नई दिल्ली। लोकसभा में बुधवार को राष्ट्रीय सहबद्ध (एलाइड) और स्वास्थ्य देखरेख वृत्ति आयोग, विधेयक 2021 को चर्चा के लिए पेश किया गया। यह विधेयक इस क्षेत्र के पेशेवरों की शिक्षा और सेवाओं के मानकों का विनियमन करने के उद्देश्य से लाया गया है।
विधेयक पेश करते हुए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डा. हर्षवर्द्धन ने कहा कि यह विधेयक सहबद्ध और स्वास्थ्य देखरेख करने वाले पेशेवरों के लिए मील का पत्थर साबित होगा।
हर्षवर्धन ने कहा, ‘‘ सहबद्ध और स्वास्थ्य देखरेख करने वाले पेशेवर चिकित्सा पेशे का महत्वपूर्ण हिस्सा है और उनका योगदान डाक्टरों से अधिक नहीं तो कम भी नहीं है। यह विधेयक इस क्षेत्र के नियमन एवं इस पेशे से जुड़े लोगों को सम्मान प्रदान करने की दृष्टि से लाया गया है।’’
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कहा कि कोरोना महामारी के दौरान स्वास्थ्य देखरेख कार्यकर्ताओं, लैब टेक्निशियनों सहित सहबद्ध और स्वास्थ्य देखरेख करने वाले पेशेवरों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। यह विधेयक राज्यसभा में पारित हो चुका है।
विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि विधेयक में राष्ट्रीय सहबद्ध और स्वास्थ्य देखरेख वृत्ति आयोग गठित करने तथा शिक्षा एवं सेवाओं के लिये मानक बनाये रखने, संस्थाओं का निर्धारण करने तथा ऐसी सेवाओं के लिये केंद्रीय रजिस्टर एवं राज्य रजिस्टर बनाने का प्रावधान किया गया है।
डा. हर्षवर्धन ने कहा कि विश्व स्वस्थ्य संगठन का अनुमान है कि अगले कुछ वर्षों में इस दुनिया में स्वास्थ्यकर्मियों की काफी संख्या में कमी होगी। ऐसे में इस तरह की संस्था से इस क्षेत्र में रोजगार के नए अवसर सृजित करने में भी मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि इस आयोग में सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के प्रतिनिधित्व की व्यवस्था भी की गई है।
विधेयक पर चर्चा की शुरुआत करते हुए कांग्रेस के बालूभाऊ धानोरकर ने कहा कि इस विधेयक में ऐसे प्रावधान करने चाहिए कि मरीजों के हितों से कोई खिलवाड़ नहीं हो सके। उन्होंने कहा कि देश में चिकित्सक और आबादी का अनुपात बहुत कम है, ऐसे में इसे बढ़ाने पर ध्यान देना चाहिए। कांग्रेस नेता ने कहा कि आयोग के सदस्यों का कार्यकाल दो साल की बजाय तीन या चार साल का होना चाहिए।
चर्चा में भाग लेते हुए भाजपा के सुभाष भामरे ने कहा कि केंद्र में मोदी सरकार बनने के बाद स्वास्थ्य क्षेत्र में खर्च को बढ़ाया गया है। इस साल भी स्वास्थ्य बजट में 137 फीसदी की बढ़ोतरी की गई।
उन्होंने कहा कि सरकार ने चिकित्सा के क्षेत्र में कई सुधार किए हैं और यह विधेयक भी एक ऐसा ही कदम है। भामरे ने इस बात पर जोर दिया कि कि इस विधेयक के माध्यम से स्वास्थ्य क्षेत्र के कार्यबल को संरक्षण प्रदान किया जा सकेगा तथा इस क्षेत्र का समुचित रूप से नियमन हो सकेगा।
बीजू जनता दल के भर्तृहरि महताब ने कहा कि इस विधेयक से स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र को चिकित्सक केंद्रित से मरीज केंद्रित बनाने का प्रयास हो रहा है। उन्होंने कहा कि फिजियोथैरपिस्ट लंबे समय से अपने लिए एक अलग परिषद की मांग कर रहे हैं, लेकिन इस विधेयक में ऐसी व्यवस्था नहीं की गई है।
महताब ने उम्मीद जताई कि स्वास्थ्यकर्मियों की सेवाओं के सम्मान देने के लिए देश में एक ठोस व्यवस्था होगी। वाईएसआर कांग्रेस पार्टी की बी.वी. सत्यवती ने कहा कि कोरोना संकट के समय देश के स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र की कमियां सामने आईं, उन पर सरकार को ध्यान देना चाहिए।
उन्होंने कहा कि इस विधेयक में राज्यों के साथ समन्वय की व्यवस्था की गई, उससे स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र को मजबूत बनाने में मदद मिलेगी। जदयू के आलोक कुमार सुमन ने कहा कि इस विधेयक के माध्यम से स्वास्थ्य क्षेत्र को मजबूत बनाने और रोजगार के ज्यादा अवसर सृजित करने का प्रयास किया गया है।
शिवसेना के श्रीकांत शिंदे ने कहा कि स्वास्थ्य बजट को बढ़ाने की जरूरत है क्योंकि दुनिया में स्वास्थ्य के लिए बजट आवंटन के मामले में भारत का स्थान बहुत नीचे है।
भाजपा के मनोज राजौरिया ने कहा कि इस विधेयक के पारित होने के बाद देश में स्वास्थ्य सेवा के ढांचे का विस्तार होगा। भाजपा की प्रीतम मुंडे, बसपा के रितेश पांडे, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के मोहम्मद फैजल, नेशनल कांफ्रेंस के हसनैन मसूदी, राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के हनुमान बेनीवाल और कुछ अन्य सदस्यों ने चर्चा में भाग लिया।