नई दिल्ली। डोगरी भाषा की प्रथम आधुनिक कवयित्री पद्मा सचदेव का बुधवार को मुंबई में निधन हो गया। वह डोगरी के साथ हिंदी में भी लिखती थीं। पद्मा का जन्म 17 अप्रैल 1940 को पुरमण्डल में हुआ था। उनके पिता प्रो. जयदेव शर्मा हिंदी व संस्कृत के प्रकांड पंडित थे, जो 1947 में भारत के विभाजन के दौरान मारे गए थे। वे अपने चार भाई-बहनों में सबसे बड़ी थीं। उनकी शादी 1966 में ‘सिंह बंधू’ नाम से प्रचलित सांगीतिक जोड़ी के गायक सुरिंदर सिंह से हुई।
संस्कृत विद्वानों के परिवार में जम्मू में जन्मीं पद्मा ने लोककथाओं और लोकगीतों की समृद्ध वाचिक परंपरा से प्रेरित होकर अपना कवि व्यक्तित्व बनाया। 1969 में अपने पहले कविता-संग्रह मेरी कविता मेरे गीत के साथ राष्ट्रीय साहित्य परिदृश्य में पदार्पण किया। इस पुस्तक को 1971 में साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित किया था।
उनके साहित्य में भारतीय स्त्री के हर्ष और विषाद, विभिन्न मनोभावों और विपदाओं को स्थान मिला है। वह निरंतर अपनी भाषा, वर्तमान घटनाओं, त्यौहारों तथा भारतीय स्त्री की समस्याओं जैसे ज्वलंत विषयों पर समाचार-पत्रों एवं पत्रिकाओं में लिखती रहीं। डोगरी में आठ कविता-संग्रह, 3 गद्य की पुस्तकें तथा हिंदी में 19 कृतियाँ; जिनमें- कविता, साक्षात्कार, कहानियाँ, उपन्यास, यात्रावृत्तांत तथा संस्मरण शामिल हैं, प्रकाशित हुए।
इसके अलावा उनकी 11 अनूदित कृतियाँ भी प्रकाशित हैं, जिसमें उन्होंने डोगरी से हिंदी, हिंदी से डोगरी, पंजाबी से हिंदी तथा हिंदी से पंजाबी, अंग्रेज़ी से हिंदी तथा हिंदी से अंग्रेजी में भी परस्पर अनुवाद किया है। उनकीं अनेक कहानियों टेली-धारावाहिकों तथा लघु फिल्मों में रूपांतरित किया गया तथा उनके हिंदी और डोगरी गीतों को व्यवासयिक हिंदी सिनेमा ने भी इस्तेमाल किया। उन्होंने अपनी भाषा को पहला संगीत डिस्क भी दिया, जिसमें न केवल गीत, बल्कि धुनें भी रची गईं और उन्हें लता मंगेशकर ने स्वरबद्ध किया।
पद्मा सचदेव को साहित्य अकादेमी पुरस्कार के अलावा केंद्रीय हिंदी संस्थान द्वारा राष्ट्रीय पुरस्कार, मध्यप्रदेश सरकार द्वारा कविता के लिए कबीर सम्मान, सरस्वती सम्मान, जम्मू-कश्मीर अकादमी का लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार, सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार, साहित्य अकादेमी अनुवाद पुरस्कार तथा भारत सरकार द्वारा पद्मश्री सहित कई पुरस्कार और सम्मान प्राप्त हुए थे।
साहित्य अकादेमी ने डोगरी कवयित्री तथा उपन्यासकार एवं साहित्य अकादेमी की महत्तर सदस्य पद्मा सचदेव के निधन पर शोक व्यक्त किया है। साहित्य अकादेमी में आयोजित शोक सभा में साहित्य अकादेमी के कर्मचारियों को संबोधित करते हुए साहित्य अकादेमी के सचिव के. श्रीनिवासराव ने कहा कि अपनी विलक्षण रचनात्मकता के नाते वे डोगरी एवं हिंदी साहित्य की अविस्मरणीय धरोहर बनी रहेंगी। साहित्य अकादेमी पद्मा सचदेव के परिवार के प्रति गहरी संवेदना और विनम्र श्रद्धांजलि निवेदित करती है। उनका निधन एक गहरे शून्य के साथ-साथ एक समृद्ध विरासत भी छोड़ गया है।
जम्मू-कश्मीर के उप-राज्यपाल मनोज सिन्हा ने पद्मा सचदेव के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि उनके निधन से साहित्य जगत को बहुत बड़ी क्षति हुई है।उनका डोगरी के साथ-साथ हिन्दी में भी काफी योगदान रहा है।दिवंगत आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करते हुए उन्होंने परिवारी के साथ भी संवेदना व्यक्त की।
Saddened to learn about the passing away of Padma Shri Padma Sachdev Ji, the celebrated writer, poetess, and novelist from J&K. She made rich contributions to Dogri and Hindi Literature. My thoughts and prayers are with the bereaved family members, well-wishers.
— Manoj Sinha (@manojsinha_) August 4, 2021
नेशनल कांफ्रेंस के संभागीय अध्यक्ष देवेंद्र सिंह राणा ने शोक व्यक्त करते हुए कहा कि उनके गीत उन्हें हमेशा हमारे बीच रखेंगे। खासकर जो गीत उन्होने लता मंगेश्कर से गवाएं हैं। उनके साथ हमेशा उनका नाम गूंजता रहेगा। वह हमारी प्रेरणा थी रहेंगी। वह डोगरी कों जिस मुकाम पर देखना चाहती थी उसके लिए हमें हमेशा काम करते रहना होगा।
Sad to hear about the demise of the great Dogri poet Padma Sachdevaji. She was a legendary figure who was a doyen of Dogri Literature and Culture. Her ‘Palla Sapayiea Dograeya’ sung by Lata Mangeshkar is a landmark . May her soul rest in peace . pic.twitter.com/JgWDqdwoLe
— Devender Singh Rana (@DevenderSRana) August 4, 2021