
नई दिल्ली। तमिलनाडु की एमके स्टालिन सरकार में मंत्री वी सेंथिल बालाजी को राज्यपाल आरएन रवि ने बर्खास्त कर दिया है। वी सेंथिल पर आरोप है कि उन्होंने नौकरी दिलाने के बदले पैसे लिए। मनी लांड्रिंग और भ्रष्टाचार से जुड़े मामले में भी उनपर जांच चल रही है। यही वजह है कि राज्यपाल ने उन्हें तमिलनाडु सरकार के मंत्रिपरिषद से बर्खास्त करने का निर्णय लिया। राजभवन की तरफ से बयान में बताया गया कि मंत्री वी। सेंथिल बालाजी एक मंत्री के रूप में अपने पद का गलत इस्तेमाल कर रहे थे। वो उनके खिलाफ चल रही जांच को प्रभावित कर रहे थे और कानून और न्याय की प्रक्रिया में बाधा पहुंचा रहे थे।
तमिलनाडु में इस वक्त डीएमके की सरकार है। मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने वी सेंथिल बालाजी को कई अहम विभागों की जिम्मेदारी दी हुई थी। उनके पास बिजली और एक्साइज मंत्रालय था। 14 जून को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने उन्हें जॉब के बदले कैश लेने के मामले में गिरफ्तार किया था। फिलहाल इस मामले में वो न्यायिक हिरासत में जेल में बंद हैं। उनके खिलाफ एंटी करप्शन एक्ट और भारतीय दंडसंहिता के तहत कुछ अन्य आपराधिक मामलों की जांच राज्य पुलिस की ओर से की जा रही है।
ईडी सेंथिल के चेन्नई स्थित घर, दफ्तर और भाई अशोक कुमार के घर भी सर्च ऑपरेशन चला चुकी है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर यह सर्च किया गया था। साल 2006 में वी सेंथिल बालाजी पहली बार एमएलए बने थे। तब वो एआईडीएमके के सदस्य थे। साल 2011 में वो दूसरी बार भी करूर सीट से जीत कर आए। जिसके बाद उन्हें तत्कालीन मुख्यमंत्री जयललिता ने 2011 से 2016 तक चली सरकार के दौरान ट्रांसपोर्ट मंत्री बनाया था। उसी दौरान यह नौकरी के बदले कैश का घोटाला हुआ था।
2015 में उन्हें मंत्री पद से हटा दिया गया। 2016 में हुए तमिलनाडु विधानसभा चुनाव में वो तीसरी बार एमएलए बनें। हालांकि जयललिता की मृत्यु के बाद पार्टी में फूट पड़ गई थी। गुटबाजी में सेंथिल को अपनी सदस्यता गंवानी पड़ी थी। साल 2018 में वो डीएमके के टिकट पर उपचुनाव जीतकर फिर से एमएलए बने थे।