लगाने का फैसला स्वागत योग्य है।”



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