फ़िराक़ इंसानियत के शायर हैं-सैयद तक़ी आबिदी


फ़िराक़ गोरखपुरी हिंदुस्तानियत के शायर थे और उनकी पूरी शायरी में भारतीयता के रंग ,संस्कार और संस्कृति की सच्ची तस्वीर मिलती है ।


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नई दिल्ली। साहित्य अकादेमी द्वारा आज फ़िराक़ गोरखपुरी : व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर एक साहित्य मंच कार्यक्रम का आयोजन किया गया। आरंभिक वक्तव्य उर्दू परामर्श मंडल के संयोजक, चंद्रभान ख़याल,मुख्य वक्तव्य प्रतिष्ठित उर्दू समालोचक एवं विद्वान सैयद तक़ी आबिदी और अध्यक्षीय वक्तव्य प्रतिष्ठित उर्दू एवं अरबी विद्वान अख़तरुल वासे द्वारा प्रस्तुत किया गया।

कार्यक्रम के आरंभ में साहित्य अकादेमी के सचिव के.श्रीनिवासराव द्वारा अतिथियों का स्वागत अंगवस्त्रम और साहित्य अकादेमी की पुस्तकें भेंट करके किया।

अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में अख़तरुल वासे साहब ने कहा कि फ़िराक़ गोरखपुरी हिंदुस्तानियत के शायर थे और उनकी पूरी शायरी में भारतीयता के रंग ,संस्कार और संस्कृति की सच्ची तस्वीर मिलती है । अपने मुख्य वक्तव्य में कनाडा से पधारे सैयद तक़ी आबिदी ने कहा कि फ़िराक़ इंसानियत के पैरोकार है और उन्होंने उर्दू शायरी को नया और भारतीय चेहरा प्रदान किया।

आगे उन्होंने कहा कि फ़िराक़ साहब की भाषा बनावटी नहीं है और वह गजल लेखन की सारी परंपराओं का प्रतिनिधित्व करते हैं। अपने आरंभिक वक्तव्य में चंद्रभान ख्याल साहब ने कहा कि उनके सारे लेखन में चाहे उसका कोई भी विषय हो एक गहरी फिक्र नजर आती है जो उनके गहरे तजुर्बे के कारण संभव है। उनकी शायरी में जो भरपूर इश्क है वह अपने आप में बिल्कुल अलग है।उनका आशिक माशूक के आगे पीछे घूमने वाला महबूब नहीं बल्कि उसके साथ चलने वाला दोस्त है ।



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