यशवंत सिन्हा ने चुनावी रणनीति को लेकर पहली बैठक की, कहा – ‘रबर-स्टाम्प राष्ट्रपति’ नहीं चाहिए


राष्ट्रपति चुनाव के लिए विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा ने अपनी चुनावी रणनीति को लेकर बुधवार को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के कार्यालय में पहली बैठक की और कहा कि देश में ‘रबर-स्टाम्प राष्ट्रपति’ नहीं चाहिए।


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नई दिल्ली। राष्ट्रपति चुनाव के लिए विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा ने अपनी चुनावी रणनीति को लेकर बुधवार को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के कार्यालय में पहली बैठक की और कहा कि देश में ‘रबर-स्टाम्प राष्ट्रपति’ नहीं चाहिए।

सिन्हा ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि राष्ट्रपति चुनाव व्यक्तिगत लड़ाई नहीं है बल्कि देश के सामने खड़े मुद्दों की लड़ाई है।

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘‘मैं उन सभी राजनीतिक दलों का आभारी हूं जिन्होंने राष्ट्रपति चुनाव में मुझे अवसर दिया। मैं खुश हूं कि इन दलों ने मुझमें विश्वास जताया है। मैं यह कहना चाहता हूं कि यह चुनाव मेरे कोई व्यक्तिगत लड़ाई नहीं है। देश के सामने खड़े मुद्दों के आधार पर निर्वाचक मंडलों को फैसला करना है।’’

उनके मुताबिक, भारतीय जनता पार्टी नीत केंद्र सरकार उस रास्ते पर चल रही है जो देश के लिए अच्छा नहीं है और नौजवान पीड़ा का सामना कर रहे हैं लेकिन सरकार ने ‘अग्निपथ’ योजना लाकर ‘मजाक’ किया है।

उन्होंने कहा, ‘‘राष्ट्रपति चुनाव बहुत संवेदनशील होता है और मैं सरकार के दबाव में नहीं आऊंगा।’’

सिन्हा 27 जून को नामांकन दाखिल करेंगे और पूरी संभावना है कि वह अपने चुनाव प्रचार अभियान की शुरुआत झारखंड और बिहार से करें।

उन्होंने कहा, ‘‘हम प्रचार के लिए देश के विभिन्न स्थानों पर जाएंगे… हम उसी को लेकर रणनीति बना रहे हैं। मैं द्रौपदी मुर्मू को बधाई देता हूं, लेकिन यह चुनाव ‘मैं बनाम वह’ नहीं है, यह वैचारिक मुकाबला है। देश में रबर-स्टाम्प राष्ट्रपति नहीं होना चाहिए।’’

सिन्हा की चुनावी रणनीति से जुड़ी बैठक में जयराम रमेश (कांग्रेस), के. के. शास्त्री (राकांपा) और सुधींद्र कुलकर्णी शामिल हुए।

राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ने झारखंड की पूर्व राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति चुनाव में अपना उम्मीदवार बनाया है।

सिन्हा ने बाद में एक बयान जारी कर आरोप लगाया कि एक विचारधारा से जुड़े नेतागण संविधान का गला घोंटने पर आमादा हैं। उन्होंने कहा, ‘‘इन नेताओं का मानना है कि भारत का राष्ट्रपति… बल्कि वह ऐसा रबर-स्टाम्प होना चाहिए जो सरकार के अनुसार काम करे। मुझे उस विचारधारा से जुड़ने को लेकर गर्व है जो संविधान और गणराज्य बचाने को प्रतिबद्ध है।’’

उन्होंने कहा कि अगर वह राष्ट्रपति निर्वाचित होते हैं तो भय या पक्षपात के बिना संविधान के बुनियादी मूल्यों और विचारों को अक्षुण रखेंगे।

सिन्हा का कहना था, ‘‘संविधान के संघीय ढांचे पर हो रहे हमलों के बीच केंद्र सरकार राज्य सरकारों के वैधानिक अधिकारों और शक्तियों को छीनने की कोशिश कर रही है जो पूरी तरह अस्वीकार्य होगा।’’

उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति चुने जाने पर वह किसानों, कामगारों, बेरोजगार युवाओं और वंचित तबकों के लिए आवाज उठाएंगे।



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