बाल कर्त्तव्यों की ही नहीं, उनके अधिकारों की बात भी करनी होगी – दिविक रमेश


देश-विदेश के कई बाल लेखकों के उदाहरण देते हुए कहा कि हमें केवल बाल कर्त्तव्यों की ही नहीं बल्कि उनके अधिकारों की बात भी करनी होगी। उन्होंने अपने स्वरचित बाल चरित्र ‘लू-लू’ के हवाले से कई बातें साझा करते हुए कहा कि बच्चों को लगातार उपदेश देने की बजाय उन्हें अपना साथी समझकर सलाह देने की कोशिश करें।


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साहित्य Updated On :

नई दिल्ली। साहित्य अकादेमी द्वारा आयोजित ‘पुस्तकायन’ पुस्तक मेले के दूसरे दिन बाल लेखक से भेंट, पुस्तक लोकार्पण,बाल साहित्य का वर्तमान परिदृश्य पर विमर्श और बाल कलाकारों की सांस्कृतिक प्रस्तुतियों जैसे कई महत्त्वपूर्ण और रंगारंग कार्यक्रम आयोजित किए गए। ‘अपने प्रिय लेखक से मिलिए’ कार्यक्रम में आज वरिष्ठ बाल साहित्यकार दिविक रमेश उपस्थित थे। उन्होंने अपने जीवन से जुड़ी कई रोचक बातों को साझा करते हुए बाल साहित्य के प्रति अपने लगाव की विस्तार से चर्चा की।

उन्होंने बताया कि वह पहले बड़े लोगों के लिए ही लिखा करते थे। लेकिन अपने गुरुओं के कहने पर उन्होंने बाल साहित्य लिखना शुरू किया लेकिन जर्मनी के एक बाल साहित्यकार से मिलने के बाद बाल साहित्य के प्रति उनकी दृष्टि बदली। क्योंकि उस जर्मन लेखक ने उनसे ज़ोर देकर कहा था कि वह बाल साहित्य ‘भी’ नहीं लिखता बल्कि बाल साहित्य ‘ही’ लिखता है।

देश-विदेश के कई बाल लेखकों के उदाहरण देते हुए कहा कि हमें केवल बाल कर्त्तव्यों की ही नहीं बल्कि उनके अधिकारों की बात भी करनी होगी। उन्होंने अपने स्वरचित बाल चरित्र ‘लू-लू’ के हवाले से कई बातें साझा करते हुए कहा कि बच्चों को लगातार उपदेश देने की बजाय उन्हें अपना साथी समझकर सलाह देने की कोशिश करें। ज्ञात हो कि इस अवसर पर साहित्य अकादेमी द्वारा उनकी पुस्तक ‘लू-लू का आविष्कार’ पुस्तक का लोकार्पण भी किया गया।

उन्होंने अपनी बाल कविताएँ, संस्मरण और छोटी कहानी भी प्रस्तुत की और सवालों के जवाब भी दिए। अगला सत्र जो ‘बाल साहित्य का वर्तमान परिदृश्य’ पर केंद्रित था, में मृणाल चंद्र कलिता (असमिया), कुमुद भीकू नायक (कोंकणी), तरसेम (पंजाबी) एवं हाफ़िज़ कर्नाटकी (उर्दू) ने अपनी-अपनी भाषाओं के बाल साहित्य की चर्चा की। सभी लेखकों ने इंटरनेट और मोबाइल के बढ़ते प्रयोग से निकलकर बच्चों में पढ़ने की आदत डालने का दायित्व माता-पिता और अध्यापकों का है, जो उन्हें ज़िम्मेदारी से निभाना चाहिए। सभी लेखकों ने अपनी-अपनी बाल रचनाएँ भी प्रस्तुत कीं।

‘आजादी के रंग बाल कलाकारों के संग’ शीर्षक से आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रमों की शृंखला में आज ओड़िसी (अनंगश्री सजीवंथ पार्वती), भरतनाट्यम् (अनन्या अरोड़ा) और कथक (शोभा जोशी) नृत्य प्रस्तुत किए गए। कल पुस्तक मेले में बच्चों के लिए कहानी-कविता लेखन कार्यशाला एवं कार्टून चित्रांकन कार्यशाला का आयोजन किया जाएगा। 18 नवंबर 2022 तक जारी रहने वाला यह पुस्तक मेला पाठकों के लिए निःशुल्क है और पूर्वाह्न 11.00 बजे से सायं 7.00 बजे तक खुला रहेगा।



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