
जापान की यामाहा (yamaha) कंपनी की वैश्विक पहचान है। यामाहा मोटर इंडिया (yamaha motor india) लंबे समय से भारत में अपना व्यापार कर रही है। देश के युवाओं में यामाहा की दो पहिया वाहनों के प्रति काफी आकर्षण है। कोरोना काल में विश्व भर में ऑटो सेक्टर को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। इस दौरान यामाहा मोटर इंडिया किस रणनीति पर काम कर रही है यह जिज्ञासा बहुत सहज है। यामाहा मोटर इंडिया के चेयरमैन मोटोफुमी शितारा से दैनिक भास्कर के मैनेजिंग एडिटर अजित मिश्र ने विभिन्न मुद्दों पर बातचीत की। पेश है बातचीत का प्रमुख अंश :
प्रश्न : भारत में आपको रहते लंबा वक्त हो गया, इस दौरान आपको ढेर सारे भारतीयों से मिलने का मौका मिला, अब आप भारतीय लोगों की सोच और कार्यशैली से काफी परिचित हो गए होंगे। आप भारत और जापान की कार्यशैली में क्या अंतर देखते हैं?
मोटोफुमी शितारा : जापानी शैली एक व्यवस्था के अनुसार काम करती है, एक सुनियोजित योजना के तहत बहुत सोच समझ कर किसी काम को किया जाता है। जबकि भारतीय किसी भी काम को लेकर बहुत उत्साहित रहते है। ये एक अच्छी बात है लेकिन कभी-कभी परेशान भी करती है। भारतीय कर्मचारियों की बातों पर हमेशा विश्वास कर पाना थोड़ा मुश्किल काम होता है। उन्मुक्त व सकारात्मक सोच के साथ भारतीय लोगों में कड़ी मेहनत करने की शानदार क्षमता बहुत प्रभावित करती है।
प्रश्न: जापान के लोगों में भारतीयों की अपेक्षा कार्य के प्रति लगन ज्यादा है, या प्रतिभा में अंतर है?
मोटोफुमी शितारा : भारत युवाओं का देश है यहां के नागरिक बहुत ज्यादा लगनशील हैं, प्रतिभा भी कूट-कूट कर भरी है। मैं समझता हूं कि जापानियों एवं भारतियों में एक सांस्कृतिक अंतर है। अपने काम के प्रति समर्पण और जवाबदेही हम जापानियों में कुछ ज्यादा है ऐसा नहीं है कि हम जापानी अपने व्यक्तिगत या सामाजिक ज़िम्मेदारियां कम निभाते हैं।
प्रश्न: वैश्विक महामारी कोरोना ने तो समूची दुनिया की अर्थव्यवस्था को तबाह करके रख दिया है। लेकिन भारत में उसके पहले नोटबंदी ने ऑटो सेक्टर को बहुत प्रभावित किया। आने वाले दिनों में ऑटो सेक्टर को मिलने वाली चुनौतियों से यामाहा कैसे निपटेगा?
मोटोफुमी शितारा : यकीनन हम सब बहुत मुश्किल दौर से गुज़र रहे हैं। कॉस्टकटिंग के मद्देनज़र हमने अपने अपने बीस प्रतिशत जापानी एक्सपर्ट को वापस जापान भेज दिया है। हिंदुस्तान में भी हमें दूसरी स्काईप देखने को मिल रही है जिससे एक घबराहट है। अनुशासित आचरण हमें इस संकट से बाहर निकलने में मददगार साबित होगा। इस दौरान व्यक्तिगत सवारी के चलन बढ़ने की वजह से ऑटो सेक्टर में काफी उछाल दिख रहा है। नोटबंदी के बारे में तो मैं कुछ ठीक से नहीं बता पाऊंगा पर भारी जीएसटी (GST) और महंगे इंश्योरेंस से हमारे मध्यम वर्ग के उपभोक्ताओं पर असर तो ज़रूर हुआ है।
प्रश्न: ऑटो कंपनियां टू व्हीलर में कई प्रयोग कर रहे हैं, यामाहा आने वाले दिनों युवाओं की रूचि को देखते हुए क्या कोई खास मॉडल विकसित कर रहा है ?
मोटोफुमी शितारा : पूरी दुनिया में यामाहा अपने ग्राहकों से जीवंत संपर्क-संबंध और तवज़्ज़ो के लिए जाना जाता है। हमारे सारे मॉडल्स युवाओं की रुचि को देखते हुए ही डिज़ाइन किये गए हैं और हम यूथ में खासकर शहरी युवाओं में काफी पॉपुलर है। एक मज़बूत दो पहिये की सवारी की बात होगी तो यामाहा इंडिया हमेशा युवाओं के सामने एक बेहतरीन विकल्प होगा।
प्रश्न: भारतीय कर्मचारियों-अधिकारियों का सबसे सकारात्मक पक्ष आप क्या देखते हैं?
मोटोफुमी शितारा : भारतीय मस्तिष्क काफी बुद्धिमान होती है, मेहनती और सकारत्मक सोच वाले होते है। हर चीज़ को लेकर हमेशा तत्पर रहते हैं। बड़ी आबादी वाला देश है आपका।
प्रश्न: बढ़ती तेल की कीमतों के मद्देनज़र लोग इलेक्ट्रिक बाइक का सहारा लेना चाहेंगे इस परिस्थिति में यामाहा की क्या रणनीति है?
मोटोफुमी शितारा : इसके लिए पहले भारत को बहुत बड़े-बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर की जरूरत पड़ेगी। जगह-जगह काफी मात्रा में चार्जिंग स्टेशन बनाने पड़ेंगे। काफी मुश्किल होगा बाइक लेकर चार्जिंग के लिए लाइन में लगना।
प्रश्न: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंज़े आबे के संबंध बहुत मधुर हैं। नवनिर्वाचित प्रधानमंत्री सुगा इन संबंधों को कितना आगे ले जायेंगे?
मोटोफुमी शितारा : सुगा और आबे में कोई अंतर नहीं है। दोनों देशों का संबंधों को सुगा एकदम आगे ले जायेंगे। हमारे यहाँ प्रोडेसेस्सोर और सकसेस्सर के बीच एक खास रिश्ता होता है। पिछले लगभग दो दशकों से भारत जापान से सबसे ज्यादा आधिकारिक विकास सहायता के तहत सपोर्ट करने वाला वाला देश है। जिससे भारत को बुनियादी परियोजनाओं में मदद मिल सके।
प्रश्न : भारत और जापान ने अपनी यात्रा लगभग एक साथ शुरू की। क्या कारण है कि विकास के मानकों पर जापान बहुत आगे निकल गया और हम अभी देश के विकास के लिए चुनौतियों का सामना ही कर रहे हैं ?
मोटोफुमी शितारा : भारत एक बड़ी आबादी वाला देश है। किसी नए काम को शुरू करने के लिए कई तरह की सरकारी-प्रशासनिक प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता है। प्रशासनिक स्तर की जटिलताओं में फंसकर बहुत समय बर्बाद होता है। कुल मिलाकर यहां की प्रशासनिक प्रक्रिया असंगठित जैसा लगता है और तमाम चुनौतियों को झेलते हुए जिसमे काफी वक़्त की बर्बादी होती है। हमारे सामने भी तमाम चुनौतियां थी उसे हमने ठीक किया। दरअसल हर चुनौती को समय पर डील करना सीखना चाहिए।