नई दिल्ली। नौ महीने से अधिक समय से हरियाणा के अंबाला के पास शंभू सीमा पर डेरा डाले हुए किसानों ने जैसे ही शुक्रवार को अपना ‘दिल्ली चलो’ मार्च शुरू किया, वे रास्ते पर लगे बैरिकेड तोड़ने लगे। इसके बाद वहां तैनात हरियाणा पुलिस के जवानों को आंसू गैस के गोले छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा। प्रदर्शन के दौरान एक किसान को हिरासत में भी लिया गया है। शंभू बॉर्डर के पास किसानों को ‘दिल्ली कूच’ से रोकने के लिए बड़ी संख्या पुलिस तैनात किए गए हैं।
इस बीच, दिल्ली कूच कर रहे किसानों के जत्थे को वापस बुला लिया गया है। किसान नेता सरवन सिंह पंढेर ने कहा कि हमने जत्थे को वापस आने को कहा है, लेकिन कूच वापसी के लिए नहीं कहा है। उन्होंने बताया कि पुलिस से झड़प में 6 किसान घायल हो गए हैं। सरकार, जिसने इस साल की शुरुआत में एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी पर किसानों के साथ चार दौर की बातचीत की थी, ने कहा कि वह उनके साथ चर्चा करने के लिए तैयार है।
अंबाला स्थित शंभू बॉर्डर पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) सहित कई अन्य मसलों पर सैकड़ों किसानों का विरोध प्रदर्शन चल रहा है। उन्होंने पहले ही यह ऐलान कर दिया था कि 6 दिसंबर को वे दिल्ली कूच करेंगे, लेकिन उन्हें प्रशासन की तरफ से इसकी इजाजत नहीं मिली है। तो चलिए जानते हैं कि किसानों के ‘दिल्ली चलो’ मार्च के मद्देनजर सुरक्षा व्यवस्था कैसी है:
चिल्ला बॉर्डर पर दिल्ली और नोएडा पुलिस सुबह से ही मौजूद है। सुरक्षा को देखते हुए दर्जनों बेरिकेड्स लगाए गए हैं। वज्र वाहन और दंगा नियंत्रण वाहन भी मौजूद है। ट्रैफिक सामान्य रूप से चल रहा है, अब तक किसी तरह की कोई परेशानी सामने नहीं आई है। कानून व्यवस्था भी ठीक है। चिल्ला बॉर्डर पर कोई किसान नहीं आया है।
हरियाणा पुलिस ने किसानों से ‘दिल्ली कूच’ के लिए आगे नहीं बढ़ने को कहा है और उनलोगों को भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धारा 163 के तहत निषेधाज्ञा का हवाला दिया है। अंबाला जिले ने जिले में पांच या अधिक व्यक्तियों के किसी भी गैरकानूनी जमावड़े पर प्रतिबंध लगा दिया है। किसान यूनियनों के झंडे लिए हुए कुछ किसानों ने सुरक्षाकर्मियों द्वारा लगाई गई लोहे की जाली को घग्गर नदी पर बने पुल से नीचे धकेल दिया। हरियाणा सरकार ने अंबाला जिले के 11 गांवों में मोबाइल इंटरनेट और बल्क एसएमएस सेवा 9 दिसंबर तक निलंबित कर दी है।
किसान एमएसपी के अलावा कर्ज माफी, किसानों एवं खेत मजदूरों के लिए पेंशन और बिजली दरों में बढ़ोतरी न करने की मांग कर रहे हैं। वे 2021 की लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों के लिए ‘न्याय’, भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 को बहाल करने और 2020-21 में पिछले आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों के परिवारों को मुआवजा दिए जाने की भी मांग कर रहे हैं।