कोरोना की चपेट में भारत-अमेरिकी रिश्ते, दवा ना देने पर ट्रम्प ने भारत को कड़े परिणाम भुगतने की दी चेतावनी

भारत में बनने वाले मलेरिया‘हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन’नाम की दवा इस बीमारी के इलाज के लिए सबसे कारगर साबित हो रही है। कोरोना के इलाज में इस दवा का सफल उपयोग सबसे पहले राजस्थान के जयपुर के सवाई मान सिंह अस्पताल के चिकित्सकों ने किया था जिसके बाद इस बीमारी के इलाज में इस दवा का व्यापक रूप से उपयोग किया जा रहा है।

वाशिंगटन. भारत-अमेरिकी
जनता की जान लेने के बाद लगता है कोरोना वायरस अब भारत और अमेरिका के रिस्तों को
भी अपनी चपेट में ले लिया है। कोरोना वायरस को चीनी वायरस कहकर उसकी तीखी आचोलन
करने वाले ट्रंप अब मजबूरी ही सही जहां चीन की आलोचना बंद कर दिया है वहीं अब वह
अपने गलती का ठिकरा भारत पर फोड़ने के मुड़ में दिख रहे हैं।
अमेरिका के
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने मलेरिया की ‘हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन’ दवाई ना
देने पर भारत को कड़े परिणाम भुगतने की चेतावनी दी और कहा कि निजी अनुरोध के बाद
भी भारत का दवाई ना देना उनके लिए चौंकाने वाला होगा, क्योंकि वाशिंगटन के नयी
दिल्ली के साथ अच्छे संबंध हैं।
‘हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन’ मलेरिया की एक पुरानी और सस्ती दवाई है। ट्रम्प इसे कोविड-19 के इलाज के लिए एक व्यवाहरिक उपचार बता रहे हैं। संक्रमण से अमेरिका में 10,000 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है और करीब साढ़े तीन लाख लोग इससे संक्रमित
हैं।

ट्रम्प ने
पिछले सप्ताह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से ‘हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन’ की गोलियों
की खेप भेजने की अनुमति देने को कहा था जिसका आदेश अमेरिका ने दिया था। भारत ने
इसकी बढ़ती मांग को देखते हुए इसके निर्यात पर रोक लगा दी थी।

ट्रम्प ने
सोमवार को व्हाइट हाउस में संवाददाताओं से कहा कि यह मेरे लिए चौंकाने वाला होगा,
क्योंकि भारत के अमेरिका के साथ अच्छे संबंध है।
भारत से श्रीलंका और नेपाल ने भी
ऐसी ही मांग की है। वहीं भारत का कहना है कि भारत निर्यात प्रतिबंध हटाने पर गौर
कर रहा है।

भारत के कई
वर्षों तक अमेरिका से व्यापारिक लाभ उठाने की बात दोहराते हुए ट्रम्प ने कहा कि
नयी दिल्ली का अमेरिका को ‘हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन’ का निर्यात ना करना चौंकाने वाला होगा।
उन्होंने कहा, ‘‘ अगर यह उनका निर्णय हुआ तो मेरे लिए यह चौंकाने वाला होगा। मैंने रविवार
सुबह उनसे बात की थी फोन किया था और मैनें कहा था कि हम निर्यात को अनुमति देने के
आपके निर्णय का स्वागत करेंगे। अगर उन्होंने ऐसा नहीं किया तो कोई बात नहीं, लेकिन
यकीनन उन्हें इसके परिणाम भुगतने होंगे।

बता दें कि
कोरोना के इलाज के लिए अभी तक कोई कारगर दवा ईजाद नहीं हो पाया है, लेकिन भारत में
बनने वाले मलेरिया ‘हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन’ नाम की दवा इस बीमारी के इलाज के लिए सबसे कारगर साबित हो रही है। कोरोना
के इलाज में इस दवा का सफल उपयोग सबसे पहले राजस्थान के सवाई मान सिंह अस्पताल के
चिकित्सकों ने किया था जिसके बाद इस बीमारी के इलाज में इस दवा का व्यापक रूप से
उपयोग किया जा रहा है।

First Published on: April 7, 2020 5:20 PM
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