WORLD WETLANDS DAY: विश्व आर्द्रभूमि दिवस पर वैश्विक जागरूकता बढ़ाने के लिये की गयी अपील


पूरी दुनिया में 2 फरवरी को विश्व आर्द्रभूमि दिवस (World Wetland Day) के रूप में मनाया गया। गौरतलब है कि आर्द्रभूमि दिवस का आयोजन लोगों और हमारे ग्रह के लिये आर्द्रभूमि की महत्त्वपूर्ण भूमिका के बारे में वैश्विक जागरूकता बढ़ाने के लिये किया जाता है।


बबली कुमारी बबली कुमारी
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आखिर क्या है वेटलैंड्स ? वेटलैंड किसे कहते है?
वेटलैंड का मतलब होता है नमी या दलदली क्षेत्र अथवा पानी से संतृप्त भूभाग से है। अर्थात नमी या दलदली भूमि क्षेत्र को वेटलैंड्स कहते है। बहुत सी जगह पर सालभर जमीन पानी से भरा रहता है। वेटलैंड की मिट्टी झील, नदी व तालाब के किनारे का हिस्सा होता है। आर्द्रभूमि वह क्षेत्र है जो सालभर आंशिक रूप से या पूर्णतः जल से भरा रहता है। वेटलैंड के बहुत से लाभ है। भारत में वेटलैंड ठंडे और शुष्क इलाकों से लेकर मध्य भारत के कटिबंधीय मानसूनी इलाकों और दक्षिण के नमी वाले इलाकों तक फैली हुई है। आपको बता दे की वेटलैंड जल को प्रदुषण से मुक्त बनाती है।

केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के अनुसार, इस वर्ष का विषय “वेटलैंड एंड वॉटर” है। मंत्रालय ने कहा कि विषय के साथ, पानी की उपलब्धता और इसके उपयोग पर ध्यान केंद्रित करने का इरादा है।

इसने कहा कि पृथ्वी पर केवल 2.5 प्रतिशत पानी ताज़ा है और 1 प्रतिशत से कम उपयोग करने योग्य है। पर्यावरण मंत्रालय ने कहा, पिछले 100 वर्षों में हमारे जल उपयोग में छह गुना वृद्धि हुई है और प्रत्येक वर्ष 1 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।”

प्राकृतिक आर्द्रभूमि स्थायी रूप से या मौसमी रूप से पानी में संतृप्त होती है और जलीय पौधों के लिए आवास बनाती है। वे पानी की बड़ी मात्रा को बनाए रखते हैं और उनकी धीमी गति से रिहाई उन्हें बाढ़ और सूखे जैसी चरम मौसम स्थितियों का मुकाबला करने के लिए महत्वपूर्ण बनाती है। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार ‘किडनी ऑफ लैंडस्केप’, वेटलैंड्स जल शोधन, जल विनियमन, जैव विविधता, सौंदर्यशास्त्र और मनोरंजन में योगदान करते हैं।

एनजीओ वेटर्स इंटरनेशनल की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में दक्षिण एशिया में अधिकतम आर्द्रभूमि है – 7.7 लाख – देश के 4.6 प्रतिशत भौगोलिक क्षेत्र को कवर करती है। भारत में आर्द्रभूमियों की संख्या एशिया में केवल जापान और चीन के बगल में है।

पिछले साल, रामसर ने भारत से 10 और आर्द्रभूमि स्थलों को अंतर्राष्ट्रीय महत्व के स्थलों के रूप में घोषित किया।

पर्यावरण मंत्रालय के अनुसार, 1970 के बाद से 35 प्रतिशत आर्द्रभूमि गायब हो गई है और 1700 के बाद से 87 प्रतिशत खो गए हैं। वेटलैंड के नुकसान के कारण कृषि और निर्माण, प्रदूषण, संसाधनों की अधिकता (जैसे ओवरफिशिंग), आक्रामक प्रजातियों और जलवायु परिवर्तन के लिए जल निकासी और जलसेक हैं।

इसमें राज्य सरकारों और अन्य एजेंसियों को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है कि आर्द्रभूमि संरक्षित हो क्योंकि कई प्रजातियों का भविष्य इन क्षेत्रों के स्वास्थ्य पर निर्भर करता है।

क्यों महत्त्वपूर्ण हैं वेटलैंड्स?

उपयोगी वनस्पतियों एवं औषधीय पौधों के उत्पादन में सहायक:
♦ वेटलैंड्स जंतु ही नहीं बल्कि पादपों की दृष्टि से भी एक समृद्ध तंत्र है, जहाँ उपयोगी वनस्पतियाँ एवं औषधीय पौधे भी प्रचुर मात्रा में मिलते हैं।
♦ अतः ये उपयोगी वनस्पतियों एवं औषधीय पौधों के उत्पादन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

लोगों की आजीविका के लिये महत्त्वपूर्ण:
⇒ दुनिया की तमाम बड़ी सभ्यताएँ जलीय स्रोतों के निकट ही बसती आई हैं और आज भी वेटलैंड्स विश्व में भोजन प्रदान करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
⇒ वेटलैंड्स के नज़दीक रहने वाले लोगों की जीविका बहुत हद तक प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से इन पर निर्भर होती है।

पर्यावरण सरंक्षण के लिये महत्त्वपूर्ण:
⇒ वेटलैंड्स ऐसे पारिस्थितिकीय तंत्र हैं जो बाढ़ के दौरान जल के आधिक्य का अवशोषण कर लेते हैं।
⇒ इस तरह बाढ़ का पानी झीलों एवं तालाबों में एकत्रित हो जाता है, जिससे मानवीय आवास वाले क्षेत्र जलमग्न होने से बच जाते हैं।
⇒ इतना ही नहीं ‘कार्बन अवशोषण’ व ‘भू जल स्तर’ में वृद्धि जैसी महत्त्वपूर्ण भूमिकाओं का निर्वहन कर वेटलैंड्स पर्यावरण संरक्षण में अहम योगदान देते हैं।

नितिन गडकरी ने ट्वीट कर दी वर्ल्ड वेटलैंड्स डे की शुभकामनाएं-