इतिहास में आज : जनसंघ के संस्थापक श्यामाप्रसाद मुखर्जी का जन्म…और क्या-क्या हुआ था 6 जुलाई को खास!


डॉ॰ मुखर्जी जम्मू कश्मीर को भारत का पूर्ण और अभिन्न अंग बनाना चाहते थे। उस समय जम्मू कश्मीर का अलग झण्डा और अलग संविधान था। वहाँ का मुख्यमन्त्री (वजीरे-आज़म) अर्थात् प्रधानमन्त्री कहलाता था। संसद में अपने भाषण में डॉ॰ मुखर्जी ने धारा-370 को समाप्त करने की भी जोरदार वकालत की।


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डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी का जन्म 6 जुलाई 1901 को कलकत्ता के अत्यन्त प्रतिष्ठित परिवार में हुआ। उनके पिता सर आशुतोष मुखर्जी बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे एवं शिक्षाविद् के रूप में विख्यात थे। डॉ. मुखर्जी ने अपने पिता का अनुसरण करते हुए उन्होंने भी अल्पायु में ही विद्याध्ययन के क्षेत्र में उल्लेखनीय सफलताएँ अर्जित कर ली थीं। 33 वर्ष की अल्पायु में वे कलकत्ता विश्वविद्यालय के कुलपति बने। इस पद पर नियुक्ति पाने वाले वे सबसे कम आयु के कुलपति थे।

ब्रिटिश सरकार की भारत विभाजन की गुप्त योजना और षड्यन्त्र को एक कांग्रेस के नेताओं ने अखण्ड भारत सम्बन्धी अपने वादों को ताक पर रखकर स्वीकार कर लिया। उस समय डॉ. मुखर्जी ने बंगाल और पंजाब के विभाजन की माँग उठाकर प्रस्तावित पाकिस्तान का विभाजन कराया और आधा बंगाल और आधा पंजाब खण्डित भारत के लिए बचा लिया। गान्धी जी और सरदार पटेल के अनुरोध पर वे भारत के पहले मन्त्रिमण्डल में शामिल हुए। उन्हें उद्योग जैसे महत्वपूर्ण विभाग की जिम्मेदारी सौंपी गयी। संविधान सभा और प्रान्तीय संसद के सदस्य और केन्द्रीय मन्त्री के नाते उन्होंने शीघ्र ही अपना विशिष्ट स्थान बना लिया। किन्तु उनके राष्ट्रवादी चिन्तन के चलते अन्य नेताओं से मतभेद बराबर बने रहे। फलत: राष्ट्रीय हितों की प्रतिबद्धता को अपनी सर्वोच्च प्राथमिकता मानने के कारण उन्होंने मन्त्रिमण्डल से त्यागपत्र दे दिया। उन्होंने एक नई पार्टी बनायी जो उस समय विरोधी पक्ष के रूप में सबसे बड़ा दल था। अक्टूबर, 1951 में भारतीय जनसंघ का उद्भव हुआ।

डॉ. मुखर्जी जम्मू कश्मीर को भारत का पूर्ण और अभिन्न अंग बनाना चाहते थे। उस समय जम्मू कश्मीर का अलग झण्डा और अलग संविधान था। वहाँ का मुख्यमन्त्री (वजीरे-आज़म) अर्थात् प्रधानमन्त्री कहलाता था। संसद में अपने भाषण में डॉ. मुखर्जी ने धारा-370 को समाप्त करने की भी जोरदार वकालत की। अगस्त 1952 में जम्मू की विशाल रैली में उन्होंने अपना संकल्प व्यक्त किया था कि या तो मैं आपको भारतीय संविधान प्राप्त कराऊँगा या फिर इस उद्देश्य की पूर्ति के लिये अपना जीवन बलिदान कर दूँगा। उन्होंने तात्कालिन नेहरू सरकार को चुनौती दी तथा अपने दृढ़ निश्चय पर अटल रहे। अपने संकल्प को पूरा करने के लिये वे 1953 में बिना परमिट लिये जम्मू कश्मीर की यात्रा पर निकल पड़े। वहाँ पहुँचते ही उन्हें गिरफ्तार कर नज़रबन्द कर लिया गया। 23 जून 1953 को रहस्यमय परिस्थितियों में उनकी मृत्यु हो गयी।

व्यावहारिक नीतिशास्त्र के महान दार्शनिक पीटर सिंगर का जन्म 1946 में छह जुलाई को हुआ था। व्यावहारिक नीतिशास्त्र को नया आयाम देने वाले सिंगर को पशुओं के अधिकार और वैश्विक गरीबी के विश्लेषण के लिए खास तौर पर जाना जाता है। सिंगर को नारीवाद, पर्यावरणवाद और गर्भपात संबंधी अधिकारों की सूक्ष्म विवेचना के लिए भी जाना जाता है।

इसके अलावा भारतीय स्वतंत्रता के इतिहास में छह जुलाई के दिन एक बड़ा मोड़ आया जब ‘ग्रैंड ओल्ड मैन ऑफ इंडिया’ के नाम से प्रसिद्ध बुद्धिजीवी, शिक्षाविद्, समाजकर्मी कारोबारी एवं राजनीतिज्ञ दादा भाई नौरोजी छह जुलाई 1892 को ब्रिटेन की संसद के लिए चुने गए।

देश-दुनिया के इतिहास में छह जुलाई की तारीख पर दर्ज अन्य महत्वपूर्ण घटनाओं का सिलसिलेवार ब्यौरा इस प्रकार है:

1885 : महान वैज्ञानिक लुई पाश्चर ने रेबीज रोधी टीके का पहली बार इस्तेमाल किया।

1892 : दादा भाई नौरोजी ब्रिटेन की संसद में चुने जाने वाले प्रथम अश्वेत एवं भारतीय बने।

1901 : भारतीय जनसंघ के संस्थापक श्यामाप्रसाद मुखर्जी का जन्म।

1935 : तिब्बत समुदाय के 14 वें गुरू दलाई लामा तेनजिन ग्यात्सो का जन्म।

1944 : नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने महात्मा गांधी को पहली बार ‘राष्ट्रपिता’ के संबोधन से पुकारा।

1946 : महान नैतिक दार्शनिक पीटर सिंगर का जन्म।

1947 : सोवियन संघ में एके-47 रायफलों का निर्माण शुरू।

1964 : मलावी (पूर्व में न्यासालैंड) को ब्रिटेन से आजादी मिली।

1986 : भारतीय राजनीतिज्ञ बाबू जगजीवन राम का निधन।

2002: चर्चित भारतीय उद्योगपति धीरूभाई अंबानी का निधन।

2006 : नाथूला दर्रा 44 साल बाद खोला गया।