बेंगलुरू। मैसुरू के मूर्तिकार अरुण योगीराज की कई महीनों की कड़ी मेहनत आखिरकार उस समय सफल हो गयी जब शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उत्तराखंड में भगवान शिव के धाम केदारनाथ में आदि गुरु शंकराचार्य की मूर्ति का अनावरण किया।
इस क्षण से बेहद प्रसन्न एवं उत्साहित योगीराज ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘यह हमारे लिए बेहद खुशी का पल है। हमने प्रतिदिन कम से कम 14 घंटे काम कर नौ महीने की कड़ी मेहनत के बाद शंकराचार्य की मूर्ति को तैयार किया।’’ एमबीए की पढ़ाई पूरी करने के बाद योगीराज (37) को एक आकर्षक नौकरी मिली थी, लेकिन मूर्ति बनाने का अपना पारंपरिक काम करने के लिए जल्द ही उन्होंने नौकरी से इस्तीफा दे दिया।
योगीराज ने कहा कि जब सरकार ने शंकराचार्य की मूर्ति स्थापित करने का फैसला किया, तो इसके लिए देशभर के मूर्तिकारों से मूर्ति के नमूने आमंत्रित किए गए थे। उन्होंने कहा, ‘‘आखिरकार मेरा नमूना चुना गया और तब से प्रधानमंत्री कार्यालय निजी तौर पर इस कार्य की प्रगति की निगरानी कर रहा था।’’
उन्होंने बताया कि उन्होंने आदि गुरु शंकराचार्य की मूर्ति बनाने के लिए मैसुरू में एचडी कोटे से काले ग्रेनाइट के पत्थर का चयन किया और सात लोगों की एक टीम के साथ इस पर काम शुरू कर दिया।
उनके मुताबिक, 12 फुट ऊंची प्रतिमा का वजन करीब 28 टन है। मूर्ति जुलाई में बनकर तैयार हो गयी थी, जिसके बाद इसे उत्तराखंड ले जाया गया। मूर्ति को भारतीय वायु सेना के चिनूक हेलीकॉप्टर की मदद से निर्धारित स्थान पर ले जाया गया। उन्होंने कहा कि परिवार में हुए एक हादसे की वजह से वह इस कार्यक्रम में जा नहीं सके।