साहित्य अकादेमी  ‘पुस्तकायन’ का आठवां दिन:  डिजिटल युग में प्रकाशन की स्थिति पर हुई चर्चा


चर्चा की अध्यक्षता कर रहे प्रभात कुमार ने कहा कि किताब संस्कृति विकसित करने के लिए हमें सरकार की तरफ ही सिर्फ़ नहीं देखना चाहिए, बल्कि स्वयं भी प्रयास करके आगे आना होगा। उन्होंने लेखकों से अनुरोध किया कि वे अभिव्यक्ति को रोचक बनाएँ, जिससे पाठक सेल्फी विद् बुक लेने पर विवश हों।


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नई दिल्ली। साहित्य अकादेमी द्वारा आयोजित पुस्तकायन पुस्तक मेले के आठवें दिन ‘डिजिटल युग में प्रकाशन’ की स्थिति पर पैनल चर्चा का आयोजन किया गया। चर्चा की अध्यक्षता प्रभात प्रकाशन के प्रभात कुमार ने की और महेश भारद्वाज (सामयिक प्रकाशन) एवं अशोक गुप्ता (अद्विक प्रकाशन) के अतिरिक्त अन्य प्रकाशकों ने भी अपने विचार प्रस्तुत किए। सभी का कहना था कि डिजिटल तकनीकी ने जहाँ कुछ सुविधाएँ दीं तो कुछ मुश्किलें भी पैदा हुई हैं। मुद्रित सामग्री की तुलना में डिजिटल सामग्री बहुत जल्दी और सस्ते में लोगों तक पहुँच जाती है, जिससे पुस्तक खरीद की मात्रा पर संकट गहराता है।

महेश भारद्वाज ने अपने कई अनुभवों को साझा करते हुए कहा कि केवल प्रकाशकों को दोष देना ठीक नहीं है। पुस्तकों की बिक्री बढ़ाने के लिए लेखक और पाठकों को आगे आना होगा। अशोक गुप्ता ने कहा कि लेखन स्तरीय होने पर ही पाठक पुस्तकें खरीदनें पर विवश होंगे। कुसुम लता सिंह ने कहा कि बच्चों में पढ़ने के संस्कार माता-पिता को ही पैदा करने होंगे। उन्होंने पठन-पाठन की संस्कृति विकसित करने के लिए सभी से सामूहिक प्रयास करने का अनुरोध किया।

अंत में, चर्चा की अध्यक्षता कर रहे प्रभात कुमार ने कहा कि किताब संस्कृति विकसित करने के लिए हमें सरकार की तरफ ही सिर्फ़ नहीं देखना चाहिए, बल्कि स्वयं भी प्रयास करके आगे आना होगा। उन्होंने लेखकों से अनुरोध किया कि वे अभिव्यक्ति को रोचक बनाएँ, जिससे पाठक सेल्फी विद् बुक लेने पर विवश हों।

सांस्कृतिक कार्यक्रम के अंतर्गत आज सीसीआरटी छात्रवृत्ति पा रही अभिज्ञा बेडतूर ने वायलिन वादन प्रस्तुत किया और नितिका वर्धन ने शास्त्रीय गायन प्रस्तुत किया।

इससे पहले पूर्वाह्न 11.00 बजे साहित्य अकादेमी की प्रतिष्ठित प्रेमचंद महत्तर सदस्यता भूटान के छिरिङ ताशी को प्रदान की गई। उनका स्वागत साहित्य अकादेमी के सचिव के. श्रीनिवासराव ने किया और प्रशस्ति-पत्र का वाचन किया। छिरिङ ताशी ने किस्सागोई: संस्कृति का कोश विषय पर अपना व्याख्यान देते हुए भूटान की ताशी गोमांग प्रथा के बारे में बताते हुए कहा कि यह प्रथा पूरे भूटान में बौद्ध भिक्षुओं द्वारा जगह-जगह भ्रमण के दौरान सुनाई जाने वाली कहानियों की ऐसी अमूल्य धरोहर है जिसका संरक्षण करना बेहद ज़रूरी है।

कल पुस्तक मेले का अंतिम दिन है और इस दिन ‘अपने प्रिय लेखक से मिलिए’ कार्यक्रम के अंतर्गत उर्दू के प्रसिद्ध लेखक ख़ालिद जावेद, हिंदी की प्रख्यात लेखिका महुआ माजी और पंजाबी के लोकप्रिय लेखक बलदेव सिंह ‘सड़कनामा’ पाठकों से रूबरू होंगे। सांस्कृतिक प्रस्तुति के बाद, साहित्य मंच कार्यक्रम के अंतर्गत धीरज भटनागर अपनी प्रस्तुति देंगे।



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