हरियाणा के मानेसर में सेना के क्वारंटीन कैंप (संक्रमण पीडि़तों के लिए बने अलग शिविर) में निगरानी का समय बिताने के दौरान विनय चंद्रन यह सोचा करते थे कि यहां से निकलने के बाद वे सबसे पहले क्या करेंगे. उनकी योजनाएं बहुत सामान्य सी थीं—केरल के अपने गृहनगर जाना और परिवार के साथ घर के खाने का आनंद लेना. वुहान यूनिवर्सिटी में मेडिकल छात्र 31 वर्षीय चंद्रन कहते हैं, ”शिविर में हमारी अच्छी देखभाल की गई. भयावह परिस्थितियों में एक साथ समय बिताकर हम करीबी दोस्त बन गए, लेकिन मुझे अपने पसंदीदा भोजन और अपने प्रियजनों की कमी बहुत खल रही थी.”चंद्रन और अन्य 647 भारतीयों को 19 फरवरी को नए कोरोना वायरस के संक्रमण से पूरी तरह मुक्त पाए जाने के बाद कैंप छोडऩे की अनुमति दे दी गई. उन्हें 30 जनवरी और 1 फरवरी को दो खेप में वुहान से बाहर निकाला गया था.
हालांकि, जोखिम से बचने के लिए प्रत्येक व्यक्ति को 14 अतिरिक्ति दिनों के लिए घर में अलग-थलग रहना पड़ेगा. उन सभी के मेडिकल रिकॉर्ड उनके संबंधित जिला अस्पतालों के पास हैं जो स्थिति की निगरानी करेंगे. दुनियाभर में 8 2,383 से अधिक लोगों के कोरोना वायरस से संक्रमित होने और 2,804 लोगों की मौत की खबर के साथ ही प्रकोप के उद्गम केंद्र वुहान से आ रही तस्वीरों से इस महामारी के विनाशकारी प्रभावों को वैश्विक समुदाय महसूस कर रहा है.