नई दिल्ली। संसद के मानसून सत्र के दौरान राज्यसभा में ‘अशोभनीय आचरण’ के लिए निलंबित किए गए 12 सांसद, इस कार्रवाई के विरोध में बुधवार को संसद परिसर में धरने पर बैठ गए और कहा कि वे निलंबन रद्द होने तक विरोध प्रदर्शन जारी रखेंगे।
संसद के सोमवार को आरंभ हुए शीतकालीन सत्र के पहले दिन कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों के 12 सदस्यों को इस सत्र की शेष अवधि तक के लिए राज्यसभा से निलंबित कर दिया गया था।
जिन सदस्यों को निलंबित किया गया है उनमें मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के इलामारम करीम, कांग्रेस की फूलों देवी नेताम, छाया वर्मा, रिपुन बोरा, राजमणि पटेल, सैयद नासिर हुसैन, अखिलेश प्रताप सिंह, तृणमूल कांग्रेस की डोला सेन और शांता छेत्री, शिव सेना की प्रियंका चतुर्वेदी और अनिल देसाई तथा भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के विनय विस्वम शामिल हैं।
ये सांसद बुधवार को संसद परिसर में महात्मा गांधी की प्रतिमा के सामने धरने पर बैठे। उनका कहना है कि जब तक निलंबन रद्द नहीं होगा, तब तक वे संसद की कार्यवाही के दौरान सुबह से शाम तक महात्मा गांधी की प्रतिमा के सामने धरने पर बैठे रहेंगे।
निलंबित सांसद और कांग्रेस नेता रिपुन बोरा ने कहा, ‘‘निलंबन का फैसला अलोकतांत्रिक है। सरकार मनमाने ढंग से निलंबन का प्रस्ताव लेकर आई। इस निलंबन को रद्द किया जाना चाहिए। हम निलंबन रद्द होने तक अपना धरना जारी रखेंगे।’’