भारत की आजादी की 75वीं सालगिरह पर लाल किले की प्राचीर से अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा कि अब से 14 अगस्त को विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के रूप में याद किया जाएगा।
उन्होंने कहा, ‘‘हम आजादी का जश्न मनाते हैं लेकिन बंटवारे का दर्द आज भी हिंदुस्तान के सीने को छलनी करता है। यह पिछली शताब्दी की सबसे बड़ी त्रासदी में से एक है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘कल ही देश ने भावुक निर्णय लिया है। अब से 14 अगस्त को विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के रूप में याद किया जाएगा।’’
प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर देश की आजादी में अपने प्राणों की आहूति देने वाले सभी स्वतंत्रता सेनानियों को याद किया और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।
इस कड़ी में उन्होंने नेताजी सुभाष चंद्र बोस, भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, रामप्रसाद बिस्मिल और अशफाक उल्ला खान जैसे महान क्रांतिकारियों के अलावा झांसी की रानी लक्ष्मीबाई सहित अन्य सेनानियों को याद किया।
उन्होंने कहा, ‘‘भारत के पहले प्रधानमंत्री नेहरू जी हों, देश को एकजुट राष्ट्र में बदलने वाले सरदार पटेल हों या भारत को भविष्य का रास्ता दिखाने वाले बाबासाहेब अम्बेडकर, देश ऐसे हर व्यक्तित्व को याद कर रहा है, देश इन सबका ऋणी है।’