प्रख्यात लेखिका तेमसुला आओ उत्तर-पूर्व का सच्चा चेहरा थी-विश्वनाथ प्रसाद तिवारी

डी. कोहली ने कहा कि उनके काम से उत्तर-पूर्व के युवाओं को प्रेरणा लेनी चाहिए और अपने क्षेत्र के उत्थान के लिए निस्वार्थ काम करना चाहिए। उनकी बेटी अनुङ्ला ने कहा कि एक माँ के रूप में उन्होंने हम सबको अच्छी शिक्षा और मानवीय होने में हमारी सहायता की।

नई दिल्ली। साहित्य अकादेमी द्वारा आज आभासी मंच पर प्रख्यात लेखिका तेमसुला आओ की स्मृति में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। ज्ञात हो कि उनका निधन 9 अक्तूबर 2022 को दीमापुर में हो गया था। साहित्य अकादेमी के पूर्व अध्यक्ष विश्वनाथ प्रसाद तिवारी ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि वे आओ भाषा को प्रतिष्ठता दिला पाई, जिसकी कोई लिपि भी नहीं थी। उन्होंने केवल नागालैंड के लिए नहीं बल्कि समूचे उत्तर-पूर्व के लिए कार्य किया और वह भी बहुत सहजता के साथ, बिना मुखर हुए। वे उत्तर-पूर्व का सच्चा चेहरा थीं।

जसवंत ने उन्हें पहले एक शिक्षक और फिर एक सहयोगी के रूप में याद करते हुए कहा कि नागा लोककथाओं पर किए गए उनके कार्य ने उनके व्यक्तित्व को नई पहचान दी। उन्होंने उनके द्वारा उत्तर-पूर्व क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र की निदेशक के रूप में उनके पाँच वर्षों की उपलब्धियों की भी चर्चा कीं। ममंग दई ने 2009 में उनके साथ लंदन पुस्तक मेले की याद करते हुए कहा कि नागा क्षेत्र के विकास के लिए उन्होंने उन्होंने महत्त्वपूर्ण कार्य किया। उन्होंने उनकी सादगी और ईमानदारी को याद करते हुए कहा कि उनका जाना उत्तर-पूर्व क्षेत्र के लिए गहरा सदमा है।

साहित्य अकादेमी के उपाध्यक्ष माधव कौशिक ने उनके निधन को बड़ी क्षति बताते हुए कहा कि वे साहित्य अकादेमी की सच्ची मार्गदर्शक और सहयोगी थी और अपने लेखन एवं उसके अनुवाद से पूरे भारत में लोकप्रिय थीं। उनका जाना नागालैंड की क्षति ही नहीं बल्कि देश के साहित्यिक जगत की क्षति है। मृणाल गिरी ने उनके नागा लोकसाहित्य एवं संस्कृति पर किए गए महत्त्वपूर्ण कार्य को याद करते हुए उनकी पाककला की भी प्रशंसा की। ज़मां आजुर्दा ने उनके साथ अपनी कई मुलाकातों को याद करते हुए कहा कि अपनी स्थानीय संस्कृति के लिए उनमें गहरी श्रृद्धा थी।

वनिता ने उन्हें क्वीन ऑफ हिल्स की पदवी देते हुए कहा कि वे शरीर से हमारे बीच नहीं है लेकिन उनका लेखन हमारे बीच हमेशा रहेगा। किरण कुमार ने कहा कि वे उत्तर-पूर्व की ही नहीं बल्कि पूरे भारत की प्रतिनिधि थी। वे हमेशा बेहतर परामर्श देती थी, उन जैसा शिक्षक, मार्गदर्शक और उत्कृष्ट लेखक मिलना मुश्किल है।

मालाश्री लाल ने कहा कि नागालैंड पर उनकी कहानियों से उन्हें वहाँ के लैंगिक व्यवहार की गहरी जानकारी प्राप्त हुई, जिससे उनकी सोच में व्यापक बदलाव हुए। एस. लेमाडे ने कहा कि वे मेरी माँ की तरह थी और उनका हँसता हुआ चेहरा मुझे हमेशा प्रेरणा देता रहेगा। उनके जाने से उत्तर-पूर्व का एक सजग प्रतिनिधि हमारे बीच से चला गया है। मिमी इजुंग ने उन्हें एक शिक्षक, मार्गदर्शक और अपने काम के प्रति समर्पित व्यक्तित्व के रूप में याद करते हुए कहा कि उत्तर-पूर्व के साहित्यिक और सांस्कृतिक उत्थान के लिए किए गए उनके कार्य हमेशा याद किए जाएँगे।

डी. कोहली ने कहा कि उनके काम से उत्तर-पूर्व के युवाओं को प्रेरणा लेनी चाहिए और अपने क्षेत्र के उत्थान के लिए निस्वार्थ काम करना चाहिए। उनकी बेटी अनुङ्ला ने कहा कि एक माँ के रूप में उन्होंने हम सबको अच्छी शिक्षा और मानवीय होने में हमारी सहायता की। हम उन्हें उनके साहित्य से हमेशा अपने बीच पाते रहेंगे। सुबोध सरकार ने उन्हें एक बेहतर कवयित्री के रूप में याद करते हुए कहा कि उनसे ही मैं उनके अनोखे लोक को जान और समझ सका। सुकृता पॉल कुमार ने उन्हें एक उत्कृष्ट लेखिका के रूप में याद किया।

कार्यक्रम के आरंभ में साहित्य अकादेमी के सचिव के.श्रीनिवासराव ने उन्हें शृद्धांजलि देते हुए कहा कि उनके जाने से साहित्य अकादेमी ने एक सच्चा हितेषी और मार्गदर्शक खो दिया है। वे अपने कार्यों से उत्तर-पूर्व के लोगों के लिए हमेशा प्रेरणा का स्रोत बनी रहेंगी।

First Published on: October 12, 2022 8:49 PM
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