सूर्य उपासना का महापर्व ‘छठ’, ‘नहाय-खाय’ के साथ आज से हुई शुरू


लोक आस्था के इस महापर्व छठ की चार दिवसीय अनुष्ठान की शुरुआत आज यानि बुधवार को नहाय-खाय के साथ होगी। निर्जला अनुष्ठान के पहले दिन बुधवार को व्रती घर, नदी, तालाबों आदि में स्नान कर अरवा चावल, चने की दाल और कद्दू की सब्जी का प्रसाद ग्रहण करेंगे। 19 नवंबर को खरना करेंगे।


बबली कुमारी बबली कुमारी
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नई दिल्ली। भारत को त्योहारों का देश माना गया है। इस देश में कई ऐसे पर्व हैं जो सिर्फ आस्था से जुड़े हुए हैं और जिन्हें काफी कठिन भी माना जाता है और इन्हीं में से एक है लोक आस्था का महापर्व छठ, जिसे रामायण और महाभारत काल से ही मनाने की परंपरा रही है।

छठ पर्व, छठ या षष्‍ठी पूजा कार्तिक शुक्ल पक्ष के षष्ठी को मनाया जाने वाला एक हिन्दू पर्व है। सूर्योपासना का यह अनुपम लोकपर्व मुख्य रूप से बिहार, झारखण्ड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रों में मनाया जाता है। कहा जाता है यह पर्व बिहारीयों का सबसे बड़ा पर्व है ये उनकी संस्कृति है। बिहारी कहीं भी हो इस पर्व पर वह अपने गांव जरूर लौटते हैं या जहां भी जाते है अपनी इस संस्कृति को अपने साथ ले जाते हैं। छठ पर्व बिहार मे बड़े धुम धाम से मनाया जाता है।

छठ पूजा की सबसे बड़ी बात है कि यह पर्व सबको एक सूत्र में पिरोने का काम करता है। इस पर्व में अमीर-गरीब, बड़े-छोटे का भेद मिट जाता है। सब एक समान एक ही विधि से भगवान की पूजा करते हैं। अमीर हो वो भी मिट्टी के चूल्हे पर ही प्रसाद बनाता है और गरीब भी, सब एक साथ गंगा तट पर एक जैसे दिखते हैं। बांस के बने सूप में ही अर्घ्य दिया जाता है। प्रसाद भी एक जैसा ही और गंगा और भगवान भास्कर सबके लिए एक जैसे हैं। छोटे -बड़े जैसी कोई भी भावना इस महापर्व में नहीं देखी जाती।

इस पूजा के लिए चार दिन महत्वपूर्ण हैं नहाय-खाय, खरना या लोहंडा, सांझा अर्घ्य और सूर्योदय अर्घ्य। छठ की पूजा में गन्ना, फल, डाला और सूप आदि का प्रयोग किया जाता है। मान्यताओं के अनुसार, छठी मइया को भगवान सूर्य की बहन बताया गया हैं। इस पर्व के दौरान छठी मइया के अलावा भगवान सूर्य की पूजा-आराधना होती है। कहा जाता है कि जो व्यक्ति इन दोनों की अर्चना करता है उनकी संतानों की छठी माता रक्षा करती हैं। कहते हैं कि भगवान की शक्ति से ही चार दिनों का यह कठिन व्रत संपन्न हो पाता है।

लोक आस्था के इस महापर्व छठ की चार दिवसीय अनुष्ठान की शुरुआत आज यानि बुधवार को नहाय-खाय के साथ होगी। निर्जला अनुष्ठान के पहले दिन बुधवार को व्रती घर, नदी, तालाबों आदि में स्नान कर अरवा चावल, चने की दाल और कद्दू की सब्जी का प्रसाद ग्रहण करेंगे। 19 नवंबर को खरना करेंगे।

छठ को पहले केवल बिहार, झारखंड और उत्तर भारत में ही मनाया जाता था, लेकिन अब धीरे-धीरे पूरे देश में इसके महत्व को स्वीकार कर लिया गया है। इस कारण इस व्रत का नामकरण छठ व्रत हो गया। छठ वर्ष में दो बार मनाया जाता है। पहली बार चैत्र में और दूसरी बार कार्तिक माह में। चैत्र शुक्ल पक्ष षष्ठी पर मनाए जाने वाले छठ पर्व को चैती छठ और कार्तिक शुक्ल पक्ष षष्ठी पर मनाए जाने वाले पर्व को कार्तिकी छठ कहा जाता है।

बिहार के राज्यपाल फागू चौहान ने छठ महापर्व के अवसर पर बिहार के लोगों और देशवासियों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि भागवान सूर्य की पूजा-अर्चना एवं लोक आस्था से जुड़े ‘छठ पर्व’से हमें साधना, तप, त्याग, सदाचार,मन की पवित्रता, स्वच्छता बनाये रखने की प्रेरणा मिलती है ।

उन्होंने इस पर्व को भक्ति, बंधुत्व, सामाजिक समरसता और एकता के साथ मनाने का अनुरोध किया ।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी छठ पर्व पर प्रदेश एवं देशवासियों को बधाई देते हुए कहा कि लोक आस्था का यह महान पर्व आत्म अनुशासन का पर्व है, जिसमें लोग आत्मिक शुद्धि एवं निर्मल मन से अस्ताचल एवं उदयीमान भगवान सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं ।

उन्होंने भगवान भास्कर से राज्य की प्रगति, सुख एवं समृद्धि की कामना की और लोगों से इस महापर्व को प्रेम एवं सद्भाव से मनाने की अपील की । कुमार ने कहा कि कोरोना वायरस संक्रमण को देखते हुए प्रत्येक व्यक्ति का सचेत रहना एवं सावधानी बरतना अत्यंत जरूरी है ।