केकी एन दारूवाला के व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाशित पुस्तक पर चर्चा


नमिता गोखले ने निर्मल वर्मा और केकी. एन दारूवाला के साथ उनकी अमृतसर यात्रा को याद करते हुए कहा कि वह बहुत ही खुशमिज़ाज हैं। उनकी कविता खुद बोलती है।


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नई दिल्ली। साहित्य अकादेमी द्वारा अंग्रेजी के प्रख्यात लेखक केकी. एन दारूवाला पर प्रकाशित पुस्तक ए हाउस ऑफ वर्ड्स (संपादक उषा अकेला) पर एक बातचीत का आयोजन आभासी मंच पर किया गया। इस चर्चा में केकी. एन दारूवाला के व्यक्तित्व और कृतित्व पर हरीश त्रिवेदी, मालाश्री लाल, नमिता गोखले, उषा अकेला, वसुंधरा राय, सुकृता पाल कुमार, रंजीत होस्कोटे, संयुक्ता दास गुप्ता और साहित्य अकादेमी के सचिव के. श्रीनिवासराव ने अपने विचार व्यक्त किए।

हरीश त्रिवेदी ने उन्हें क्लासिक कवि बताते हुए कहा कि वह एक तरीके से आम जनता के कवि हैं। उनकी कुछ कविताओ मदर, डॉटर, बर्थडे गर्ल आदि का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि यह हमारे आम जनजीवन से संबंधित हैं। वह रोमांटिक कवि नहीं है। उन्होंने उनके उर्दू प्रेम का भी उल्लेख किया।

नमिता गोखले ने निर्मल वर्मा और केकी. एन दारूवाला के साथ उनकी अमृतसर यात्रा को याद करते हुए कहा कि वह बहुत ही खुशमिज़ाज हैं। उनकी कविता खुद बोलती है। उन्होंने रस्किन बॉन्ड के साथ उनके बिताए कुछ समय को याद करते हुए कहा कि वह बहुत अच्छे मेहमान नवाज भी हैं।

रंजीत होस्कोटे ने उन्हें एक उच्च स्तर के कवि के रूप में याद करते हुए कहा कि उनका व्यक्तित्व बहुआयामी है। वे अनेक विधाओं में लिखते हैं। सुकृता पाल कुमार ने कहा उनकी कविता बहुत सरल है उसमें अनावश्यक विचार या दुरूहता नहीं है। उन्होंने उनके द्वारा भारत में पोएट्री क्लब स्थापना के बारे में की भी चर्चा की।

अकादेमी के सचिव के. श्रीनिवासराव ने कहा कि उनकी कविताएं भारत के बहुसंस्कृतिवादी छवि का सच्चा प्रीतिनिधितव करती हैं। पुस्तक की संपादक उषा अकेला ने साहित्य अकादेमी को इस पुस्तक के प्रकाशन पर बधाई देते हुए उन सभी लेखकों के प्रति आभार व्यक्त किया जिनके आलेख इस किताब में शामिल हैं। चर्चा का संचालन संयुक्ता दास गुप्ता ने किया।



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