
नई दिल्ली। केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के महानिदेशक कुलदीप सिंह 30 सितंबर को सेवानिवृत्त हो रहे हैं। इस मौके पर सीआरपीएफ हेडक्वार्टर में उनका विदाई समारोह आयोजित किया गया। कुलदीप सिंह ने इस दौरान अपने विदाई संबोधन में आतंकवाद, नक्सलवाद सहित सीआरपीएफ द्वारा किए जा रहे कामों की जानकारी दी।
सीआरपीएफ के डीजी कुलदीप सिंह ने बताया कि जम्मू-कश्मीर में लोकल और विदेशी आतंकियों की संख्या अब 200 से कम है। पहले यह संख्या 240 से अधिक रही है। आतंकी घटनाओं में भी कमी देखी जा रही है। हालांकि उन्होंने कहा अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद जम्मू कश्मीर की सुरक्षा में कई तरीकों से चुनौतियां बढ़ी हैं। उन्होंने बताया कि उनके कार्यकाल में अमरनाथ यात्रा एक चैलेंज थी। इसे सफलतापूर्वक पूरा किया गया है। इसमें दूसरे बलों के साथ सीआरपीएफ का अहम योगदान हो रहा है।
कुलदीप सिंह ने बताया कि छत्तीसगढ़ में अभी नक्सली चैलेंज है। इस दिशा में बल आगे बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि माओवादी इलाकों में उगाही गैंग के लिए भी नक्सलियों का इस्तेमाल हो रहा है। उन्होंने बताया कि आइईडी के खतरे को देखते हुए जवानों को 15000 फुल बॉडी प्रोटेक्टर मुहैया कराए गए हैं। इसके अलावा सीआरपीएफ द्वारा दूसरे बलों के 6871 जवानों को इसके लिए ट्रेनिंग भी दी गई है।
कुलदीप सिंह ने बताया कि सीआरपीएफ की कड़ी मेहनत और दिन-ब-दिन किए जा रहे कार्यों ने सबसे दूरस्थ क्षेत्रों में सड़कों और पुलों सहित बुनियादी ढांचे के निर्माण को गति प्रदान की है। इनमें 9 महत्वपूर्ण सड़कों और 168 पुलों का निर्माण किया गया है। वहीं ऑपरेशन को अंजाम देने के लिए उन क्षेत्रों में फॉरवर्ड ऑपरेटिंग बेस स्थापित किए जा रहे हैं, जहां तक पहुंचना पहले बेहद मुश्किल था।
कुलदीप सिंह के मुताबिक सीआरपीएफ द्वारा 119 अति विशिष्ट लोगों को सुरक्षा मुहैया कराई जा रही है। इसमें से 18 लोगों को जेड प्लस जबकि 27 लोगों को जेड श्रेणी की सुरक्षा मुहैया कराई जा रही है। इसके अलावा एक अहम जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि जवानों द्वारा खुद को गोली मारना या अपने साथियों को निशाना बनाने की इस दिशा में जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इस सम्बंध में एक कमेटी भी गठित की है। जल्द ही इसके सार्थक नतीजे देखने को मिलेंगे।
गौरतलब है कि कुलदीप सिंह के ही नेतृत्व में सीआरपीएफ द्वारा बिहार को नक्सल मुक्त कराया गया और झारखंड में तीन दशक से नक्सलियों के कब्जे में रहे बूढ़ा पहाड़ को ऑपरेशन ऑक्टोपस के तहत आजाद कराया गया था।