Women’s Day 2021: मंजिल की ओर कदम बढ़ाती महिलाएं


8 मार्च को दुनिया में हर साल अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस साल अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की थीम #ChooseToChallenge है।


शिवांगी गुप्ता शिवांगी गुप्ता
देश Updated On :

नारी तुम स्वतंत्र हो।

जीवन धन यंत्र हो।

काल के कपाल पर।

लिखा सुख मंत्र हो।

कई साल पहले नारी का स्थान घर की चारदीवारी तक सीमित था लेकिन आज वो हर सीमा को चुनौती दे रही है। चाहे फिर वो राजनीति का क्षेत्र हो, सामाजिक या फिर कारपोरेट जगत, आज की नारी हर क्षेत्र में सफलता पूर्वक देश की तरक्की में अपना योगदान दे रही है।

उल्लेखनीय है कि आज के दिन यानी 8 मार्च को दुनिया में हर साल अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मनाया जाता है। दुनिया में महिला दिवस की शुरुआत काफी सालों पहले एक कार्यक्रम के रूप में हुई थी। इसके बाद यह वैश्विक स्तर पर मनाया जाने लगा।

पहली बार कब मनाया गया अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस ?

दरअसल साल 1908 में एक महिला मजदूर आंदोलन की वजह से महिला दिवस मनाने की परंपरा की शुरूआत हुई। इस दिन 15 हज़ार महिलाओं ने नौकरी के घंटे कम करने, बेहतर वेतन और कुछ अन्य अधिकारों की मांग को लेकर न्यूयार्क शहर में प्रदर्शन किया था। एक साल बाद सोशलिस्ट पार्टी ऑफ़ अमेरिका ने इस दिन को पहला राष्ट्रीय महिला दिवस घोषित किया। वहीं 1909 में एक समाजवादी राजनीतिक कार्यक्रम के रूप में दुनिया का पहला महिला दिवस का आयोजन न्यूयॉर्क में हुआ। वहीं धीरे-धीरे यह दिन दुनिया भर में अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में लोकप्रिय हो गया।

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 2021 की थीम क्या है ?

इस साल अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की थीम #ChooseToChallenge है। इस थीम को इस सोच के साथ चुना गया है कि इस बदलती हुई दुनिया में व्यक्तिगत तौर पर हम सब अपने विचार और कार्य के लिए ज़िम्मेदार हैं।

भारत में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 2021

मंजिलें उन्हीं को मिलती है,

जिनके सपनो में जान होती है,

पंख से कुछ नहीं होता,

हौंसलों से ही उड़ान होती है।

इन्हीं पंक्तियों को आत्मसात करते हुए अपनी हिम्मत और लगन से देश की कई बेटियों ने वो कर दिखाया जिसकी मिसाल आज हर कोई बनना चाहता है। इस खास मौके पर आज हम आपको बताएँगे कुछ ऐसी ही बेटियों के बारे में जिन्होंने ने कम उम्र में वो कर दिखाया जिसके लिए हमारा समाज हमेशा उनको ये बताते आया है कि वह यह काम नहीं कर सकतीं। ये वो बेटियां है जिन्होंने अपने गांवों के विकास के लिए अपने प्रोफेशनल करियर तक को छोड़ दिया वो करियर जिसको बनाने के लिए न जाने कितने कठिन रास्तों से वो गुजरी होंगीं।

प्रवीण कौर

सबसे पहले बात करते हैं हरियाणा के 23 साल की प्रवीण कौर की, जिन्होंने अपने आत्मविश्वास के बल पर सबसे कम उम्र की सरपंच बनने का तमगा अपने नाम किया। इंजीनियरिंग करने  के बाद अच्छी-खासी नौकरी छोड़कर ये गांववालों के कहने पर सरपंच पद के लिए इलेक्शन लड़ी थीं और महज 21 साल की उम्र में ग्राम पंचायत ककराला-कुचिया की सरपंच बनी । प्रवीण कौर के कामों को लेकर वहां के लोग कहते हैं कि नेता हों तो प्रवीण कौर जैसी हो। प्रधानमंत्री मोदी भी इन्हें सम्मानित कर चुके हैं। अब यह गांव सुविधाओं के मायने में मेट्रो शहरों को भी पीछे छोड़ दिया है । हर गली में CCTV कैमरे हैं। सोलर लाइट्स से पूरा गांव रोशन रहता है। जगह-जगह पर वॉटर कूलर लगे हैं। गांव में बच्चों के लिए लाइब्रेरी है। स्कूल की बात करें तो बच्चे हिंदी के अलावा संस्कृत और अंग्रेजी भी फर्राटदार  बोलते हैं।

रीतू जायसवाल

वहीं बिहार के सोनबरसा जैसे ग्रामीण इलाके में रीतू जायसवाल ने वो कर दिखाया जिसकी कल्पना भी बहुत कम लोग कर पाते हैं। वर्ष 2016 में  रितू जायसवाल ने पंचायत चुनाव के दौरान राजनीति में कदम रखा। मुखिया बनते ही उन्होंने पंचायत के विकास के लिए कमर कस ली। कई बार उनपर फ़र्ज़ी मुकदमें भी हुए लेकिन इसके बावजूद भी वह रुकी नहीं। उन्होंने पंचायत की महिलाओं और युवतियों की माहवारी से संबंधित परेशानी पर काम किया।महिलाओं और युवतियों की माहवारी की पीड़ा को लेकर सिंहवाहिनी पंचायत में सेनिटरी पैड बैंक की स्थापना कर और उसके मुफ्त वितरण कर चर्चा में आई रितू जायसवाल ने वाकई नारी सशक्तिकरण का परिचय दिया। वह घुम-घुम कर सभी को जागरूक करने लगी।

छवि राजावत

अकसर ऐसा कहा जाता है कि दुनिया में कुछ ऐसे लोग होते हैं जो खुद के लिए नहीं बल्कि दूसरों के बेहतरी के लिए और दूसरों के जीवन में  कुछ खुशियां लाने के लिए जीते है और उसी में वो वह ख़ुशी पाते हैं। छवि राजावत जयपुर से 60 किलोमीटर दूर टोंक जिले के छोटे से गांव सोड़ा की सरपंच हैं। छवि ने संयुक्त राष्ट्र के 11वें इन्फो पॉवर्टी वर्ल्ड कॉन्फ्रेंस में अपनी कुशल प्रतिभागिता दर्ज की…  देश को दिशा देने वाले आठ भारतीय युवा नेताओं में से एक होने का गौरव भी छवि ने प्राप्त किया। छवि ने ना सिर्फ भारत के सभी युवाओं के लिए बल्कि विशेष रूप से गांवों में रहने वाली महिलाओं और युवतियों में एक नई चेतना का संचार किया है जिससे अब वो भी सपने देखने की हिम्मत कर पाएंगी ।एक छोटे से गाँव से इस तरह अंतराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त करने की जहाँ कोई सोच भी नहीं सकता था। वह छवि ने कर दिखाया। इन सभी महिलाओं की उपलब्धियों को देखते हुए अमेरिका की प्रसिद्ध गणितज्ञ (MATHMETICIAN) कैथरीन जॉनसन ने कहा था, “लड़कियां वह सब कुछ करने के काबिल होती हैं ,जिसे पुरुष कर सकते हैं। कभी -कभी उनकी कल्पनाशक्ति पुरुषों से भी अधिक होती है।”