साहित्य अकादमी द्वारा प्रकाशित पुस्तक आधुनिक ईरानी कविताएँ का लोकार्पण


नई दिल्ली।  साहित्य अकादेमी, रवींद्र भवन में आज आधुनिक ईरानी कविताएँ पुस्तक का लोकार्पण संपन्न हुआ। इस अवसर पर साहित्य अकादेमी के सचिव के. श्रीनिवास राव, ईरान कल्चर हाउस के सांस्कृतिक परामर्शदाता मोहम्मद अली रब्बानी, अनुवाद विभाग, तेहरान की निदेशक सईदा हुसैनजानी, ईरान कल्चर हाउस के उपसांस्कृतिक सलाहकार अली रज़ा कज़वे, एनसीईआरटी के पूर्व अध्यक्ष जे. एस. राजपूत, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अख़्लाक आहन और पुस्तक के अनुवादक अज़ीज़ महदी उपस्थित थे।

इस अवसर पर साहित्य अकादेमी के सचिव के. श्रीनिवासराव ने सभी का स्वागत करते हुए कहा कि भारत और ईरान के प्राचीन सांस्कृतिक संबंध हैं और दोनों ही संस्कृतियों में कविता को महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। सही मायनों में दोनों देश कविताओं के ही देश हैं।

साहित्य अकादेमी इस तरह के परस्पर अनुवाद की शृंखला आगे भी जारी रखेगी। ईरान कल्चर हॉउस के सांस्कृतिक परामर्शदाता मोहम्मद अली रब्बानी ने इस अवसर पर कहा कि दो देशों को जानने का सबसे अच्छा तरीका साहित्य ही है। विभिन्न देशों के बीच यह संवाद का सबसे बेहतर और सुंदर रास्ता है। इससे ही हम एक दूसरे के नजदीक आकर एकता का सेतु बनाते हैं।

उन्होंने ईरान और भारत के बीच दो हज़ार साल पुराने अनुवाद के रिश्ते को याद करते हुए आशा व्यक्त की कि यह सिलसिला आगे भी कायम रहेगा। अनुवाद केंद्र, तेहरान की निदेशक सईदा हुसैनजानी ने भी अपने विचार प्रस्तुत करते हुए कविता की जरूरत और अनुवाद विभाग, तेहरान द्वारा किए जा रहे प्रमुख प्रयासों की चर्चा की।

अली रज़ा कज़वे ने अनुवाद की जरूरत और ईरानी संस्कृति में कविता की महत्ता को बताते हुए कहा कि ईरान में सभी कला माध्यमों में कविता का प्रथम स्थान है। एनसीईआरटी के पूर्व अध्यक्ष जे.एस. राजपूत ने कविता की विशेषता को प्रस्तुत करते हुए बताया कि लर्निंग टू लिव टुगेदर के साथ रहने की कला की विशेषता में साहित्य की भूमिका के बारे में बताया। उन्होंने बच्चों के बीच साफ दिल से कहे और किए गए अनुवाद की महत्त्वता का भी उल्लेख किया।

जेएनयू के प्रोफेसर अख़्लाक आहन ने पुस्तक के बारे में बताते हुए कहा कि इसमें पिछले 100 साल की ईरानी शायरी का प्रतिनिधि रूप प्रस्तुत किया गया है। इसमें 99 शायरों को चुना गया है। इस संकलन में हम शास्त्रीय ईरानी कविता से लेकर आधुनिक ईरानी कविता के अलग-अलग मिजाजों को पढ़ सकते हैं।

अंत में पुस्तक के हिंदी अनुवादक अज़ीज़ महदी ने इस पुस्तक को साकार बनाने में किए गए सहयोग के लिए साहित्य अकादेमी एवं ईरान कल्चर हॉउस, दिल्ली के सभी उपस्थित लोगों को धन्यवाद देते हुए संग्रह से कुछ कविताएँ प्रस्तुत कीं। इस अवसर पर कई महत्त्वपूर्ण ईरानी कवि एवं अनुवादक तथा साहित्य प्रेमी उपस्थित थे।



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