इतिहास में आज : महान स्वतंत्रता सेनानी दादाभाई नौरोजी का निधन…और क्या-क्या हुआ था 30 जून को खास!

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दादाभाई नौरोजी (4 सितम्बर 1825 -30 जून 1917) एक पारसी बुद्धिजीवी, शिक्षाशास्त्री, व्यापारी और राजनैतिक एवं सामाजिक नेता थे। उन्हें ‘भारत का वयोवृद्ध पुरुष’ (Grand Old Man of India) कहा जाता है।
19वीं शताब्दी के अंत तक दादाभाई ने अनेक समितियों और आयोगों के समक्ष ही नहीं वरन् ब्रिटिश पार्लियामेंट के सामने भी भारत के प्रति की गई बुराइयों को दूर करने के लिए वकालत की और उच्चाधिकारियों को बराबर चेतावनी देते रहे कि यदि इसी प्रकार भारत की नैतिक और भौतिक रूप से अवनति होती रही तो भारतीयों को ब्रिटिश वस्तुओं का ही नहीं वरन् ब्रिटिश शासन का भी बहिष्कार करने के लिए बाध्य होना पड़ेगा, किंतु इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ा।

अंत में उन्होंने भारतीयों की राजनीतिक दासता और दयनीय स्थिति की ओर विश्व लोकमत का ध्यान आकृष्ट करने के लिए महान प्रयास करने का निश्चय किया जिसका परिणाम हुआ उनकी वृहदाकार पुस्तक पावर्टी ऐंड अनब्रिटिश रूल इन इंडिया। इसमें बहुत से लेख, भाषण, निबंध और उच्चाधिकारियों से पत्रव्यवहार तथा समितियों और आयोगों के समक्ष दी गई उनकी गवाहियाँ तथा कितने ही महत्वपूर्ण अधिनियमों और घोषणाओं के उद्धरण थे।

अपने लंबे जीवन में दादाभाई ने देश की सेवा के लिए जो बहुत से कार्य किए। स्वशासन के लिए अखिल भारतीय कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन (1906) में उनके द्वारा की गई माँग की चर्चा करना आवश्यक है। उन्होंने अपने भाषण में स्वराज्य को मुख्य स्थान दिया। अपने भाषण के दौरान में उन्होंने कहा, हम कोई कृपा की याचना नहीं कर रहे हैं, हमें तो केवल न्याय चाहिए। आरंभ से ही अपने प्रयत्नों के दौरान में मुझे इतनी असफलताएँ मिली हैं जो एक व्यक्ति को निराश ही नहीं बल्कि विद्रोही भी बना देने के लिए पर्याप्त थीं, पर मैं हताश नहीं हुआ हूँ और मुझे विश्वास है कि उस थोड़े से समय के भीतर ही, जब तक मै जीवित हूँ, सद्भावना, सचाई तथा संमान से परिपूर्ण स्वयात्त शासन की माँग को परिपूर्ण, करनेवाला संविधान भारत के लिए स्वीकार कर लिया जाएगा। उनकी यह आशा उस समय पूरी हुई जब वे सार्वजनिक जीवन से अवकाश ग्रहण कर चुके थे।

साल के छठे महीने का अंतिम दिन यानी 30 जून आने के साथ ही हम इस वर्ष का आधा सफर पूरा कर चुके हैं। साल का 181वां दिन देश दुनिया के इतिहास में बहुत सी घटनाओं के साथ दर्ज है। वह 1938 में 30 जून का ही दिन था जब बच्चों के सबसे पसंदीदा कार्टून चरित्रों में शुमार सुपरमैन पहली बार कॉमिक्स के पन्नों पर नजर आया था। उसके बाद सुपरमैन दुनियाभर के बच्चों का पसंदीदा किरदार बन गया।

देश दुनिया के इतिहास में 30 जून की तारीख पर दर्ज अन्य महत्त्वपूर्ण घटनाओं का सिलसिलेवार ब्यौरा इस प्रकार है:

1855 : बंगाल के भोगनादिघी में सशस्त्र संथालों ने विद्रोह का बिगुल फूंक दिया।

1914 : महान स्वतंत्रता सेनानी दादाभाई नौरोजी का निधन।

1933 : फासीवाद के खिलाफ एंटवर्प में 50 हजार लोगों ने प्रदर्शन किया।

1934 : जर्मनी के तानाशाह एडोल्फ हिटलर ने अपनी नेशनल सोशलिस्ट पार्टी में विरोधियों का सफाया किया।

1938 : बच्चों का पसंदीदा कार्टून सुपरमैन पहली बार कॉमिक में नजर आया।

1947 : भारत के विभाजन की घोषणा के बाद बंगाल और पंजाब के लिए बाउंड्री कमीशन के सदस्यों की घोषणा।

1960: अमेरिका ने क्यूबा से चीनी का आयात बंद करने का फैसला किया।

1962 : रवांडा और बुरूंडी आजाद हुए।

1990 : पूर्वी और पश्चिमी जर्मनी का विलय।

1997 : हांगकांग से ब्रिटिश हुकूमत खत्म।

2000 : अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने अमेरिका में डिजिटल हस्ताक्षर को कानूनी मान्यता दी।

2005 : स्पेन ने समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता दी।

2012 : मोहम्मद मुर्सी मिस्र के राष्ट्रपति बने।