इंदौर। नये साल में सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा की चाल दुनिया भर के खगोल प्रेमियों को दो पूर्ण चंद्रग्रहणों समेत ग्रहण के चार रोमांचक दृश्य दिखाएगी। हालांकि, दिन-रात के समय के फेर के कारण भारत में इनमें से दो खगोलीय घटनाएं अलग-अलग इलाकों में निहारी जा सकेंगी।
उज्जैन की प्रतिष्ठित शासकीय जीवाजी वेधशाला के अधीक्षक डॉ. राजेंद्र प्रकाश गुप्त ने बुधवार को बताया कि अगले साल की इन खगोलीय घटनाओं का सिलसिला 30 अप्रैल को लगने वाले आंशिक सूर्यग्रहण से शुरू होगा। उन्होंने बताया, “नववर्ष का यह पहला ग्रहण भारत में नहीं देखा जा सकेगा क्योंकि यह खगोलीय घटना देश में सूर्योदय से पहले होगी।’’
गुप्त ने बताया कि 16 मई को लगने वाला पूर्ण चंद्रग्रहण भी भारत में नहीं देखा जा सकेगा क्योंकि इस दौरान देश के आकाश में सुबह का सूरज जगमगा रहा होगा। उन्होंने बताया कि 25 अक्टूबर को लगने वाले आंशिक सूर्यग्रहण का नजारा अंडमान-निकोबार द्वीप समूह और पूर्वोत्तर के क्षेत्रों को छोड़कर शेष भारत में निहारा जा सकेगा।
गुप्त ने बताया कि इस खगोलीय घटना के वक्त सूर्य और पृथ्वी के बीच चंद्रमा कुछ इस तरह आ जाएगा कि पृथ्वीवासियों को सूर्य 63.2 प्रतिशत ढंका नजर आएगा। उन्होंने कि आठ नवंबर को लगने वाले पूर्ण चंद्रग्रहण को भारत के उन इलाकों में अच्छी तरह देखा जा सकेगा जहां चंद्रोदय देश के दूसरे इलाकों के मुकाबले जल्दी होता है।
पूर्ण चंद्रग्रहण तब लगता है, जब सूर्य और चंद्रमा के बीच पृथ्वी आ जाती है और अपने उपग्रह चंद्रमा को अपनी छाया से ढंक लेती है।चंद्रमा इस स्थिति में पृथ्वी की ओट में पूरी तरह छिप जाता है और उस पर सूर्य की रोशनी नहीं पड़ पाती है। इस खगोलीय घटना के वक्त पृथ्वीवासियों को कभी-कभार चंद्रमा रक्तिम आभा लिए दिखाई देता है जिसे “ब्लड मून” भी कहा जाता है।
समाप्ति की ओर बढ़ रहा वर्ष 2021 एक पूर्ण चंद्रग्रहण और एक पूर्ण सूर्यग्रहण समेत ग्रहण के चार रोमांचक दृश्यों का गवाह बना था।