रचना में ही मनुष्यता बची है-दिविक रमेश


साहित्यकार दिविक रमेश ने कहा कि साहित्य और रचना में ही मनुष्यता बची है। भाषा का सीधा संबंध भावना से होता है और हर लेखक समाज की विसंगतियों पर नजर रखता है।


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नई दिल्ली। साहित्य अकादेमी द्वारा शुक्रवार को एक लेखक सम्मिलन का आयोजन किया गया जिसमें गोवा से पधारे कोंकणी- मराठी लेखकों एवं दिल्ली के हिंदी साहित्यकारों के बीच रचना -पाठ और संवाद हुआ। सम्मिलन में चौदह कोंकणी-मराठी लेखकों और तीन हिंदी साहित्यकारों ने भाग लिया।

कार्यक्रम के आरंभ में साहित्य अकादेमी के सचिव के. श्रीनिवासराव ने सभी अतिथि लेखकों का स्वागत करते हुए कहा कि इस तरह के लेखक सम्मिलन से जहां दूसरी भाषाओं के साहित्यिक और सांस्कृतिक परिवेश को समझने में सहायता मिलती है वहीं लेखकों के बीच सामंजस्य और सदभावना भी पैदा होती है। आगे उन्होंने कहा कि ऐसे सम्मिलन परस्पर भाषाओं में अनुवाद प्रक्रिया शुरू करने की आधार भूमि भी तैयार करते हैं जो की साहित्य अकादेमी का मुख्य लक्ष्य है। रचनाकारों से बातचीत के दौरान वहां के समाचार पत्र-पत्रिकाओं में साहित्य की उपस्थिति, युवाओं में साहित्य के प्रति रुचि और अनुवाद की स्थिति के बारे में भी उपयोगी जानकारियां आदान-प्रदान की गईं।

सम्मिलन की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ हिंदी साहित्यकार दिविक रमेश ने कहा कि साहित्य और रचना में ही मनुष्यता बची है। भाषा का सीधा संबंध भावना से होता है और हर लेखक समाज की विसंगतियों पर नजर रखता है। गोवा से पधारे साहित्यकारों ने अपनी- अपनी भाषाओं में ग़ज़ल और कविताएं प्रस्तुत की और बाद में उनके हिंदी अर्थ को भी प्रस्तुत किया। सभी रचनाओं में वहां की प्रकृति, समाज की विसंगतियां, स्त्री की उपस्थिति और मानवीय संवेदनाओं को बहुत ही सटीक ढंग से प्रस्तुत किया गया था।

हिंदी गज़लकार कमलेश भट्ट कमल ने अपनी प्रस्तुत ग़ज़ल में कहा कि ईश्वर ने जो हमें दे रखा है वह इतना अतुलनीय और अद्भुत है कि हमें इसका सम्मान करना चाहिए। हिंदी लेखिका अलका सिन्हा ने अपनी कविता मेरा देश प्रस्तुत की जिसका तात्पर्य था कि मेरे या हम सबके भीतर ही रहता है मेरा देश। दिविक रमेश ने अपनी कविता डोलू प्रस्तुत की जिसमें एक बच्ची के द्वारा इस संसार को देखने-समझने की कोशिश की गई थी।

सम्मिलन में उपस्थित कोंकणी मराठी लेखक थे-दशरथ परब, प्रकाश रामचंद्र क्षीरसागर, चित्रा क्षीरसागर,कालिका राजेंद्र बापट, पौर्णिमा राजेंद्र केरकर, माधव जी सटवाणी,दीपा जयंत मिरिंगकर, आसावरी कुलकर्णी,विजया मारोतकर, नितीन कोरगावकर, रजनी अरूण रायकर,शर्मिला विनायक प्रभु,शुभदा और समृद्धि केरकर। कार्यक्रम का संचालन सहायक संपादक अजय कुमार शर्मा ने किया।



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