
नई दिल्ली। देश में बढ़ते कोरोना संक्रमण को देखते हुए सरकार के निर्देश पर 15 से 18 वर्ष के आयुवर्ग के बच्चों को सोमवार से कोविड-19 रोधी टीकों की खुराक दी जानी शुरू कर दी गई।
अमेरिका के सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) के मुताबिक, कोरोना वैक्सीन से बच्चों को कोविड-19 से संक्रमित होने से रोकने में मदद मिलती है। कोरोना वैक्सीनेशन से बच्चों में गंभीर बीमारियों, हॉस्पिटलाइजेशन, लंबे समय तक रहने वाले हेल्थ इश्यूज और मौत का खतरा कम होता है।
हेल्थ एक्सपर्ट्स की मानें तो उन बच्चों के लिए कोरोना वैक्सीन बेहद जरूरी है, जो मोटापा, डायबिटीज या अस्थमा जैसी घातक बीमारियों से जूझ रहे हैं और कोविड-19 के हाई रिस्क ग्रुप का हिस्सा हैं। सबसे ज्यादा संक्रमित इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए भी वैक्सीनेशन जरूरी है।
बच्चों के वैक्सीनेशन से उनके स्कूल जाने, खेल और अन्य भीड़-भाड़ से जुड़ी गतिविधियों में भाग लेना सुरक्षित होता है।
भले ही कोरोना से बच्चों में कम गंभीर लक्षण दिखते हैं, लेकिन बच्चे इस वायरस के कैरियर बन जाते हैं, जिसे देखते हुए बच्चों का वैक्सीनेशन बेहद जरूरी है।
भारत में अब तक 61 फीसदी वयस्क आबादी को ही कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज लगी है, ऐसे में देखा जाए तो देश की एक बड़ी आबादी फुली वैक्सीनेटेड नहीं है, इसलिए बच्चों को संक्रमण का ज्यादा खतरा है, जिसके चलते वैक्सीनेशन शुरू किए जाने की जरूरत है।
कोरोना की तीसरी लहर के मद्देनजर साउथ अफ्रीका में ओमिक्रॉन की वजह से 5 साल से कम उम्र के बच्चों में हॉस्पिटलाइजेशन रेट बढ़ा है। ऐसे स्थिति में ओमिक्रॉन को देखते हुए भारत में बच्चों का वैक्सीनेशन शुरू किया जाना एक जरूरी कदम है।