कृषि कानूनः ट्रेन की पटरियों पर तंबू डाल डटे किसान, सहमी सरकार, मोदी बोले- बीजेपी नेता करें किसानों से बात


किसानों का विरोध असरकारी होता देख मोदी सरकार के माथे पर बल पड़ गया है। इस आंदोलन को सरकार पहले हल्के में ले रही सरकार को उम्मीद थी कि मीडिया मैनेजमेंट से किसानों के आंदोलन की खबर को दबा दिया जाएगा, लेकिन मेनस्ट्रीम मीडिया के दरकिनार करते हुए कुछ संगठनों ने सोशल मीडिया के जरिये इस आंदोलन में जान डाल दिया है।


मंज़ूर अहमद मंज़ूर अहमद
देश Updated On :
कृषि कानून के खिलाफ पंजाब के विभिन्न जिलों में रेल के पटरियों पर प्रदर्शन करते किसान। प्रदर्शन के कारण रेलवे ने सैकड़ों ट्रेनों को रद्द कर दिया है।


नई दिल्ली। संसद में हाल में पारित किए गए विवादास्पद कृषि विधेयकों के खिलाफ आहूत बंद के तहत पूरे देश में धरन प्रदर्शन का दौर जारी है। इस प्रदर्शनों का सबसे अधिक असर पंजाब और हरियाणा में देखने को मिल रहा है। इन राज्यों में किसानों का प्रदर्शन उग्र हो गया है। इन राज्यों में किसानों ने रेल की पटरियों पर तंबू डाल कर धरना प्रदर्शन शुरु कर दिया है जिसके कारण रेलवे को सैकड़ों ट्रेनों का परिचालन बंद करना पड़ा है।

किसानों का विरोध तेज और असरकारी होता देख मोदी सरकार के माथे पर बल आने शुरू हो गए हैं। इस आंदोलन को सरकार पहले हल्के में ले रही थी और उसको उम्मीद थी कि मीडिया मैनेजमेंट के माध्यम से किसानों के आंदोलन को दबा दिया जाएगा, लेकिन मेनस्ट्रीम मीडिया को दरकिनार करते हुए कुछ संगठनों ने सोशल मीडिया के जरिये इस आंदोलन को नई धार दे दी है।

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किसानों के आंदोलन को देखते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने पार्टी के नेताओं को किसानों से मिलकर उनको कृषि कानून से जुड़ी संकाओं को दूर करने का सलाह दिया है।

दिलचस्प बात यह है कि जो बीजेपी नये कृषि कानून से किसानों की आय को दोगुना करने का दावा कर रही है और इस कानून को किसानों की सारी समस्याओं का रामबाण इलाज की तरह मेनस्ट्रीम मीडिया व सोशल मीडिया में जोर-शोर से प्रचार करने के बाद भी जब किसान नहीं माने हैं और आंदोलन कर रहे हैं तो बीजेपी नेताओं के उनके पास जाकर समझाने से किसान समझेंगे, यह बात समझ से परे है।

पंजाब बंद के लिए 31 किसान संगठनों ने मिलाया हाथ

पंजाब बंद के लिए भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के तत्वावधान में 31 किसान संगठनों ने हाथ मिलाया है। इस बंद को भारतीय किसान यूनियन क्रांतिकारी, किरती किसान यूनियन, भारतीय किसान यूनियन (एकता उग्रहण), किसान मजदूर संघर्ष समिति एवं भाकियू (लखोवाल) आदि संगठनों ने समर्थन दिया है।

भाकियू समेत हरियाणा में कई संगठनों ने विधेयकों के खिलाफ कुछ किसान संगठनों द्वारा आहूत राष्ट्रव्यापारी हड़ताल को समर्थन दिया है। अधिकारियों ने बताया कि राज्य में कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए पर्याप्त संख्या में पुलिस बल को तैनात किया गया है।

राज्य में सत्तारूढ़ कांग्रेस और विपक्षी आप ने किसानों के प्रदर्शनों को समर्थन दिया है, वहीं बीजेपी की सहयोगी पार्टी शिरोमणी अकाली दल ने सड़क मार्ग बाधित करने की घोषणा की है। राज्य में कई स्थानों पर किसान यातायात रोकने के लिए सड़कों पर एकत्रित हो गए हैं। अमृतसर में किसान मजदूर संघर्ष समिति के बैनर तले महिला प्रदर्शनकारियों ने प्रदर्शन रैली निकाली।

इस बंद का पंजाब के सरकारी कर्मचारियों के संघों, गायकों, श्रमिकों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का समर्थन मिल रहा है। किसानों ने विधेयकों के खिलाफ बृहस्पतिवार को तीन दिवसीय रेल रोको प्रदर्शन शुरू किया और पटरियों पर धरना दिया।

प्रदर्शनकारियों ने आशंका व्यक्त की है कि केंद्र के कृषि सुधारों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की व्यवस्था खत्म हो जाएगी और कृषि क्षेत्र बड़े पूंजीपतियों के हाथों में चला जाएगा। किसानों ने कहा है कि जब तक तीनों विधेयक वापस नहीं लिए जाते, वे अपनी लड़ाई जारी रखेंगे।

दशकों तक किसानों, श्रमिकों के नाम पर सिर्फ नारे लगे, ‘खोखले’ वादे किए गए
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि उनकी सरकार ने बहुत ही कम समय में पिछले चुनाव में किए बड़े वादों को पूरा करने का काम किया है, जिनमें जम्मू एवं कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निरस्त किया जाना और अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण शामिल है।

मोदी ने संसद में पारित कृषि और श्रमिकों के कल्याण से संबंधित विधेयकों को उनके जीवन में व्यापक बदलाव लाने वाला करार दिया। उन्होंने कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्होंने दशकों तक किसानों और श्रमिकों के नाम पर सिर्फ नारे लगाए और बड़ी-बड़ी घोषणाएं की जो ‘‘खोखले’’ साबित हुए।

पीएम ने कहा, ‘‘देश के किसानों को ऐसी किसी भी अफवाह से बचाना व कृषि सुधार का महत्व समझाना भाजपा के हम सभी कार्यकर्ताओं का बहुत बड़ा कर्तव्य है। हम किसानों को कृषि सुधार की बारीकियों के बारे में जितना समझाएंगे उतना ही किसान जागरूक होगा।’’

कृषि विधेयकों के खिलाफ प्रदर्शन के बीच दिल्ली की सीमाओं पर सुरक्षा बढ़ाई गई
दिल्ली पुलिस ने हाल ही में संसद से पारित कृषि संबंधी विधेयकों के खिलाफ विभिन्न किसान संगठनों द्वारा किए गए राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन के आह्वान के मद्देनजर सीमावर्ती इलाकों में पुलिस कर्मियों की तैनाती बढ़ा दी है। अधिकारियों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।

पुलिस ने कहा कि प्रदर्शन के मद्देनजर दिल्ली-उत्तर प्रदेश सीमा के निकट चिल्ला इलाके में पुलिस कर्मी तैनात किये गए हैं। पुलिस ने कहा कि सीमावर्ती इलाकों में हालात शांतिपूर्ण रहें, यह सुनिश्चित करने के लिये पर्याप्त इंतजाम किये गए हैं।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘पड़ोसी राज्यों में किसानों द्वारा प्रदर्शन का आह्वान किए जाने के मद्देनजर ऐहतियाती तौर पर पुलिसकर्मियों को दिल्ली-उत्तर प्रदेश सीमा  पुलिस को तैनात रहने को कहा गया है साथ ही दिल्ली-हरियाणा सीमा पर तैनात पुलिसकर्मियों को भी सतर्क रहने को कहा गया है।

कृषि कानून के खिलाफ बिहार से लेकर तमिलनाडु, कर्नाटक आंध्रप्रदेश, केरल, महाराष्ट्र सहित देश के कई राज्यों में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन जारी है।

विहार में प्रदर्शन का नेतृत्व राष्ट्रीय जनता दल के नेता और बिहार के पूर्व उप-मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव और लालू यादव के बड़े बेट और पूर्व मंत्री तेजप्रताप यादव ने किया। इसके साथ ही भारतीय कम्यूनिष्ट पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने भी बड़े पैमाने पर रेली निकालकर प्रदर्शन किया।



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