मुंबई। मुंबई में एक सत्र न्यायालय ने कथित फर्जी टेलीविजन रेटिंग पॉइंट (टीआरपी) मामले में रेटिंग एजेंसी बार्क के पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) पार्थो दासगुप्ता की जमानत याचिका बुधवार को खारिज कर दी।
मुंबई अपराध शाखा ने दासगुप्ता को पिछले महीने पुणे जिले से गिरफ्तार किया था।
इससे पूर्व एक मजिस्ट्रेट अदालत ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी और कहा था कि उन्होंने इस घोटाले में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
सत्र न्यायालय में दासगुप्ता की जमानत याचिका का विरोध करते हुए विशेष लोक अभियोजक शिशिर हिरे ने कहा कि मामले में आरोप पत्र दाखिल कर दिया गया है लेकिन अभी भी कई चीजें हैं जिनकी जांच की जरूरत है।
उन्होंने दलील दी कि दासगुप्ता एक महत्वपूर्ण व्यक्ति हैं और पूरी व्यवस्था पर नियंत्रण रखते हैं, इसलिए उनकी रिहाई से अभियोजन पक्ष के वे गवाह प्रभावित हो सकते हैं जो उनके तहत काम करते हैं।
विशेष लोक अभियोजक ने दासगुप्ता और रिपब्लिक टीवी के अर्नब गोस्वामी के बीच कथित व्हाट्सएप बातचीत की ओर भी अदालत का ध्यान आकर्षित किया।
उन्होंने कहा, ‘‘हमने अदालत को टीआरपी के बारे में व्हाट्सएप पर हुई बातचीत दिखाई है जिसमें दासगुप्ता ने कुछ अन्य चैनलों को नीचे लाने और अर्नब के चैनल को ऊंचे स्थान पर लाने का वादा किया था।’’
वहीं दूसरी ओर दासगुप्ता के वकील ने अदालत से कहा कि उनके खिलाफ बिना किसी सबूत के आरोप लगाये गये हैं।
दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद सत्र न्यायालय के न्यायाधीश एम ए भोसले ने दासगुप्ता की जमानत याचिका को खारिज कर दिया।
पुलिस ने आरोप लगाया गया है कि दासगुप्ता ने ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल (बार्क) में एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी और एआरजी आउटलेयर मीडिया प्राइवेट लिमिटेड के मालिक अर्नब गोस्वामी के साथ मिलकर रिपब्लिक टीवी और रिपब्लिक भारत (हिंदी) की टीआरपी में कथित तौर पर हेरफेर किया था।
पुलिस ने दावा किया है कि गोस्वामी ने इसके लिए दासगुप्ता को बदले में लाखों रुपये दिये थे।
रिपब्लिक टीवी और अन्य आरोपियों ने कुछ भी गलत करने और टीआरपी व्यवस्था में हेराफेरी करने से इनकार किया है।