नई दिल्ल। कांग्रेस की पूर्ववर्ती सरकारों पर देश में शिक्षा के क्षेत्र में कोई सकारात्मक बदलाव लाने में विफल रहने का आरोप लगाते हुए भाजपा ने मंगलवार को कहा कि नई शिक्षा नीति का लक्ष्य बुनियादी शिक्षा से अनुसंधान एवं पेटेंट तक आमूलचूल बदलाव लाकर भारत को विश्वगुरू बनाने का है ।
लोकसभा में वर्ष 2021-22 के लिए शिक्षा मंत्रालय के नियंत्रणाधीन अनुदानों की मांगों पर चर्चा में भाग लेते हुए भाजपा के संजय जायसवाल ने कहा कि नई शिक्षा नीति का लक्ष्य भारत को विश्वगुरू बनाने का है और 2022 में आजादी के 75 वर्ष पूरे होने के मौके पर इसका उत्सव मनाना चाहते हैं ।
उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा नीत राजग से पहले रहीं कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकारें इस दिशा में कुछ नहीं कर पाईं।
जायसवाल ने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने पुरानी चली आ रही शिक्षा में बदलाव के लिए कुछ नहीं किया बल्कि भारत के विद्वानों और साहित्यकारों से पीछे रखने का प्रयास किया।
जायसवाल ने कहा कि नई शिक्षा नीति की रूपरेखा दूरगामी और अच्छे परिणाम देने वाली होगी।
उन्होंने कहा, ‘‘ नई शिक्षा नीति का लक्ष्य बुनियादी शिक्षा से अनुसंधान एवं पेटेंट तक आमूलचूल बदलाव लाकर भारत को विश्वगुरू बनाने का है ।’’ जायसवाल ने कहा कि संप्रग सरकार ने शिक्षा को बदहाल करने का प्रयास किया और 2009 में लाई गयी बच्चों को अनुत्तीर्ण नहीं करने संबंधी (नो डिटेंशन) नीति इसका उदाहरण है।
भाजपा सांसद ने कहा कि इस बजट में विश्वस्तरीय संस्थानों के लिए 176 प्रतिशत राशि वृद्धि की गयी है और डिजिटल ई-लर्निंग में 20 प्रतिशत आवंटन बढ़ाया है।
उन्होंने कहा भारत पेटेंट कराने की दिशा में भी आगे बढ़ रहा है और भारत सरकार अनुसंधान के प्रति गंभीर है।
जायसवाल ने कहा कि शिक्षा मंत्रालय विदेशियों को महिमामंडित करने के बजाय भारतीयता को आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं।
उन्होंने देश में चल रहे कोचिंग संस्थानों का उल्लेख करते हुए कहा कि कोचिंग संस्थानों के नियमन को लेकर प्रयास करने की जरूरत है ।
उन्होंने कहा कि 10वीं कक्षा से पहले किसी कोचिंग संस्थान में मेडिकल या इंजीनियरिंग को लेकर चर्चा नहीं होनी चाहिए। अगर बच्चे शुरू से ही इस बारे में सोचेंगे तो उनका विकास कैसे होगा।