नई दिल्ली। आतंकवादी संगठन अक्सर भारत में हिंसा भड़काने की कोशिश में लगे रहते हैं। आतंकवादी संगठन ISIS यानि इस्लामिक स्टेट ऑफ ईराक इन सीरिया का खतरानक प्लान सामने आया है। ISIS ने एक बार फिर डिजिटल मैगजीन के जरिए भारत के मुस्लमानों को भड़काने की कोशिश की है।
‘VOICE OF HIND’ नाम की इस मैगजीन में सरकार के खिलाफ बाबरी विध्वंस को लेकर भारतीय मुसलमानों से हथियार उठाने की बात कही है। मैगजीन के बॉर्ड लेटर में लिखा है कि ‘BABRI SHALL BE AVANGED’ यानि की बाबरी का बदला लेकर रहेंगे। मैगजीन में बाबरी विध्वंस से जुड़ी तस्वीरें भी दी गई हैं। ताकि भारत के मुस्लमानों को सरकार के खिलाफ आसानी से उकसाया जा सके और वह हथियार लेने पर मजबूर हो जाए।
साथ ही इसमें डॉक्टर कफील खान से लेकर नागरिक कानून यानि CAA और NRC पर भी झूठ बोला गया है। कहा गया कि अन्याय के खिलाफ खड़े होने की वजह से उन्हें सरकार द्वारा काफी यातनाएं दी गईं। आपको बता दें कि डॉक्टर कफील खान साल 2017 में तब सुर्खियों में आए थे। जब गोरखपुर के BRD मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की कमी की वजह से 60 से ज्यादा बच्चों की मौत हो गई थी। इसी के बाद ही CAA, NRC और NPA के विरोध के दौरान कथित रूप से अलीगढ़ विश्वविद्यालय में भड़काऊ भाषण देने के आरोप में कफील को यूपी पुलिस ने NSA के तहत गिरफ्तार किया था।
वहीं इस मैगजीन में CAA और NRC के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे लोगों का साथ देने की भी बात छपी है। आर्टिकल में मुस्लमानों को भारत सरकार के खिलाफ ‘जिहाद’ का रास्ता चुनने को कहा गया है। साथ ही इस मैगजीन के जरिए ये भी धमकी दी गई है कि जिसे ISIS के उसूलों पर यकीन नहीं है, उसे सजा दी जाएगी।
मैगजीन के इस 9वें संस्करण को गैरकानूनी तरीके से इंटरनेट और मैसेजिंग एप्प टेलीग्राम के जरिए फैलाया जा रहा है। ताकि भारतीय मुस्लमानों को सरकार के खिलाफ गुमराह किया जा सके। आपको बता दे हैं कि इससे पहले भी डिजिटल मैग्जिन के जरिए CAA और NRC के विरोध में भारतीय मुस्लमानों के जरिए देश में हिंसा फैलाने वाले आर्टिकल को छापा जा चुका है। जाहिर तौर पर नफरत से भरी यह मैगजीन हमारे देश की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा है।
इस मैंगजीन के सामने आने के बाद से सुरक्षा एजेंसियां भी संदेह के घेरे में आ चुकी हैं। जिसके बाद से भारतीय सुरक्षा एजेंसियां सोशल मीडिया और टेलीग्राम जैसे एप्प पर निगरानी रख रही हैं। बेहराल ISIS की कमर टूट चुकी है। लेकिन ये एजेंसी फिर भी साउथ एशिया में अपने पैर जमाना चाहती है और इसकी यह कोशिश हर बार नाकाम साबित होती दिखाई देती है।