तपोवन सुरंग में फंसे लोगों को निकालने का काम जारी, मृतकों की संख्या 31 पहुंची

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देहरादून। उत्तराखंड के चमोली जिले में ऋषिगंगा घाटी में आई बाढ़ में मरने वालों की संख्या मंगलवार को 31 तक पहुंच गई जबकि एनटीपीसी की क्षतिग्रस्त तपोवन विष्णुगाड जलविद्युत परियोजना की सुरंग में फंसे 30-35 लोगों को बाहर निकालने के लिए सेना, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (NDRF), भारत तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP)और राज्य आपदा प्रतिवादन बल (SDRF) का संयुक्त बचाव और राहत अभियान युद्धस्तर पर जारी रहा।

ऋषिगंगा घाटी में पहाड़ से गिरी लाखों मीट्रिक टन बर्फ के कारण ऋषिगंगा और धौलीगंगा नदियों में अचानक आई बाढ में अभी करीब 170 अन्य लोग लापता हैं। अब तक रेस्क्यू टीम ने 31 लोगों के शव निकाल लिए हैं। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने बाढ क्षेत्र का मंगलवार को हवाई सर्वेक्षण किया। वहीं, सुरंग में मलबे के कारण काफी दिक्कतें भी आ रही हैं।

एसडीआरएफ के अधिकारियों ने बताया कि अभी तक 28 व्यक्तियों के शव विभिन्न एजेंसियों द्वारा अलग-अलग स्थानों से बरामद हो चुके हैं। एसडीआरएफ ने कहा कि उनके तलाशी दस्ते रैंणी, तपोवन, जोशीमठ, रतूडा, गौचर, कर्णप्रयाग, रूद्रप्रयाग क्षेत्रों में अलकनंदा नदी में शवों की तलाश कर रहे हैं।

आपदाग्रस्त तपोवन क्षेत्र पहुंचे मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मंगलवार सुबह क्षेत्र का हवाई सर्वेंक्षण किया और हादसे में घायल हुए लोगों से अस्पताल में मुलाकात की और उनका हालचाल जाना। ऋषिगंगा और तपोवन बिजली परियोजनाओं में काम करने वाले और आसपास रहने वाले करीब आधा दर्जन लोग आपदा में घायल हुए हैं।

तपोवन में मुख्यमंत्री रावत ने कहा कि इस समय प्राथमिकता सुरंग के अंदर फंसे लोगों तक पहुंचने और ज्यादा से ज्यादा लोगों का जीवन बचाना है। एनटीपीसी की सुरंग में बचाव और राहत कार्यों के संचालन में भारी मलबे तथा उसके घुमावदार होने के कारण आ रही मुश्किलों के बावजूद उसका आधे से ज्यादा रास्ता अब तक साफ किया जा चुका है और अधिकारियों को उम्मीद है कि जल्द ही वहां फंसे लोगों से संपर्क हो सकेगा।