नई दिल्ली। कृषि निरसन विधेयक पारित होने के बाद भी किसानों और सरकार के बीच “गतिरोध” जारी है। संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने कहा कि केंद्र किसानों की लंबित मांगों के संबंध में कोई औपचारिक संदेश नहीं देकर उन्हें प्रदर्शन स्थलों पर रहने के लिए मजबूर कर रहा है।
चालीस किसान संघों के संगठन एसकेएम ने एक बयान में कहा कि किसान सकारात्मक प्रगति के लिए और सरकार द्वारा उनकी जायज मांगों को स्वीकार करने की धैर्यपूर्वक प्रतीक्षा कर रहे हैं। उनकी मांगों में फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कानूनी गारंटी और आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों के परिवारों को मुआवजा देना शामिल है।
एसकेएम ने कहा कि भारत सरकार के साथ गतिरोध की वजह से किसान मोर्चा (प्रदर्शन स्थल) पर रहने को मजबूर है और उनकी लंबित मांगों को स्वीकार करने को लेकर अबतक कोई आधिकारिक संदेश नहीं मिला है।
उसने कहा कि दर्जनों टोल प्लाजा और अन्य स्थानों पर सभी पक्के मोर्चा कायम हैं। एसकेएम ने यह भी कहा कि भारत के राष्ट्रपति ने संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित कृषि कानूनों को निरस्त करने वाले विधेयक को अपनी स्वीकृति दे दी है और इस बाबत एक गजट अधिसूचना जारी की गई है।
एसकेएम ने कहा, “इसके साथ ही एक अहम लड़ाई औपचारिक रूप से समाप्त हो गई है। प्रदर्शनकारी किसानों ने अपनी चुनी हुई सरकार के खिलाफ पहली बड़ी जीत हासिल की।”