नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्तर पर उत्कृष्ट कलाकारों को मान्यता प्रदान करने और प्रतिभाशाली कलाकृतियों को प्रदर्शित करने हेतु ललित कला अकादेमी प्रतिवर्ष राष्ट्रीय कला प्रदर्शनी का आयोजन करती है। यह प्रदर्शनी दृश्य कला के क्षेत्र में प्रतिष्ठित प्रदर्शनी है। 63वीं राष्ट्रीय कला प्रदर्शनी 2023 का उद्देश्य सौंदर्यात्मक अपील और माध्यमों के उपयोग के संबंध में श्रेष्ठ कलाकृतियों को प्रदर्शित करना है। प्रदर्शनी में चित्रकला, मूर्तिशिल्प, ग्राफिक, फोटोग्राफी, ड्राईंग, इंस्टालेशन और बहुमाध्यम सरीखे वृहद कला माध्यमों की कलाकृतियाँ शामिल की जाएँगी।
इस प्रदर्शनी के लिए हमारे सम्मानित निर्णायक मंडल द्वारा बीस पुरस्कार विजेताओं का चयन किया गया हैः- अभिप्शा प्रधान, आकाश बिस्वास, अनामिका सिंह, अनस सुल्तान, आरती पालीवाल, भाउराव बोडाडे, चुगुली कुमार साहू, दीपक कुमार, दीपक कुमार, जान्हवी खेमका, किरन अनिला शेरखाने, कुमार जिगीशु, महेन्द्र प्रताप दिनकर, नागेश बालाजी गाडेकर, नरोत्तम दास, पंकज कुमार सिंह, पवन कुमार, प्रियोम तालुकदार, सामा कांत रेड्डी और सोमेन देबनाथ।
अकादेमी के अध्यक्ष प्रो. वी. नागदास ने कहा “राष्ट्रीय कला प्रदर्शनी भारतीय कलाकारों का मनोबल प्रबल करती है। उनकी सृजनात्मक प्रतिभाओं को मान्यता देती है। पुरस्कार विजेताओं और प्रतिभागियों को बधाई देते हुए उन्होंने जोर देकर कहा कि दृश्य कलाओं की राष्ट्रीय प्रदर्शनी के उत्सव-स्वरूप भारतीय कला समुदाय को एक साथ आना चाहिए।“ पुरस्कार विजेता को अकादेमी द्वारा 2 लाख रुपये का पुरस्कार एक ताम्रफलक और एक शॉल दिया जाएगा। प्रदर्शनी का आयोजन ललित कला अकादेमी की कला दीर्घा में किया जाएगा। साथ ही पुरस्कार वितरण समारोह भी नई दिल्ली में आयोजित किया जाएगा।
विजेताओं का चयन प्रदर्शनी हेतु गठित द्विस्तरीय निर्णायक मंडल द्वारा किया गया जिसमें पूरे देश से कलाकार, कला आलोचक और कला पारखी शामिल थे। ललित कला अकादेमी द्वारा गठित प्रथम स्तरीय निर्णायक मंडल में अभिजीत भट्टाचार्य, प्रो. हर्षवर्धन शर्मा, रतिलाल कन्सोदरिया, अल्का चढ्ढा हरपलानी और विशाखा आप्टे शामिल हैं।
पुरस्कारों के चयन हेतु गठित द्वितीय निर्णायक मंडल में सुआसमा मेनन, बासुदेव बिस्वास, भीम मल्होत्रा, चिप्पा सुधाकर, डॉ. आर.एच. कुलकर्णी और सुधांशु भूषण सुतार शामिल हैं।
अकादेमी को पूरे देश से 2291 कलाकारों की 5714 प्रविष्टियाँ प्राप्त हुई थीं। निर्णायक मंडल ने राष्ट्रीय प्रदर्शनी के लिए विभिन्न माध्यमों से 297 कृतियों का चयन किया। इन चयनित कलाकृतियों में से 20 कलाकृतियों का चयन 63वीं राष्ट्रीय कला प्रदर्शनी के लिए पुरस्कार हेतु किया गया।
पुरस्कृत कलाकार है :-
कलाकार कृति का शीर्षक मीडियम
1. अभिप्शा प्रधान जरनी – 58 पेंटिंग
2. आकाश बिस्वास द कोरल (I) पेंटिंग
3. अनामिका सिंह डिस्टॉरशन-006 प्रिंट मेकिंग
4. अनस सुल्तान मेटामोरफोसिस – XI पेंटिंग
5. आरती पालीवाल नेचर – I मूर्तिशिल्प
6. भाउराव बोडाडे अनटाइटल्ड पेंटिंग
7. चुगुली कुमार साहू इनोसेन्स एडं फ्रीडम मूर्तिशिल्प
8. दीपक कुमार लाईफ ऑफ माई मदर पेंटिंग
9. दीपक कुमार क्रॉसिंग पेंटिंग
10. जान्हवी खेमका सपना इंस्टालेशन
11. किरन अनिला शेरखाने द एलीमेन्ट्स ऑफ लाईफ पेंटिंग
12. कुमार जिगीशु अनटाइटल्ड ईमोशन्स फ़ोटोग्राफ़ी
13. महेन्द्र प्रताप दिनकर नेचर बैलेन्स – 2 मूर्तिशिल्प
14. नागेश बालाजी गाडेकर हू एम आई प्रिंट मेकिंग
15. नरोत्तम दास नववधू मूर्तिशिल्प
16. पंकज कुमार सिंह ट्राँसफॉरमेशन ऑफ कॉस्मिक एंटिटी-2
पेंटिंग
17. पवन कुमार लाईट ऑफ होप – II फ़ोटोग्राफ़ी
18. प्रियोम तालुकदार डॉमिनेशन फॉर सेल्फ सेटिसफेक्शन; सिन्स 1449 ए.डी.
प्रिंट मेकिंग
19. सामा कांत रेड्डी आयरन ब्यूटी मूर्तिशिल्प
20. सोमेन देबनाथ नॉस्टेलजिक मेमोरिज़ – II मूर्तिशिल्प
ललित कला अकादेमी
ललित कला अकादेमी नई दिल्ली स्थित कला की राष्ट्रीय अकादेमी है। इसका गठन भारत सरकार ने स्वायत्तशासी संगठन के रूप में 5 अगस्त, 1954 में किया था। अकादेमी को 1957 में वैधानिक अधिकार सोसायटीज रजिस्ट्रेशन एक्ट 1860 के अन्तर्गत मिला। स्थापना के बाद से अकादेमी देश भर में कला प्रवर्तक के रूप में कार्य कर रही है।
अकादेमी द्वारा विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से देश भर में कलाकारों और कला उन्नायकों की रचनात्मक प्रवृत्तियों को बढ़ावा दिया जाता है। उनकी कलाकृतियों को अकादेमी देश-दुनिया के सामने प्रदर्शित करने के अवसर भी प्रदान करती है। इससे समूची संस्कृति को परिभाषित
एवं पुनः परिभाषित करने में मदद मिलती है। दृश्य कला वर्ग की सभी कलाओं को प्रोत्साहित करना ही अकादेमी का प्रमुख कार्य है और इसे दक्षता पूर्वक करने के लिए समय- समय पर कला प्रदर्शनियां, कला मेले एवं वर्कशॉप आदि आयोजित किए जाते हैं।
ललित कला अकादेमी के कार्यों में मुख्य रूप में आधुनिक एवं समकालीन कला एवं कला प्रवृत्तियों तथा उनकी समझ को प्रोत्साहित करना शामिल है। अकादेमी स्थानीय, राष्ट्रीय एवं अन्तरराष्ट्रीय दर्शकों के सामने इन कलात्मक प्रवृत्तियों को प्रदर्शित करने का मंच भी प्रदान